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आस्था के रंग से सराबोर महाकुंभ, मेष संक्रांति पर हो रहा तीसरा शाही स्नान

मेष संक्रांति के मौके पर आज हरिद्वार महाकुंभ में तीसरा शाही स्नान हो रहा है. इस दौरान देश-विदेश से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.

मेष संक्रांति पर महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान आज
मेष संक्रांति पर महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान आज
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Published : Apr 14, 2021, 3:03 AM IST

हरिद्वार: महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. मां गंगा के पावन तट पर हरिद्वार महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार में मौजूद हैं. वहीं, हरिद्वार में शाही स्नान को लेकर अद्भुत छटा बिखरी हुई है. मेष संक्रांति के मौके पर हरिद्वार महाकुंभ में तीसरा शाही स्नान हो रहा है.

जिला प्रशासन के मुताबिक 4 अप्रैल को मेष संक्रांति का शाही स्नान भी 12 अप्रैल की तर्ज पर हो रहा है. सुबह सात बजे से पहले आम श्रद्धालु हरकी पौड़ी पर स्नान कर सकेंगे. जबकि सुबह 9 बजे से 13 अखाड़े क्रमवार हरकी पौड़ी पर गंगा स्नान करेंगे. दूसरे शाही स्नान पर कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ती देख सीएम तीरथ सिंह रावत ने श्रद्धालुओं से नियमों के पालन करने की अपील की है.

मुख्यमंत्री ने हरिद्वार महाकुंभ मेले के तीसरे 'शाही स्नान' के लिए आने वाले सभी भक्तों से मास्क पहनने और कोरोना नियमों का पालन करने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और हाथों को साफ करने का अनुरोध किया है.

अखाड़ों के स्नान का समय

  • सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा अपने साथी आनंद के साथ अपनी छावनी से 8:30 बजे चलेगा और हरकी पौड़ी पर पहुंचकर मां गंगा में स्नान करेगा.
  • उसके बाद 9 बजे जूना अखाड़ा व अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़ा को स्नान के लिए दिया गया है.
  • 9:30 पर महानिर्वाणी अपने साथी अटल के साथ कनखल से हरकी पौड़ी की ओर करेगा रुख करेगा.
  • उसके बाद तीनों बैरागी अखाड़े (श्रीनिर्मोही अणी, दिगंबर अणी, निर्वाणी अणी) 10:30 हरकी पौड़ी पहुंचेंगे.
  • उसके बाद श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा 12:00 बजे अपने अखाड़े से हरकी पौड़ी की ओर रुख करेगा.
  • लगभग 2:30 बजे श्री पंचायती नया उदासीन अपने हरकी पौड़ी की रुख करेगा.
  • आखिर में श्रीनिर्मल अखाड़ा 3 बजे के करीब अपने अखाड़े से हरकी पौड़ी का रूख करेगा.

मेष संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त

  • मेष संक्रांति पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक.
  • पुण्य काल की अवधि- 06 घंटे 25 मिनट.
  • मेष संक्रांति महापुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक.

बैसाखी के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व माना जाता है. हरिद्वार महाकुंभ में बैसाखी के मौके पर अखाड़ों के संत और श्रद्धालु शाही स्नान कर रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन सूर्य, मेष राशि में गोचर करते हैं. इसी वजह से इस त्योहार के मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. बैसाखी पर रबी की फसल की कटाई शुरू होती है जिसकी वजह से इस दिन को सफलता के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गेहूं, तिलहन समेत गन्ने आदि फसलों की कटाई भी शुरू कर दी जाती है.

ये भी पढ़ें: दूसरे शाही स्नान पर हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, दिखा आलौकिक नजारा

करीब 850 साल पुराना इतिहास

इतिहास में कुंभ मेले की शुरुआत कब हुई, किसने की, इसकी किसी ग्रंथ में कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है. कुंभ मेले का इतिहास कम से कम 850 साल पुराना है. माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी. परन्तु इसके बारे में जो प्राचीनतम वर्णन मिलता है, वो सम्राट हर्षवर्धन के समय का है. जिसका चीन के प्रसिद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग द्वारा किया गया.

शाही स्नान क्या होता है

महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्र पुरी महाराज कहा कहना है कि शाही स्नान के मौके पर विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत सोने-चांदी की पालकियों, हाथी-घोड़े पर बैठकर स्नान के लिए पहुंचते हैं. सब अपनी-अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करते हैं. इसे राजयोग स्नान भी कहा जाता है, जिसमें साधु और उनके अनुयायी पवित्र नदी में तय वक्त पर डुबकी लगाते हैं. माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने से अमरता का वरदान मिल जाता है. यही वजह है कि ये कुंभ मेले का अहम हिस्सा है और सुर्खियों में रहता है. शाही स्नान के बाद ही आम लोगों को नदी में डुबकी लगाने की इजाजत होती है.

ये भी पढ़ें: कुंभ: दूसरे शाही स्नान के साथ गंगा में 'डूबा' कोरोना प्रोटोकॉल, तार-तार हुए सभी दावे

कुंभ में हो चुकी है अखाड़ों की लड़ाई

महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्र पुरी महाराज के मुताबिक शाही स्नान में मामूली कहासुनी एवं स्नान का क्रम अखाड़ों में आपसी खूनी संघर्ष की भी वजह रहा है. वर्ष 1310 के हरिद्वार महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े और रामानंद वैष्णवों के बीच हुए झगड़े ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया था. वहीं 1398 के अर्द्धुकंभ में तैमूर लंग ने भी उत्पात मचाया था. 1760 में शैव संन्यासियों एवं वैष्णव बैरागियों के बीच संघर्ष हुआ था. 1796 के कुंभ में शैव संयासी और निर्मल संप्रदाय आपस में भिड़ गए थे. 1927 एवं 1986 में भीड़ दुर्घटना का कारण बनी. 1998 में भी हरकी पैड़ी पर अखाड़ों के बीच संघर्ष हुआ था.

कोविड टेस्ट रिपोर्ट जरूरी

30 अप्रैल तक चलने वाले महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कोविड-19 की 72 घंटे पहले तक की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी पड़ रही है. कोरोना महामारी के चलते अब शासन-प्रशासन सख्त है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है.

हरिद्वार: महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. मां गंगा के पावन तट पर हरिद्वार महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार में मौजूद हैं. वहीं, हरिद्वार में शाही स्नान को लेकर अद्भुत छटा बिखरी हुई है. मेष संक्रांति के मौके पर हरिद्वार महाकुंभ में तीसरा शाही स्नान हो रहा है.

जिला प्रशासन के मुताबिक 4 अप्रैल को मेष संक्रांति का शाही स्नान भी 12 अप्रैल की तर्ज पर हो रहा है. सुबह सात बजे से पहले आम श्रद्धालु हरकी पौड़ी पर स्नान कर सकेंगे. जबकि सुबह 9 बजे से 13 अखाड़े क्रमवार हरकी पौड़ी पर गंगा स्नान करेंगे. दूसरे शाही स्नान पर कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ती देख सीएम तीरथ सिंह रावत ने श्रद्धालुओं से नियमों के पालन करने की अपील की है.

मुख्यमंत्री ने हरिद्वार महाकुंभ मेले के तीसरे 'शाही स्नान' के लिए आने वाले सभी भक्तों से मास्क पहनने और कोरोना नियमों का पालन करने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और हाथों को साफ करने का अनुरोध किया है.

अखाड़ों के स्नान का समय

  • सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा अपने साथी आनंद के साथ अपनी छावनी से 8:30 बजे चलेगा और हरकी पौड़ी पर पहुंचकर मां गंगा में स्नान करेगा.
  • उसके बाद 9 बजे जूना अखाड़ा व अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़ा को स्नान के लिए दिया गया है.
  • 9:30 पर महानिर्वाणी अपने साथी अटल के साथ कनखल से हरकी पौड़ी की ओर करेगा रुख करेगा.
  • उसके बाद तीनों बैरागी अखाड़े (श्रीनिर्मोही अणी, दिगंबर अणी, निर्वाणी अणी) 10:30 हरकी पौड़ी पहुंचेंगे.
  • उसके बाद श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा 12:00 बजे अपने अखाड़े से हरकी पौड़ी की ओर रुख करेगा.
  • लगभग 2:30 बजे श्री पंचायती नया उदासीन अपने हरकी पौड़ी की रुख करेगा.
  • आखिर में श्रीनिर्मल अखाड़ा 3 बजे के करीब अपने अखाड़े से हरकी पौड़ी का रूख करेगा.

मेष संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त

  • मेष संक्रांति पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक.
  • पुण्य काल की अवधि- 06 घंटे 25 मिनट.
  • मेष संक्रांति महापुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक.

बैसाखी के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व माना जाता है. हरिद्वार महाकुंभ में बैसाखी के मौके पर अखाड़ों के संत और श्रद्धालु शाही स्नान कर रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन सूर्य, मेष राशि में गोचर करते हैं. इसी वजह से इस त्योहार के मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. बैसाखी पर रबी की फसल की कटाई शुरू होती है जिसकी वजह से इस दिन को सफलता के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गेहूं, तिलहन समेत गन्ने आदि फसलों की कटाई भी शुरू कर दी जाती है.

ये भी पढ़ें: दूसरे शाही स्नान पर हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, दिखा आलौकिक नजारा

करीब 850 साल पुराना इतिहास

इतिहास में कुंभ मेले की शुरुआत कब हुई, किसने की, इसकी किसी ग्रंथ में कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है. कुंभ मेले का इतिहास कम से कम 850 साल पुराना है. माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी. परन्तु इसके बारे में जो प्राचीनतम वर्णन मिलता है, वो सम्राट हर्षवर्धन के समय का है. जिसका चीन के प्रसिद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग द्वारा किया गया.

शाही स्नान क्या होता है

महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्र पुरी महाराज कहा कहना है कि शाही स्नान के मौके पर विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत सोने-चांदी की पालकियों, हाथी-घोड़े पर बैठकर स्नान के लिए पहुंचते हैं. सब अपनी-अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करते हैं. इसे राजयोग स्नान भी कहा जाता है, जिसमें साधु और उनके अनुयायी पवित्र नदी में तय वक्त पर डुबकी लगाते हैं. माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने से अमरता का वरदान मिल जाता है. यही वजह है कि ये कुंभ मेले का अहम हिस्सा है और सुर्खियों में रहता है. शाही स्नान के बाद ही आम लोगों को नदी में डुबकी लगाने की इजाजत होती है.

ये भी पढ़ें: कुंभ: दूसरे शाही स्नान के साथ गंगा में 'डूबा' कोरोना प्रोटोकॉल, तार-तार हुए सभी दावे

कुंभ में हो चुकी है अखाड़ों की लड़ाई

महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्र पुरी महाराज के मुताबिक शाही स्नान में मामूली कहासुनी एवं स्नान का क्रम अखाड़ों में आपसी खूनी संघर्ष की भी वजह रहा है. वर्ष 1310 के हरिद्वार महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े और रामानंद वैष्णवों के बीच हुए झगड़े ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया था. वहीं 1398 के अर्द्धुकंभ में तैमूर लंग ने भी उत्पात मचाया था. 1760 में शैव संन्यासियों एवं वैष्णव बैरागियों के बीच संघर्ष हुआ था. 1796 के कुंभ में शैव संयासी और निर्मल संप्रदाय आपस में भिड़ गए थे. 1927 एवं 1986 में भीड़ दुर्घटना का कारण बनी. 1998 में भी हरकी पैड़ी पर अखाड़ों के बीच संघर्ष हुआ था.

कोविड टेस्ट रिपोर्ट जरूरी

30 अप्रैल तक चलने वाले महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कोविड-19 की 72 घंटे पहले तक की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी पड़ रही है. कोरोना महामारी के चलते अब शासन-प्रशासन सख्त है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है.

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