हरिद्वार: कुंभ मेले में शामिल होने द्वारिका शारदा और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भी हरिद्वार पहुंच गए हैं. उनका ढोल नगाड़ों के साथ जोरदार स्वागत किया गया. कनखल शंकराचार्य मठ पहुंचने पर उनका आरती पूजन किया गया. कुंभ मेले में शंकराचार्य का शिविर कई दिन पहले शुरू हो गया है, जहां पर प्रतिदिन संध्या गंगा आरती आयोजित की जा रही है.
सरकारी आदेश पर चलता है कोरोना
धर्मनगरी पहुंचने पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि कोरोना भी अब सरकारी आदेश पर चलता है. उन्होंने कहा कि चरक नाम का प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रंथ है, उसमें लिखा गया है कि जब राजा और प्रजा अधर्म करती है तो प्रकृति अपना स्वरूप बदल लेती है. ऐसा ही अब भारत में देखने को मिल रहा है.
पीछा नहीं छुड़ा सकती सरकार
सरकार द्वारा कुंभ मेले में श्रद्धालुओं पर की जा रही सख्ती को लेकर स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि कुंभ मेला 12 साल बाद आता है, इस कारण सरकार को श्रद्धालुओं के लिए अच्छी व्यवस्था के सभी इंतजाम करने चाहिए. सरकार इससे अपना पीछा नहीं छुड़ा सकती कि उनको आने ही न दे. ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी श्रद्धालु अपनी जांच कराएं.
उन्होंने कहा कि सरकार महाकुंभ में कोविड की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) थोपकर श्रद्धालुओं को रोकना और स्नान से वंचित करना अन्याय है. सरकार को श्रद्धालुओं की सेवा का पूरा प्रबंध करना चाहिए। बॉर्डर पर जांच की सुविधा बढ़ानी चाहिए.
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राम मंदिर ट्रस्ट में फर्जी लोग शामिल
वहीं, राम मंदिर के मामले पर स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि मंदिर ट्रस्ट में फर्जी शंकराचार्य वासुदेवानंद जैसे लोग शामिल किए गये हैं, मगर राम मंदिर के मौजूदा ट्रस्ट में चारों पीठों के शंकराचार्य को रखना चाहिए था. जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और अयोध्या में मंदिर को लेकर हिंसा होने लगी, तब 65 एकड़ भूमि को सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था, उसमें राम जन्म भूमि भी सम्मिलित थी. उनके द्वारा घोषणा की गई थी कि अब यह भूमि सरकारी है, यदि धर्माचार्य चाहेंगे तो उन्हें राम मंदिर के लिए भूमि दी जा सकती है.
सरकार ने बदला फैसला
इसको लेकर हमारे द्वारा सिंगिरी में संत सम्मेलन किया गया. उसमें प्रस्ताव पास हुआ और सरकार से मांग की गई कि राम मंदिर बनाने के लिए हमें जमीन दी जाए. सरकार ने हमें ट्रस्ट बनाने की बात कही. हमारे द्वारा ट्रस्ट बनाया गया और उसमें चारों शंकराचार्य, 13 अखाड़े और कई साधु संतों को सम्मिलित किया गया और कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा की गई ताकि उसके बाद हम भगवान राम का भव्य मंदिर बनाएंगे. मगर अब सरकार द्वारा राम मंदिर के लिए बनाए गए ट्रस्ट मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को रखा गया. शंकराचार्य का कहना है कि ये लोग हिंदू धर्म को मानते ही नहीं. जो वेदों को नहीं मानते वो मंदिर को कैसे मानेंगे. उनका कहना है कि इस ट्रस्ट में फर्जी शंकराचार्य वासुदेवानंद जैसे लोग शामिल हैं.
कृषि कानूनों पर भी रखी राय
वहीं, कृषि कानूनों को लेकर जारी विरोध को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश हैं. यहां सरकार जनता की सेवक है, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार अभिभावक बन गई है. किसानों ने कृषि कानून बनाने की मांग नहीं की, लेकिन सरकार ने उनपर कानून थोप दिए. अगर किसान वोटर सरकार बनाता है तो बदल भी सकता है.
गौर हो कि आगामी आठ अप्रैल को कनखल स्थित मठ से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की भव्य पेशवाई निकलेगी. पेशवाई में पहली बार मां गंगा की पवित्र छड़ी भी शामिल होगी. शोभायात्रा शहर से होते हुए चंडीटापू स्थित शंकराचार्य नगर पहुंचेगी. यहां शंकराचार्य अपने शिविर में प्रवेश करेंगे.