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'30 साल की मेहनत पर फेर दिया पानी', पतंजलि की दवाइयों पर बैन लगने और हटने पर बोले रामदेव

उत्तराखंड के आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा विभाग द्वारा पतंजलि की निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी की 5 दवाओं पर पहले बैन लगाना और फिर हटाए जाने पर योग गुरू स्वामी रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अपनी गलती मान ली है और हम साधु हैं और हमने शुरू से यही सीखा है कि यदि कोई अपनी गलती मान ले तो उसे माफ कर देना चाहिए.

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Published : Nov 15, 2022, 8:58 PM IST

हरिद्वार: पिछले दिनों उत्तराखंड के आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा विभाग द्वारा पतंजलि की निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी की 5 दवाओं पर बैन लगाए जाने और फिर सरकार के हस्तक्षेप के बाद बैन हटाये जाने पर योग गुरू स्वामी रामदेव बाबा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मूर्ख अधिकारी ने एक ही मिनट में उनकी 30 सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अपनी गलती मान ली है और हम साधु हैं और हमने शुरू से यही सीखा है कि यदि कोई अपनी गलती मान ले तो उसे माफ कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि भगवान ऐसे अधिकारियों को सद्बुद्धि दे.

इस पूरे प्रकरण पर नाराजगी जाहिर करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि आखिर अधिकारी की हिम्मत कैसे हुई. जिस नियम और कानून के आधार पर उनको लाइसेंस दिया गया था, उसी के तहत दवाओं का निर्माण किया जा रहा था, ऐसे में इस पर रोक कैसे लगाई जा सकती है. वहीं, इस मामले को लेकर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने दवा पर बैन लगाने के आदेश को गैर जिम्मेदाराना करार दिया है. उन्होंने कहा कि अधिकारी का यह कृत्य आयुर्वेद और आयुर्वेदिक परंपरा का नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य है. ऐसे में पतंजलि इसको लेकर अधिकारी के खिलाफ लीगल एक्शन लेने की तैयारी कर रहा है.

प्रतिक्रिया देते स्वामी रामदेव.

पढ़ें- उत्तराखंड में दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं पर लगा बैन हटा, जारी रहेगा प्रोडक्शन

क्या था पूरा मामला: केरल के एक डॉक्टर केवी बाबू ने जुलाई में शिकायत की थी. उन्होंने पतंजलि के दिव्य फार्मेसी की ओर से ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (ऑब्जेक्शनेबल अडवर्टाइजमेंट) एक्ट 1954, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के बार-बार उल्लंघन का आरोप लगाया था. बाबू ने राज्य के लाइसेंसिंग अथॉरिटी (एसएलए) को 11 अक्टूबर को एक बार फिर ईमेल के जरिए शिकायत भेजी.

जिसके बाद अथॉरिटी ने पतंजलि को फॉर्मुलेशन शीट और लेबल में बदलाव करते हुए सभी 5 दवाओं के लिए फिर से मंजूरी लेने को कहा है. आदेश में कहा गया है कि कंपनी संशोधन के लिए मंजूरी लेने के बाद ही दोबारा उत्पादन शुरू कर सकती है. दिव्य फार्मेसी को भेजे गए लेटर में ज्वॉइंट डायरेक्टर और ड्रग कंट्रोलर डॉ जीसीएन जंगपांगी ने कंपनी को मीडिया स्पेस से तुरंत 'भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों' को हटाने को कहा है. भविष्य में स्वीकृत विज्ञापन ही चलाने की सलाह देते हुए उत्पादन लाइसेंस वापस लिए जाने की चेतावनी दी गई है. अथॉरिटी ने इस मुद्दे पर कंपनी से एक सप्ताह में जवाब भी मांगा.

दिव्य फार्मेसी ने बताया था साजिश: इस पर बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की प्रतिक्रिया भी आई. दिव्य फार्मेसी की ओर से कहा गया है कि उनके द्वारा जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनाई जाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं.पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है, जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रिक्लिनिकल एवं क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है. उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा. जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया. चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया है तो वह है पतंजलि संस्थान.

हरिद्वार: पिछले दिनों उत्तराखंड के आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा विभाग द्वारा पतंजलि की निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी की 5 दवाओं पर बैन लगाए जाने और फिर सरकार के हस्तक्षेप के बाद बैन हटाये जाने पर योग गुरू स्वामी रामदेव बाबा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मूर्ख अधिकारी ने एक ही मिनट में उनकी 30 सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अपनी गलती मान ली है और हम साधु हैं और हमने शुरू से यही सीखा है कि यदि कोई अपनी गलती मान ले तो उसे माफ कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि भगवान ऐसे अधिकारियों को सद्बुद्धि दे.

इस पूरे प्रकरण पर नाराजगी जाहिर करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि आखिर अधिकारी की हिम्मत कैसे हुई. जिस नियम और कानून के आधार पर उनको लाइसेंस दिया गया था, उसी के तहत दवाओं का निर्माण किया जा रहा था, ऐसे में इस पर रोक कैसे लगाई जा सकती है. वहीं, इस मामले को लेकर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने दवा पर बैन लगाने के आदेश को गैर जिम्मेदाराना करार दिया है. उन्होंने कहा कि अधिकारी का यह कृत्य आयुर्वेद और आयुर्वेदिक परंपरा का नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य है. ऐसे में पतंजलि इसको लेकर अधिकारी के खिलाफ लीगल एक्शन लेने की तैयारी कर रहा है.

प्रतिक्रिया देते स्वामी रामदेव.

पढ़ें- उत्तराखंड में दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं पर लगा बैन हटा, जारी रहेगा प्रोडक्शन

क्या था पूरा मामला: केरल के एक डॉक्टर केवी बाबू ने जुलाई में शिकायत की थी. उन्होंने पतंजलि के दिव्य फार्मेसी की ओर से ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (ऑब्जेक्शनेबल अडवर्टाइजमेंट) एक्ट 1954, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के बार-बार उल्लंघन का आरोप लगाया था. बाबू ने राज्य के लाइसेंसिंग अथॉरिटी (एसएलए) को 11 अक्टूबर को एक बार फिर ईमेल के जरिए शिकायत भेजी.

जिसके बाद अथॉरिटी ने पतंजलि को फॉर्मुलेशन शीट और लेबल में बदलाव करते हुए सभी 5 दवाओं के लिए फिर से मंजूरी लेने को कहा है. आदेश में कहा गया है कि कंपनी संशोधन के लिए मंजूरी लेने के बाद ही दोबारा उत्पादन शुरू कर सकती है. दिव्य फार्मेसी को भेजे गए लेटर में ज्वॉइंट डायरेक्टर और ड्रग कंट्रोलर डॉ जीसीएन जंगपांगी ने कंपनी को मीडिया स्पेस से तुरंत 'भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों' को हटाने को कहा है. भविष्य में स्वीकृत विज्ञापन ही चलाने की सलाह देते हुए उत्पादन लाइसेंस वापस लिए जाने की चेतावनी दी गई है. अथॉरिटी ने इस मुद्दे पर कंपनी से एक सप्ताह में जवाब भी मांगा.

दिव्य फार्मेसी ने बताया था साजिश: इस पर बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की प्रतिक्रिया भी आई. दिव्य फार्मेसी की ओर से कहा गया है कि उनके द्वारा जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनाई जाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं.पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है, जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रिक्लिनिकल एवं क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है. उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा. जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया. चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया है तो वह है पतंजलि संस्थान.

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