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उत्तराखंडः इस कांग्रेसी सांसद ने किया था अनुच्छेद 370 का विरोध, पाक का वजीरे-ए-आजम बनने का मिला था प्रस्ताव

पाकिस्तान से मोहम्मद अली जिन्ना की ओर से सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का बड़ा प्रस्ताव उनकी काबलियत को लेकर दिया गया था. लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया था.

फाइल फोटो
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Published : Aug 12, 2019, 8:14 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 11:10 PM IST

रुड़की: अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस पार्टी में अलग-अलग राय सामने आ रही है. कांग्रेस इस मुद्दे पर एक जुट भी नहीं है. अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस में ये बिखराव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय में भी था. इतिहास गवाह है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय में भी कई कांग्रेसी नेताओं ने अनुच्छेद 370 का विरोध किया था. इसमें से एक थे सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी, जो पहली लोकसभा में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर सदन में गए थे.

सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने उस समय अनुच्छेद 370 का विरोध किया था. आज जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खत्म होने पर काज़मी के परिजन खुश हैं और उन्होंने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

पढ़ें- दून अस्पताल में डेंटल यूनिट डेमो रूम की सिलिंग गिरी, मची अफरा-तफरी

27 जून 1852 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के पुरकाजी में जन्मे सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी की परवरिश मंगलौर में हुई और इंतेक़ाल भी यहीं हुआ, जो हरिद्वार जिले में आता है.

अनुच्छेद 370 का विरोध

काज़मी आज़ाद भारत की पहली लोक सभा के सदस्य थे. लॉ ग्रेजुएट होने के साथ वे संविधान बनाने वाली असेम्बली के सदस्य भी रहे. काज़मी ने अलीगढ़ व इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएट किया था. उसके बाद इलहाबाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में वकालत की.

सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी का इतिहास

  • 1934 से 1945 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य रहे.
  • 1949 से 1950 तक संविधान सभा के सदस्य रहे. देश का संविधान बनाने में बड़ा योगदान रहा.
  • 1950 से 1952 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट के सदस्य रहे.

फैज़ाबाद लोकसभा सीट से जीते थे चुनाव
बता दें कि काज़मी ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर फैज़ाबाद लोकसभा सीट से पहली लोक सभा के लिए कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव जीता था. काज़मी की सगी भतीजी के बेटे गुलाम जिलानी काज़मी के मुताबिक उस समय उन्होंने अनुच्छेद 370 का विरोध किया. गुलाम जिलानी ने बताया कि काज़मी जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने के विरोध में थे. वो मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते है.

पढ़ें- भारी बारिश के बाद बढ़ा नदियों का जलस्तर, आसपास के लोगों को किया जा रहा शिफ्ट

पाकिस्तान से आया था बड़ा प्रस्ताव
गुलाम जिलानी ने बताया कि पाकिस्तान से मोहम्मद अली जिन्ना की ओर उनके नाना काज़मी को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का बड़ा प्रस्ताव उनकी काबलियत को लेकर दिया गया था. लेकिन नाना ने उसे ठुकरा दिया था. लोक सभा के सदस्य के तौर पर सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने वक्फ एक्ट, इस्लामिक एक्ट और शरीयत ला एक्ट जिसे काज़मी एक्ट भी पुकारा गया लोकसभा में मंज़ूर कराए थे.

रुड़की: अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस पार्टी में अलग-अलग राय सामने आ रही है. कांग्रेस इस मुद्दे पर एक जुट भी नहीं है. अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस में ये बिखराव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय में भी था. इतिहास गवाह है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय में भी कई कांग्रेसी नेताओं ने अनुच्छेद 370 का विरोध किया था. इसमें से एक थे सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी, जो पहली लोकसभा में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर सदन में गए थे.

सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने उस समय अनुच्छेद 370 का विरोध किया था. आज जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खत्म होने पर काज़मी के परिजन खुश हैं और उन्होंने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

पढ़ें- दून अस्पताल में डेंटल यूनिट डेमो रूम की सिलिंग गिरी, मची अफरा-तफरी

27 जून 1852 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के पुरकाजी में जन्मे सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी की परवरिश मंगलौर में हुई और इंतेक़ाल भी यहीं हुआ, जो हरिद्वार जिले में आता है.

अनुच्छेद 370 का विरोध

काज़मी आज़ाद भारत की पहली लोक सभा के सदस्य थे. लॉ ग्रेजुएट होने के साथ वे संविधान बनाने वाली असेम्बली के सदस्य भी रहे. काज़मी ने अलीगढ़ व इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएट किया था. उसके बाद इलहाबाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में वकालत की.

सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी का इतिहास

  • 1934 से 1945 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य रहे.
  • 1949 से 1950 तक संविधान सभा के सदस्य रहे. देश का संविधान बनाने में बड़ा योगदान रहा.
  • 1950 से 1952 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट के सदस्य रहे.

फैज़ाबाद लोकसभा सीट से जीते थे चुनाव
बता दें कि काज़मी ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर फैज़ाबाद लोकसभा सीट से पहली लोक सभा के लिए कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव जीता था. काज़मी की सगी भतीजी के बेटे गुलाम जिलानी काज़मी के मुताबिक उस समय उन्होंने अनुच्छेद 370 का विरोध किया. गुलाम जिलानी ने बताया कि काज़मी जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने के विरोध में थे. वो मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते है.

पढ़ें- भारी बारिश के बाद बढ़ा नदियों का जलस्तर, आसपास के लोगों को किया जा रहा शिफ्ट

पाकिस्तान से आया था बड़ा प्रस्ताव
गुलाम जिलानी ने बताया कि पाकिस्तान से मोहम्मद अली जिन्ना की ओर उनके नाना काज़मी को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का बड़ा प्रस्ताव उनकी काबलियत को लेकर दिया गया था. लेकिन नाना ने उसे ठुकरा दिया था. लोक सभा के सदस्य के तौर पर सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने वक्फ एक्ट, इस्लामिक एक्ट और शरीयत ला एक्ट जिसे काज़मी एक्ट भी पुकारा गया लोकसभा में मंज़ूर कराए थे.

Intro:एक्सक्लुसिव रिपोर्ट

आज भले ही कांग्रेस धारा 370 को लेकर हंगामा और विरोध कर रही हो लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि सँविधान सभा के सदस्य और पहली लोकसभा के कांग्रेस के टिकट पर जीते सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी ने धारा 370 का विरोध उस समय ही कर दिया था जब पंडित नेहरू इसकी वकालत कर रहे थे और ये लागू की जा रही थी।यही नही सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद पाकिस्तान के मोहम्मद अली जिन्ना के द्वारा भेजा गया पाकिस्तान प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था और भारत को वरियता दी थी।धारा 370 को हटा देने पर आज भी सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी के परिजन खुश है और वो मोदी सरकार के फैसले का स्वागत कर रहे है ।


Body:27 जून 1852 में उत्तर प्रदेश के जिला मुज़्ज़फ़र नगर के पुरकाजी में जन्मे सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी की परवरिश मंगलोर में हुई औऱ इंतेक़ाल भी मंगलोर कस्बे में हुआ जो हरीद्वार ज़िले के ऐतिहासिक कस्बे में गिना जाता है ।

वहीं सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी आज़ाद भारत में पहली लोक सभा के सदस्य रहे।लॉ ग्रेजुएट होने के साथ सँविधान बनाने वाली असेम्बली के सदस्य भी रहे।काज़मी ने अलीगढ़ व इलाहाबाद यूनिवसिर्टी से लॉ ग्रेजुएट किया उसके बाद इलहाबाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में वकालत की।

Conclusion:1934 से 1945 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य रहे।

1949 से 1950 तक सँविधान सभा के सदस्य रहे।देश का सँविधान बनाने में बड़ा योगदान रहा।

1950 से 1952 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट के सदस्य रहे।

बता दें कि काज़मी ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर फैज़ाबाद लोक सभा सीट से पहली लोक सभा के लिए कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव जीता था।

वहीं मोहम्मद अहमद काज़मी की सगी भतीजी के बेटे गुलाम जिलानी काज़मी का कहना है कि धारा 370 का कड़ा विरोध लागू करते समय ही मेरे नाना सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने किया था वो इसके खिलाफ थे कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू की जाए।हम मोदी सरकार के फैसले धारा 370 हटाने का स्वागत करते है।गुलाम जिलानी का कहना है कि भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान के मोहम्मद अली जिन्ना की ओर से मेरे नाना को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का बड़ा प्रस्ताव उनकी काबलियत को लेकर दिया।जिसे मेरे नाना के द्वारा ठुकरा दिया था।

बाइट - गुलाम जिलानी काज़मी ( सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी के नवासे ( नातिन)

लोक सभा के सदस्य के तौर पर सैय्यद मोहम्मद अहमद काज़मी ने * वक्फ एक्ट* इस्लामिक एक्ट* शरीयत ला एक्ट * जिसे काज़मी एक्ट भी पुकारा गया लोकसभा में मंज़ूर कराए।
Last Updated : Aug 12, 2019, 11:10 PM IST
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