हरिद्वारः यूं तो उत्तराखंड में संस्कृत द्वितीय भाषा है, लेकिन यहां संस्कृत के अध्यापक ही अपने मानदेय को लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं. अशासकीय/ प्रबंधकीय संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय के 155 शिक्षकों को 2021 में जारी हुए शासनादेश के बाद सम्मानजनक मानदेय दिया जा रहा है. जबकि, अभी भी 126 शिक्षक ऐसे हैं, जो अपने मानदेय को लेकर शासन प्रशासन के सामने लगातार गुहार लगाते आ रहे हैं. बीते दिनों इन शिक्षकों ने अपनी मांग को पूरी करने को लेकर जहां सरकार से अपील की तो वहीं मांग पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी थी. जिसके बाद आज 3 मार्च से संस्कृत शिक्षा के निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
बता दें कि संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय में कार्यरत संस्कृत अध्यापकों को सरकार की ओर से साल 2021 में एक शासनादेश जारी कर उचित मानदेय दिए जाने की बात की गई थी. जिसके बाद संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय में कार्यरत 155 संस्कृत अध्यापकों को उचित मानदेय दिए जाने लगा, लेकिन किन्हीं कारणों से संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत 126 ऐसे संस्कृत अध्यापक सरकार की इस योजना से वंचित रह गए थे. जो लगातार सरकार से खुद 2021 में जारी शासनादेश में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं.
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बीती 21 मार्च को हरिद्वार प्रेस क्लब में इन 126 संस्कृत अध्यापकों ने एक प्रेस वार्ता की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि वे सभी सरकार के हर स्तर पर अपनी बात रखते चले आ रहे हैं, लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी उनकी मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर अपनी बात रख चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई भी आदेश जारी नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि अपनी मांगों पर कार्रवाई को लेकर निदेशक को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया था. अब 10 दिन बीत जाने के बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में अब सभी 126 संस्कृत अध्यापकों ने संस्कृत निदेशालय के बाहर आंदोलन शुरू कर दिया है.