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ऋषिकुल के बाद अब गुरुकुल आयुर्वेद के छात्र आंदोलित, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (Gurukul Ayurveda College) के छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनका स्टाइपेंड बढ़ाकर एमबीबीएस के छात्रों जितना नहीं किया जाता तो वे उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे. मेडिकल छात्रों ने ओपीडी पूरी तरह से ठप कर दी है और कोई भी छात्र अब ओपीडी में डॉक्टरों का सहयोग नहीं कर रहा है.

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ऋषिकुल के बाद अब गुरुकुल आयुर्वेद के छात्र आंदोलित
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Published : Apr 28, 2022, 9:46 PM IST

हरिद्वार: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर तालाबंदी कर रहे ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रों को अभी मनाए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि अब प्रदेश सरकार के खिलाफ गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (Gurukul Ayurveda College) में पढ़ाई कर रहे छात्रों ने हल्ला बोल दिया है. गुरुवार को काम धंधा ठक्कर छात्रों ने कैंपस परिसर में बैठ प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

एमबीबीएस के छात्रों का स्टाइपेंड ₹17,000 है. जबकि, बीएएमएस के छात्रों को उसी काम के लिए सिर्फ ₹7000 दिए जाते हैं. ऐसे में बीएमएस के छात्र बीते डेढ़ साल से स्टाइपेंड एमबीबीएस के छात्रों के बराबर करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. कई बार हंगामा वह प्रदर्शन करने के बाद भी इन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है, अभी ऋषि कुल आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों ने पहले विरोध और फिर कॉलेज के गेट पर तालाबंदी कर दी थी. जिन्हें बड़ी मुश्किल से प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन द्वारा समझाया गया था, जिसके बाद उन्होंने ताला खोला था.

पढ़ें- उत्तराखंड में जल्द लागू होगा सख्त भू कानून, हिमाचल ही होगा रोल मॉडल!

अभी उस ताले को खुले 24 घंटे भी नहीं बीते कि गुरुवार सुबह से गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (Gurukul Ayurveda College) के छात्र छात्राओं ने काम धंधा ठप कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनका स्टाइपेंड भी बढ़ाकर एमबीबीएस के छात्रों जितना नहीं किया जाता तो वे उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे. मेडिकल छात्रों ने ओपीडी पूरी तरह से ठप कर दी है और कोई भी छात्र अब ओपीडी में डॉक्टरों का सहयोग नहीं कर रहा है.

क्या कहते हैं छात्र: मानसी तिवारी का कहना है कि हमारी सिर्फ डेढ़ साल से एक ही मांग है कि हमारे स्टाइपेंड को भी 7500 से बढ़ाकर 17000 कर दिया जाए. लेकिन ना तो प्रदेश सरकार हमारी सुन रही है और ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ही इस पर कोई निर्णय लेने को तैयार हो रहा है. सिर्फ हमें पूरा आश्वासन दिया जाता है लिखित में कोई देने को कुछ तैयार नहीं है. यही कारण है कि हमने अब निर्णय लिया है कि यह हड़ताल अब लंबी चलेगी और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती हम यहीं पर डटे रहेंगे.

अंकित का कहना है की हमारे सीएम यूथ हैं और हमें उनसे काफी उम्मीद है की वे हमारे लिए कुछ जरूर करेंगे. साढ़े सात हजार मैं आज के समय में कुछ भी नहीं हो सकता. इसीलिए हम चाहते हैं कि हमारा स्टाइपेंड भी बढ़ाकर ₹17500 किया जाए. आयुष प्रदेश में हमें भी समानता का अधिकार चाहिए.

हरिद्वार: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर तालाबंदी कर रहे ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रों को अभी मनाए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि अब प्रदेश सरकार के खिलाफ गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (Gurukul Ayurveda College) में पढ़ाई कर रहे छात्रों ने हल्ला बोल दिया है. गुरुवार को काम धंधा ठक्कर छात्रों ने कैंपस परिसर में बैठ प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

एमबीबीएस के छात्रों का स्टाइपेंड ₹17,000 है. जबकि, बीएएमएस के छात्रों को उसी काम के लिए सिर्फ ₹7000 दिए जाते हैं. ऐसे में बीएमएस के छात्र बीते डेढ़ साल से स्टाइपेंड एमबीबीएस के छात्रों के बराबर करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. कई बार हंगामा वह प्रदर्शन करने के बाद भी इन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है, अभी ऋषि कुल आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों ने पहले विरोध और फिर कॉलेज के गेट पर तालाबंदी कर दी थी. जिन्हें बड़ी मुश्किल से प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन द्वारा समझाया गया था, जिसके बाद उन्होंने ताला खोला था.

पढ़ें- उत्तराखंड में जल्द लागू होगा सख्त भू कानून, हिमाचल ही होगा रोल मॉडल!

अभी उस ताले को खुले 24 घंटे भी नहीं बीते कि गुरुवार सुबह से गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (Gurukul Ayurveda College) के छात्र छात्राओं ने काम धंधा ठप कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनका स्टाइपेंड भी बढ़ाकर एमबीबीएस के छात्रों जितना नहीं किया जाता तो वे उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे. मेडिकल छात्रों ने ओपीडी पूरी तरह से ठप कर दी है और कोई भी छात्र अब ओपीडी में डॉक्टरों का सहयोग नहीं कर रहा है.

क्या कहते हैं छात्र: मानसी तिवारी का कहना है कि हमारी सिर्फ डेढ़ साल से एक ही मांग है कि हमारे स्टाइपेंड को भी 7500 से बढ़ाकर 17000 कर दिया जाए. लेकिन ना तो प्रदेश सरकार हमारी सुन रही है और ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ही इस पर कोई निर्णय लेने को तैयार हो रहा है. सिर्फ हमें पूरा आश्वासन दिया जाता है लिखित में कोई देने को कुछ तैयार नहीं है. यही कारण है कि हमने अब निर्णय लिया है कि यह हड़ताल अब लंबी चलेगी और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती हम यहीं पर डटे रहेंगे.

अंकित का कहना है की हमारे सीएम यूथ हैं और हमें उनसे काफी उम्मीद है की वे हमारे लिए कुछ जरूर करेंगे. साढ़े सात हजार मैं आज के समय में कुछ भी नहीं हो सकता. इसीलिए हम चाहते हैं कि हमारा स्टाइपेंड भी बढ़ाकर ₹17500 किया जाए. आयुष प्रदेश में हमें भी समानता का अधिकार चाहिए.

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