हरिद्वार: उत्तराखंड में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. मतदान से पहले सभी राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. इसी कड़ी में राजनीतिक दलों के केंद्रीय नेताओं के दौरे, चुनावी रैलियां हो रही हैं. मतदाता भी इस चुनावी सीजन में राजनीतिक दलों को देख-परख रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने भी जनता के बीच पहुंचकर प्रदेश के चुनावी माहौल को समझने की कोशिश की. इस कड़ी में आज हम सबसे पहले धर्मनगरी हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी पहुंचे. यहां हमने लोगों से यहां के चुनावी मुद्दों के साथ ही यहां का गणित समझने की कोशिश की.
हरकी पैड़ी पर जनता से बात करते हुए हमने जनता के मूड को समझने की कोशिश की. हरिद्वार की जनता का कहना है कि यहां पर उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. कोरोना काल में जो हालात हुए हैं, उससे सबकी पोल खुल गई है. यहां के सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गये हैं. कुछ लोगों ने कहा हरिद्वार में होने वाले विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा बन सकता है.
घोटाला बना बड़ा मुद्दा: कुंभ घोटाला हो या फिर लाइब्रेरी घोटाला दोनों इन चुनावों में मुद्दा बन सकते हैं. जिसका कांग्रेस को फायदा मिल सकता है. इसके अलावा नशे और बेराजगारी को लेकर भी जनता ने अपने विचार रखे. लोगों का कहना हरिद्वार में बीते कुछ सालों में बेरोजगारी बढ़ी है. इसके साथ ही कोरोनाकाल में हुए नुकसान के बाद यहां का व्यापारी वर्ग भी बीजेपी से खासा नाराज दिखाई दे रहा है.
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वहीं, बात अगर दलों की करें तो बीजेपी के लोगों का कहना है कि इस बार भी जनता मदन कौशिक को विजयी बनाएगी. इसके लिए उन्होंने 20 साल बेमिसाल का नारा दिया है. उनका कहना है कि 2002 के हरिद्वार के बाद यहां मूलभूत सुविधाओं को लेकर काम हुआ है. यहां के विधायक मदन कौशिक ने खूब काम किया है.
कांग्रेस ने गिनाई उपलब्धियां: वहीं, कांग्रेस ने कहा उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान हरिद्वार में कई काम किए. मेला हॉस्पिटल, ऋषिकुल, ज्वालापुर पुल जैसे काम कांग्रेस शासन में हुए. कांग्रेस ने कोरोना को लेकर भी भाजपा को घेरा. कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आज हरिद्वार का युवा बेरोजगार है. यहां युवा नशे के आदी हो रहे हैं. कांग्रेस ने कहा भाजपा और मदन कौशिक और सांसद ने यहां कोई भी काम नहीं किया.
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कांग्रेस के हाथ में नहीं आया हरिद्वार: उत्तराखंड में भले एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी के सत्तारूढ़ होने का ट्रेंड चला आ रहा हो, लेकिन हरिद्वार शहर की सीट पर इस ट्रेंड का कोई असर राज्य गठन के बाद से नहीं पड़ा है. यहां पर अब तक एकतरफा बीजेपी अपना कमल खिलाने में कामयाब रही है. इसका बड़ा कारण यह था कि बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ कांग्रेस की सबसे बड़ी चूक ये रही है कि पार्टी कभी कोई दमदार प्रत्याशी खड़ा ही नहीं कर पाई.
बीजेपी को मिली हर बार जीत: पहली बार जब बीजेपी से मदन कौशिक को टिकट मिला था तो उस समय कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता पारस कुमार जैन को मैदान में उतारा था, लेकिन उस समय कांग्रेस से बगावत कर बसपा के हाथी पर विकास चौधरी के सवार हो जाने के कारण कांग्रेस के समीकरण ऐसे बदले की फिर बीजेपी ने जिले में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बीजेपी की पहली जीत के बाद से हरिद्वार सीट पर अब तक कभी कांग्रेस कोई ऐसा दमदार चेहरा भी नहीं उतार पाई जो मदन कौशिक की नींव को हिला सके.
हरिद्वार में बीते बीस सालों से मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा है. लेकिन जनता बीते चार चुनावों से अपना आशीर्वाद बीजेपी प्रत्याशी को ही देती आई है. आखिरी बार हरिद्वार में कांग्रेस 1984 में जीतकर आई थी. उसके बाद कांग्रेस को जीत का स्वाद चखने का मौका नहीं मिला. इस बार कांग्रेस ने पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी को अपना चेहरा बनाया है. जबकि बीजेपी ने अपने चार बार से लगातार जीत दर्ज कराते आ रहे मदन कौशिक को ही चुनावी मैदान में उतारा है.
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कांग्रेस की हार का बड़ा कारण: आखिरी के तीनों विधानसभा चुनाव टिकट मिलने के बाद से ही एक तरफा नजर आते रहे हैं. कमजोर प्रत्याशी के साथ कांग्रेस की हार में अंदरूनी गुटबाजी भी हमेशा से बड़ा कारण रही है. इस बार भले कांग्रेस ने दमदार प्रत्याशी मैदान में उतारा हो, लेकिन इससे भी कांग्रेस का एक धड़ा खफा है, जो एक बार फिर हरिद्वार में कांग्रेस को कमजोर कर सकता है.
बीजेपी की राह भी आसान नहीं: बीजेपी की बात करें तो इस बार जीत की राह बीजेपी के लिए भी आसान नजर नहीं आ रही है. बीते चार चुनावों में मदन कौशिक को बीजेपी समर्थित नेताओं व कार्यकर्ताओं ने एक तरफा समर्थन कर जीत दिलाई, लेकिन तीन साल पहले हरिद्वार नगर निगम चुनाव में जो हुआ, उससे इस बार समीकरण बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं.
मदन कौशिक ने अन्नू कक्कड़ को हरिद्वार नगर निगम चुनाव में बीजेपी का मेयर प्रत्याशी बनवाया था. बीजेपी के सबसे ज्यादा पार्षद जीत कर आए थे. बावजूद उसके अन्नू कक्कड़ मेयर का चुनाव हार गई थीं और इसके बाद मदन कौशिक का भी विरोध शुरू हो गया था. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 आते-आते हरिद्वार सीट पर आशुतोष शर्मा, पूर्व मेयर मनोज गर्ग, पूर्व पार्षद कन्हैया खेवड़िया ने कौशिक के खिलाफ ताल ठोक दी थी.
हरिद्वार सीट का जातीय समीकरण: हरिद्वार विधानसभा सीट (Hardwar Assembly Seat) उत्तराखंड की एक महत्वपूर्ण सीट है. इस सीट पर 1,42,469 मतदाता हैं, जिसमें 78,144 पुरुष और 64,348 महिला मतदाता हैं. वहीं बात करें इस सीट के जातीय समीकरण की तो यहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं के 35 फीसदी हैं, जबकि दूसरे स्थान पर पंजाबी समुदाय के मतदाताओं की आबादी 20 फ़ीसदी है. ठाकुर 15 फ़ीसदी हैं, जबकि वैश्य समुदाय की आबादी 10 फीसदी है.
अब तक हुए विस चुनावों के नतीजे: साल 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मदन कौशिक 61,742 मत लेकर चौथी बार विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस के ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी को 35,927 वोटों से हराया था. तब ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी को कुल 25,815 वोट मिले. वे दूसरे स्थान पर रहे. बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी अंजू मित्तल को मात्र 2,661 वोट मिले. साल 2017 में इस सीट पर कुल 9 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इस साल कुल 67.44 % मतदान हुआ.
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साल 2012 में हुए चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाता 1,21,669 थे. जिनमें 67,985 पुरुष और 53,684 महिला मतदाता थे. इनमें से कुल 82,441 वोट पड़े. इस साल 68.82% मतदान हुआ. उसमें भाजपा के प्रत्याशी मदन कौशिक लगातार तीसरी बार विजयी हुए. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी को 8,620 वोट से हराया.
साल 2007 में हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मदन कौशिक ने अपने प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के अम्बरीश कुमार को 28,640 वोटों से पराजित करके लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी. 2002 में हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मदन कौशिक की जीत की शुरुआत हुई. मदन कौशिक उत्तराखंड बनने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में 2,992 वोटों से विजयी हुए.