हरिद्वार: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim ) की रिहाई को लेकर उनके शिष्यों द्वारा संतों को एकत्र कर उनका समर्थन लिया जा रहा है. इसी कड़ी में राम रहीम के शिष्य द्वारा बनाए गए जन अधिकार मोर्चा (Jan Adhikar Morcha) ने रविवार को हरिद्वार में संत अधिवेशन का आयोजन कराया, जिसमें कई संत मौजूद रहे. सभी ने केंद्र सरकार से महिला उत्पीड़न मामले में जेल काट रहे राम रहीम को न्याय दिलाने की मांग की. अधिवेशन में शामिल हुए संतों का कहना है कि राम रहीम को झूठे आरोपों में फंसाया गया है. सरकार को उनके समाज हित में किए गए कार्यों को देखते हुए उनकी रिहाई का रास्ता सुलझाना चाहिए.
अधिवेशन के संयोजक राजेश शर्मा ने कहा कि जन अधिकार मोर्चा ने दो दिवसीय संत अधिवेशन का आयोजन किया है, जिसमें संतों को न्याय दिलाने को लेकर चर्चा की गई. अधिवेशन में संतों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि राम रहीम ने समाज हित में किए कार्य किए. उन्हें जिन झूठे आरोपों में जेल भेजा गया है उनसे बरी करते हुए उन्हें न्याय दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आगामी 1 जून से 30 जून तक जन अधिकार मोर्चा गांव-गांव जाकर जनसंपर्क करेगा और राम रहीम को छोड़े जाने के संबंध में लोगों से समर्थन एकत्र किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो फैसला निचली अदालत ने किया है, उसकी अपील ऊपरी अदालत में की जाएगी. अशोकानंद गिरि ने भी राम रहीम के धार्मिक कार्यों को देखते हुए झूठे आरोपों से बरी किया जाना चाहिए.
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क्या है पूरा मामला: दुष्कर्म और हत्या मामले में सजायाफ्ता डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त, 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष अदालत में सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों का यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. जनवरी, 2019 में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में भी राम रहीम को दोषी करार दिया. इस मामले में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. अक्टूबर, 2021 में एक अन्य मामले में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या मामले में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई.