हरिद्वार: चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई त्रासदी पर धर्मनगरी के संतों में भी चिंता बनी हुई है. संतों ने आपदा से बचाव के लिये जूना अखाड़े में शांति यज्ञ और हवन पूजन किया साथ ही आपदा प्रभावितों व उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.
निरंजनी अखाड़े के नवनियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा है कि यह उत्तराखंड देवों की भूमि है. यहां हिमालय होने से इस प्रदेश में लगातार ऐसी आपदाएं आती रहती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं. सभी घटना से बहुत दुखी हैं. कैलाशानंद गिरी ने उन अफवाहों पर ध्यान न देने को कहा है, जिनके कारण भय की स्थिति पैदा हो.
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वहीं, श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज का कहना है कि इस आपदा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए हवन किया गया है और देवी-देवताओं से प्रार्थना की गई है प्रदेश को आपदा से भारी नुकसान न हो. उत्तराखंड में आयी प्राकृतिक आपदा ने प्रत्येक व्यक्ति को झकझोर दिया है. उन्होंने कहा कि संत समाज आपदा प्रभावितों व उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता है और सरकार से मांग है कि आपदा प्रभावित सभी परिवारों को पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराए.