हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में धर्म संसद का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं, धर्म संसद के संयोजक रहे संतों ने हरिद्वार में 16 जनवरी को प्रतिकार सभा और अलीगढ़ में 22-23 जनवरी को धर्म संसद करने का मन बना लिया है. जिसके बाद से धर्म संसद लगातार चर्चाओं में बनी हुई है. इस बार विश्व हिंदू परिषद की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची ने धर्म संसद का समर्थन किया है. उन्होंने एक बार फिर धर्म संसद के विवाद को तूल दे दिया है. साध्वी प्राची का कहना है कि धर्म संसद होनी चाहिए और धर्म संसद पर सामने आए विषयों पर खुली बहस होनी चाहिए.
महात्मा गांधी पर दिए गए कालीचरण के बयान पर साध्वी प्राची का कहना है कि यह बहस का विषय है. इस पर खुले मंच पर बहस होनी चाहिए. देश की नई पीढ़ी को पता होना चाहिए कि किसने देश की आजादी के लिए फांसी ली और कौन देश की आजादी के लिए लड़े हैं. शहीद हुए कौन और इन सब का श्रेय कौन ले गया. इसलिए महात्मा गांधी पर खुले मंच पर बहस होनी चाहिए और फिर अपने अनुसार मत बनाना चाहिए कि कौन सही था और कौन गलत है.
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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने धर्म संसद का समर्थन करते हुए कहा कि धर्म संसद होना कुछ गलत नहीं है. समय-समय पर धर्म की रक्षा के लिए अनेक स्थानों पर धर्म संसद होती रही है. वहीं उन्होंने धर्म संसद और दिए गए बयानों पर कहा कि संतों को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए. संतों का काम धर्म की रक्षा और समाज की एकजुटता बनाए रखना है न कि बदले और द्वेष की भावना देना है.
वहीं संतों पर हुए मुकदमों पर बोलते हुए कहा कि हमारे द्वारा धर्म संसद में अखाड़ों से जुड़े संतों को पहले ही हिदायत दी जा चुकी है कि आप आगे से ऐसी बयानबाजी न करें. वहीं संतों पर हुए मुकदमों पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि कानूनी प्रक्रियाएं हैं. कानून अपने अनुसार कार्य कर रहा है. जैसी भी स्थिति आएगी देखा जाएगा.