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Ganesh Chaturthi 2023: नाना के घर विराजे गणपति, मनमोहक मूर्ति से सजा शिव का ससुराल

Ganesh Chaturthi अपने नाना राजा दक्ष के नगरी में भगवान गणेश विराजमान हो गए हैं. श्रावण के महीने में दक्ष प्रजापति मंदिर में भगवान शिव विराजते हैं. अब उसी मंदिर में गणपति विराज रहे हैं. उनकी आरती मूषक के रूप में पंडिज जी कर रहे हैं.

Ganpati sitting in Kankhal
कनखल में विराजे गणपति
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 19, 2023, 5:49 PM IST

Updated : Sep 19, 2023, 6:13 PM IST

हरिद्वारः देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम है. लोगों ने अपने-अपने घरों में हर्षोल्लास के साथ भगवान गणपति की मूर्ति की स्थापना की है. मुख्य रूप से गणेश महोत्सव 10 दिनों तक चलता है, जबकि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है. भगवान गणपति के ननिहाल में भी गणेश चतुर्थी की धूम मची है. कई स्थानों पर सजे पंडालों में भगवान गणपति विराजमान हुए हैं. ननिहाल वासी धूमधाम से भगवान गणेश का स्वागत कर रहे हैं.

Ganpati sitting in Kankhal
श्रावण मास में दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजते हैं भगवान शिव.

हरिद्वार के कनखल को भगवान शिव का ससुराल कहा जाता है. यानी की भगवान गणेश का ननिहाल. गणपति अब 10 दिन तक कनखल में अपनी मां (सती) के घर यानी अपने नाना राजा दक्ष की नगरी में विराजेंगे और भक्तों को सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देंगे. खास बात है कि कनखल के गणपति की मूर्ति सबसे अनोखी छटा बिखेर रही है. जबकि राजा दक्ष के महल के आसपास एक दर्जन से भी अधिक मूर्ति स्थापित की गई है.

Ganpati sitting in Kankhal
हरिद्वार मठ में विराजित 8 फीट के गणपति.

भगवान गणेश की आरती कर रहे वाहन मूषक: गणेश चतुर्थी से लेकर आने वाले 10 दिनों तक हरिद्वार में भक्त दूर-दूर से गणपति के दर्शन के लिए पहुंचेंगे. एक अनुमान के मुताबिक, हरिद्वार शहर में ही लगभग 300 छोटी-बड़ी मूर्ति स्थापित होती है. लेकिन सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर रहता है. कनखल मंदिर में लगभग 8 फीट के गणपति विराजमान हैं. दूसरी तरफ गीता भवन में विराजमान भगवान गणपति की आरती उनके वाहन मूषक कर रहे हैं, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

Ganpati sitting in Kankhal
गीता भवन में विराजमान भगवान गणपति की आरती मूषक कर रहे हैं.

अलग-अलग दिनों में गंगा घाटों पर गणेश की प्रतिमा विसर्जन के दौरान मुंबई, दिल्ली और अन्य राज्यों से बैंड बाजे बुलाए जाएंगे. हरिद्वार के गंगा तट पर विराजे गणपति की पूजा का बेहद महत्व माना गया है. उधर गीता भवन, बड़ा बाजार, ज्वालापुर सहित देवपुरा के गणपति सबसे अधिक धूमधाम से विराजमान और विसर्जित किए जाते हैं.
ये भी पढ़ेंः हरिद्वार में पंडित जी ने मूषकराज बनकर की भगवान गणेश की आरती, आकर्षण का केंद्र बने गीता भवन के बप्पा

भगवान शिव का ससुराल: हरिद्वार की उपनगरी कनखल राजा दक्ष का घर है. यही वो जगह है, जहां राजा दक्ष ने यज्ञ में भगवान शिव को नहीं बुलाया था और उसके बाद शिव ने यज्ञ विध्वंस किया था. इसके बाद ही 52 शक्तिपीठों की स्थापना हुई. कहते हैं भगवान शिव ने राजा दक्ष की नगरी को वरदान दिया है कि वो श्रावण के महीने में इसी नगरी में विराजेंगे. इस तरह से कनखल को भगवान शिव का ससुराल भी कहा जाता है.
ये भी पढ़ेंः Ganesh Chaturthi 2023 : भगवान गणेश के पसंदीदा भोग जिन्हें आप चढ़ा सकते हैं

हरिद्वारः देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम है. लोगों ने अपने-अपने घरों में हर्षोल्लास के साथ भगवान गणपति की मूर्ति की स्थापना की है. मुख्य रूप से गणेश महोत्सव 10 दिनों तक चलता है, जबकि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है. भगवान गणपति के ननिहाल में भी गणेश चतुर्थी की धूम मची है. कई स्थानों पर सजे पंडालों में भगवान गणपति विराजमान हुए हैं. ननिहाल वासी धूमधाम से भगवान गणेश का स्वागत कर रहे हैं.

Ganpati sitting in Kankhal
श्रावण मास में दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजते हैं भगवान शिव.

हरिद्वार के कनखल को भगवान शिव का ससुराल कहा जाता है. यानी की भगवान गणेश का ननिहाल. गणपति अब 10 दिन तक कनखल में अपनी मां (सती) के घर यानी अपने नाना राजा दक्ष की नगरी में विराजेंगे और भक्तों को सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देंगे. खास बात है कि कनखल के गणपति की मूर्ति सबसे अनोखी छटा बिखेर रही है. जबकि राजा दक्ष के महल के आसपास एक दर्जन से भी अधिक मूर्ति स्थापित की गई है.

Ganpati sitting in Kankhal
हरिद्वार मठ में विराजित 8 फीट के गणपति.

भगवान गणेश की आरती कर रहे वाहन मूषक: गणेश चतुर्थी से लेकर आने वाले 10 दिनों तक हरिद्वार में भक्त दूर-दूर से गणपति के दर्शन के लिए पहुंचेंगे. एक अनुमान के मुताबिक, हरिद्वार शहर में ही लगभग 300 छोटी-बड़ी मूर्ति स्थापित होती है. लेकिन सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर रहता है. कनखल मंदिर में लगभग 8 फीट के गणपति विराजमान हैं. दूसरी तरफ गीता भवन में विराजमान भगवान गणपति की आरती उनके वाहन मूषक कर रहे हैं, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

Ganpati sitting in Kankhal
गीता भवन में विराजमान भगवान गणपति की आरती मूषक कर रहे हैं.

अलग-अलग दिनों में गंगा घाटों पर गणेश की प्रतिमा विसर्जन के दौरान मुंबई, दिल्ली और अन्य राज्यों से बैंड बाजे बुलाए जाएंगे. हरिद्वार के गंगा तट पर विराजे गणपति की पूजा का बेहद महत्व माना गया है. उधर गीता भवन, बड़ा बाजार, ज्वालापुर सहित देवपुरा के गणपति सबसे अधिक धूमधाम से विराजमान और विसर्जित किए जाते हैं.
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भगवान शिव का ससुराल: हरिद्वार की उपनगरी कनखल राजा दक्ष का घर है. यही वो जगह है, जहां राजा दक्ष ने यज्ञ में भगवान शिव को नहीं बुलाया था और उसके बाद शिव ने यज्ञ विध्वंस किया था. इसके बाद ही 52 शक्तिपीठों की स्थापना हुई. कहते हैं भगवान शिव ने राजा दक्ष की नगरी को वरदान दिया है कि वो श्रावण के महीने में इसी नगरी में विराजेंगे. इस तरह से कनखल को भगवान शिव का ससुराल भी कहा जाता है.
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Last Updated : Sep 19, 2023, 6:13 PM IST
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