हरिद्वार: धर्म नगरी हरिद्वार में धर्म संसद (Haridwar Dharm Sansad hate speech case) का विवाद लगातार बना हुआ है. जहां आज सुप्रीम कोर्ट में धर्म संसद को लेकर सुनवाई हुई, वहीं धर्मनगरी हरिद्वार के शांभवी धाम में आज धर्म संसद आयोजन समिति ने एक बैठक का आयोजन किया. इसमें 16 जनवरी को हरिद्वार के बैरागी कैंप में होने वाली प्रतिकार सभा की रूपरेखा बनाई गई.
बैठक के बाद जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने सरकार को चेताते हुए कहा कि सरकार को तुरंत संतों पर हुए मुकदमे वापस लेने चाहिए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो गंंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. उन्होंने कहा जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ तो ये देश हिंदुओं का है. धर्म संसद में संतों ने सिर्फ हिंदुत्व की बात की थी.
धर्म संसद के आयोजक रहे स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा जिस तरह से संतों पर मुकदमे दर्ज हुए वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार को संतों से माफी मांगनी चाहिए और संतों पर हुए मुकदमे वापस होने चाहिए. आनंद स्वरूप ने कहा कि संत समाज मुकदमों से डरने वाला नहीं है. संतों ने पहले भी हिंदुत्व को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी और अब भी लड़ेंगे.
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उन्होंने कहा कि 16 जनवरी को प्रतिकार सभा और सतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाएगा. जिसमें देश को कोरोना से मुक्त करने की प्रार्थना की जाएगी. उन्होंने कहा इस यज्ञ में हरिद्वार के समस्त संत और सभी अखाड़े शामिल होंगे और उत्तराखंड के सभी राष्ट्र प्रेमी हिन्दू प्रेमी लोग भाग लेंगे.
ये है पूरा मामला: सनातन धर्म की रक्षा और संवर्धन के लिए धर्मनगरी हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 17 से 19 दिसंबर तक तीन दिवसीय धर्म संसद हुई थी. हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar dharma sansad) के 4 दिन बाद सोशल मीडिया पर साधु-संतों द्वारा दिए गए बयानों से बवाल मचा गया था. सोशल मीडिया पर इन बयानों की निंदा की गई. धर्म संसद में वक्ताओं पर कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्ट्र' के लिए संघर्ष के आह्वान का आरोप लगा था. धर्म संसद में 500 के आसपास महामंडलेश्वर महंत थे और 700-800 अन्य संत थे. इस मामले में 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. उनमें वसीम रिजवी, यति नरसिंहानंद और अन्नपूर्णा शामिल हैं. जिसके बाद से संतों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है. संत समाज ने उत्तराखंड सरकार से माफी मांगने को कहा है.