लक्सर: त्रिवेंद्र सरकार ने हरिद्वार जिले में कितना विकास किया है. इसका एक उदाहरण रुड़की-लक्सर मार्ग पर देखने को मिल सकता है. बेकार पड़ी सड़क से यह पता चल जाता है कि जमीनी स्तर पर कितना विकास हुआ है.
बेहतर सड़क विकास की पहली सीढ़ी मानी जाती है, लेकिन हरिद्वार में जिले ये विकास हकीकत से कोसों दूर है. रुड़की-लक्सर मार्ग पर लोग जान हथेली पर रखकर सफर करते हैं. राहगीर जोखिम भरी सड़कों पर आवागमन को मजबूर हैं. स्थानीय लोग कई बार प्रशासन से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक से सड़क को सही कराने के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी के भी कानों पर जूं नहीं रेंगी.
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सड़क की बदहाल स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रुड़की से लक्सर की दूरी 20 किमी की है, लेकिन इस छोटे से सफर को तय करने में 1 घंटे से भी ज्यादा का वक्त लगा जाता है. बारिश में तो हालात और खराब हो जाते हैं. सड़क पर जगह-जगह जलभराव के कारण लोगों को गड्ढों का पता नहीं लग पाता है और वो हादसे का शिकार हो जाते हैं.
कांवड़ यात्रा शुरू होने के बाद हरिद्वार-दिल्ली नेशनल हाईवे बंद हो जाता है. इस दौरान रुड़की से हरिद्वार जाने वाला सारा ट्रैफिक बाया लक्सर भेजा जाता है. इस मार्ग पर कांवड़ यात्रा के दौरान बढ़ते ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन ने कुछ समय पहले सड़क का निरीक्षण किया था और संबंधित विभाग को रोड की मरम्मत कराने के निर्देश दिए. बाजवूद इसके रोड की मरम्मत नहीं की गई.
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सड़क की बदहाल स्थिति को लेकर जब उप जिला अधिकारी लक्सर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि लक्सर-रुड़की मार्ग पर जो गड्ढे हैं, उनको लेकर एनएच के अधिकारियों से वार्ता की गई है. सोचने वाली बात ये है कि कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है लेकिन स्थानीय प्रशासन अभी तक वार्ता करने में लगा हुआ है.