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अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा गंगा मंदिर, 22 सालों की लड़ाई के बाद छतरी संवारने का कार्य शुरू - नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए एचआरडीए ने गंगा मंदिर को संवारने का श्रीगणेश कर दिया है. गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि आज विधिवत पूजा अर्चना के बाद गंगा मंदिर की छतरी बनाने का काम शुरू कर दिया गया है.

Haridwar Ganga Sabha
हरिद्वार गंगा मंदिर
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Published : Oct 31, 2020, 9:26 PM IST

Updated : Dec 4, 2020, 12:54 PM IST

हरिद्वार: तीर्थ नगरी हरिद्वार में ब्रह्मकुंड में मां गंगा के बीच बना गंगा मंदिर (राजा मानसिंह ) अपने पुराने स्वरूप में वापस आएगा, जिसके लिए आज मां गंगा का पूजन कर मंदिर का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. जिसकी जानकारी गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ द्वारा दी गई.

गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ट ने बताया कि पिछले 22 साल से गंगा सभा द्वारा राजा मानसिंह की छतरी के रूप में स्थित गंगा मां का मंदिर को पुराने स्वरूप में लाने के लिए लड़ाई लड़ रही थी. इस मंदिर को पुराने स्वरूप में बदलकर एक नए रूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए गंगा सभा लड़ाई लड़ रही थी. जिसे पिछले साल नैनीताल हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मंदिर को पौराणिक स्वरूप में ही कायम किया जाए.

तन्मय वशिष्ट ने कहा कि आज इस आदेश के अनुपालन में करते हुए इसके पुराने स्वरूप में लाने के लिए विधिवत रूप से पूजन कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. यह गंगा प्रेमियों के लिए एक हर्ष का विषय है.

अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा ब्रह्मकुंड में बना गंगा मंदिर

क्या था मामला ?

बता दें, विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर 22 सालों से अधूरा पड़ा यह मंदिर शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है, जहां हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित इसे राजा मानसिंह की छतरी के नाम से पुकारते हैं. वहीं, मंदिर के प्रबंधक और पुजारी इसे प्राचीन गंगा मंदिर मानते हैं. साल 1998 के कुंभ मेले से इससे पहले अक्टूबर 1997 में इस मंदिर के मुख्य पुजारी बुधकर परिवार ने गंगा बंदी के समय मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया था.

पढ़ें- पटेल जयंती 2020: पोखरी थाना रहा अव्वल, एकता दिवस पर इन्हें मिला सम्मान

राजा मानसिंह की छतरी के नाम से मशहूर इस स्थापत्य निर्माण के मूल स्वरूप को बदलने कर इसे बड़े मंदिर का रूप प्रदान किया गया था, जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों की संस्था गंगा सभा ने इस मंदिर का आकार बदलने का विरोध किया था. तब बुधकर परिवार इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट लेकर पहुंचा. फिर साल 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने पर यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया. कुछ साल पहले हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण ने बुधकर परिवार को इस मंदिर के निर्माण की अनुमति प्रदान की थी, जिससे बुधकर परिवार ने इस मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था. इस पर फिर से विवाद शुरू हो गया था.

नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन

पिछले साल नैनीताल हाईकोर्ट ने हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को इस मंदिर को पुराने स्वरूप में लाने और विशेषज्ञों की टीम बनाकर इसके निरीक्षण करने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण ने एक समिति बनाई थी, जिसके बाद अब इस मंदिर का अब दोबारा से कार्य प्रारंभ हो गया है.

हरिद्वार: तीर्थ नगरी हरिद्वार में ब्रह्मकुंड में मां गंगा के बीच बना गंगा मंदिर (राजा मानसिंह ) अपने पुराने स्वरूप में वापस आएगा, जिसके लिए आज मां गंगा का पूजन कर मंदिर का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. जिसकी जानकारी गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ द्वारा दी गई.

गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ट ने बताया कि पिछले 22 साल से गंगा सभा द्वारा राजा मानसिंह की छतरी के रूप में स्थित गंगा मां का मंदिर को पुराने स्वरूप में लाने के लिए लड़ाई लड़ रही थी. इस मंदिर को पुराने स्वरूप में बदलकर एक नए रूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए गंगा सभा लड़ाई लड़ रही थी. जिसे पिछले साल नैनीताल हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मंदिर को पौराणिक स्वरूप में ही कायम किया जाए.

तन्मय वशिष्ट ने कहा कि आज इस आदेश के अनुपालन में करते हुए इसके पुराने स्वरूप में लाने के लिए विधिवत रूप से पूजन कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. यह गंगा प्रेमियों के लिए एक हर्ष का विषय है.

अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा ब्रह्मकुंड में बना गंगा मंदिर

क्या था मामला ?

बता दें, विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर 22 सालों से अधूरा पड़ा यह मंदिर शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है, जहां हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित इसे राजा मानसिंह की छतरी के नाम से पुकारते हैं. वहीं, मंदिर के प्रबंधक और पुजारी इसे प्राचीन गंगा मंदिर मानते हैं. साल 1998 के कुंभ मेले से इससे पहले अक्टूबर 1997 में इस मंदिर के मुख्य पुजारी बुधकर परिवार ने गंगा बंदी के समय मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया था.

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राजा मानसिंह की छतरी के नाम से मशहूर इस स्थापत्य निर्माण के मूल स्वरूप को बदलने कर इसे बड़े मंदिर का रूप प्रदान किया गया था, जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों की संस्था गंगा सभा ने इस मंदिर का आकार बदलने का विरोध किया था. तब बुधकर परिवार इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट लेकर पहुंचा. फिर साल 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने पर यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया. कुछ साल पहले हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण ने बुधकर परिवार को इस मंदिर के निर्माण की अनुमति प्रदान की थी, जिससे बुधकर परिवार ने इस मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था. इस पर फिर से विवाद शुरू हो गया था.

नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन

पिछले साल नैनीताल हाईकोर्ट ने हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को इस मंदिर को पुराने स्वरूप में लाने और विशेषज्ञों की टीम बनाकर इसके निरीक्षण करने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण ने एक समिति बनाई थी, जिसके बाद अब इस मंदिर का अब दोबारा से कार्य प्रारंभ हो गया है.

Last Updated : Dec 4, 2020, 12:54 PM IST
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