हल्द्वानी: उत्तराखंड मेडिकल लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेश के लैब टेक्नीशियन 11 अक्टूबर से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जा रहे हैं. ऐसे में लैब टेक्नीशियन के हड़ताल पर चले जाने से कोरोना जांच के अलावा अन्य मेडिकल जांच प्रभावित हो सकती हैं.
लैब टेक्नीशियन कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 20 सालों से लैब टेक्नीशियन के पद पर काम करते आ रहे हैं. वह लोग इसी पद पर काम करते हुए रिटायर हो रहे हैं. लेकिन सरकार द्वारा लैब टेक्नीशियन को पदोन्नति तक नहीं दी जाती है. इस कैडर के ढांचे में कोई बदलाव भी नहीं किया जाता है. इस कारण लैब टेक्नीशियन अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं. राज्य गठन के बाद से लैब टेक्नीशियन संवर्ग प्रमोशन एवं सेवा नियमावली से वंचित हैं.
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उत्तराखंड के लैब टेक्नीशियन जिस पद पर भर्ती होते हैं, उसी पद पर वह रहकर सेवानिवृत्त हो जाते हैं. उत्तराखंड में इस कैडर के प्रमोशन का कोई पद नहीं है, जबकि भारत सरकार में लैब टेक्नीशियन कैडर के प्रमोशन के 4 पद हैं. लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन ने प्रेस वार्ता कर कहा कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा 2016 में चिकित्सा विभाग के अंतर्गत कार्यरत लैब टेक्नीशियन के कैडर पुनर्गठन के लिए भारत सरकार की तर्ज पर कैडर गठन करने पर विचार कर शासन को भेजा गया था.
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लेकिन अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसे में अब लैब टेक्नीशियनों ने मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का मन बनाया है. कर्मचारियों ने कहा है कि 11 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक काला फीता बांधकर विरोध जताएंगे, जबकि 16 अक्टूबर को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और प्रभारी को ज्ञापन देंगे. 19 अक्टूबर को स्वास्थ्य निदेशक कुमाऊं मंडल व गढ़वाल मंडल को ज्ञापन देंगे. 20 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री और विधायकों से मुलाकात कर अपनी मांगों को रखेंगे. जबकि मांग पूरी न होने पर 23 अक्टूबर को उत्तराखंड राज्य के सभी लैब टेक्नीशियन द्वारा एक दिवसीय सामूहिक कार्य बहिष्कार किया जाएगा. उन्होंने मांग पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.