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CM धामी की जुबानी 'राजतिलक' की कहानी, ना फोन, ना कोई जानकारी, अचानक बनाया मुख्यमंत्री - political journey of pushkar dhami

पुष्कर सिंह धामी का एक कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर बेहद दिलचस्प है. जहां पुष्कर धामी पीछे बैठते थे और भाषणों से भी बचते थे. एक मौका तो ऐसा भी आया कि वे देहरादून से अपना सामान समेटकर खटीमा पहुंच गए. लेकिन अचानक ही उन्हें प्रदेश की कमान सौंपी गई. सुनिए मुख्यमंत्री बनने की कहानी, उन्हीं की जुबानी..

pushkar singh dhami
पुष्कर सिंह धामी
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Published : Nov 11, 2021, 7:07 PM IST

Updated : Nov 11, 2021, 7:31 PM IST

हरिद्वार: आज हम आपको एक ऐसी जानकारी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसमें पीछे बैठने वाला और भाषण से बचने वाला विधायक अचानक प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसे बना? जी हां, आज एक कार्यक्रम के दौरान सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने एक आम कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को साझा किया. साथ ही बताया कि वो कैसे कई बार मंत्री बनते-बनते रह गए और अचानक से ही मुख्यमंत्री बना दिए गए.

दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) गुरुवार को हरिद्वार दौरे पर रहे. जहां वे सबसे पहले गोपाष्टमी महापर्व पर गैंडीखाता क्षेत्र के वसुचंद्रपुर में स्थित कृष्णयान गौरक्षाशाला के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान सीएम धामी ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी सुनाई. उन्होंने बताया कि बीजेपी सरकार की तरफ से जब भी मंत्रिमंडल का गठन या विस्तार किया जाता तो उनका नाम भी चर्चाओं में रहता था, लेकिन वो केवल चर्चाओं भर ही रह जाता था.

CM धामी की जुबानी 'राजतिलक' की कहानी.

ये भी पढ़ेंः मोदी फैक्टर के साथ BJP के लिए कितने कारगर होंगे धामी, चुनाव से पहले लोगों का मूड भांप रहे राजनीतिक दल

2022 के चुनाव के बाद ही देहरादून आने का बनाया था मनः सीएम धामी ने बताया कि जब तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो अखबारों में उन्हें डिप्टी सीएम बनाने की भी चर्चा चली, लेकिन यहां भी वे केवल चर्चाओं तक ही रहे. एक बार तो उन्होंने मन बना लिया था कि अब वे देहरादून 2022 के चुनाव के बाद ही आएंगे. उससे पहले राजधानी की तरफ रूख भी नहीं करेंगे. इसके लिए उन्होंने अपना सारा सामान भी अपनी विधानसभा क्षेत्र के आवास में शिफ्ट कर दिया था.

ये भी पढ़ेंः ईटीवी भारत से बोले धामी- चुनाव नहीं चुनौती, प्रदेश के इस काम पर मेरा फोकस

राष्ट्रीय-प्रदेश कार्यालय के साथ किसी बड़े नेता का नहीं आया फोनः उन्होंने बताया कि एक दिन अचानक परिस्थितियां बदली और उन्हें देहरादून बुलाया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि यह बात सच है कि उनका मुख्यमंत्री बनना एक आश्चर्य है. क्योंकि, मुख्यमंत्री चुने जाने से पूर्व उनके पास ना तो राष्ट्रीय कार्यालय और ना ही प्रदेश कार्यालय से फोन आया. इतना ही नहीं किसी बड़े नेता ने भी फोन नहीं किया कि उन्हें मुख्यमंत्री चुना जा रहा है.

बैठक में बैठे थे पीछे, अचानक प्रस्ताव में रखा नामः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि देहरादून में बुलाई गई विधानमंडल की बैठक में वो अपने पूर्व के व्यवहार के चलते पीछे ही बैठे थे, लेकिन केंद्र से आए प्रभारी मंत्री ने नेता सदन के लिए उनके नाम का प्रस्ताव रखा. जिसे सुन वो भी चौंक गए. उसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की गई.

हरिद्वार: आज हम आपको एक ऐसी जानकारी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसमें पीछे बैठने वाला और भाषण से बचने वाला विधायक अचानक प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसे बना? जी हां, आज एक कार्यक्रम के दौरान सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने एक आम कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को साझा किया. साथ ही बताया कि वो कैसे कई बार मंत्री बनते-बनते रह गए और अचानक से ही मुख्यमंत्री बना दिए गए.

दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) गुरुवार को हरिद्वार दौरे पर रहे. जहां वे सबसे पहले गोपाष्टमी महापर्व पर गैंडीखाता क्षेत्र के वसुचंद्रपुर में स्थित कृष्णयान गौरक्षाशाला के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान सीएम धामी ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी सुनाई. उन्होंने बताया कि बीजेपी सरकार की तरफ से जब भी मंत्रिमंडल का गठन या विस्तार किया जाता तो उनका नाम भी चर्चाओं में रहता था, लेकिन वो केवल चर्चाओं भर ही रह जाता था.

CM धामी की जुबानी 'राजतिलक' की कहानी.

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2022 के चुनाव के बाद ही देहरादून आने का बनाया था मनः सीएम धामी ने बताया कि जब तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो अखबारों में उन्हें डिप्टी सीएम बनाने की भी चर्चा चली, लेकिन यहां भी वे केवल चर्चाओं तक ही रहे. एक बार तो उन्होंने मन बना लिया था कि अब वे देहरादून 2022 के चुनाव के बाद ही आएंगे. उससे पहले राजधानी की तरफ रूख भी नहीं करेंगे. इसके लिए उन्होंने अपना सारा सामान भी अपनी विधानसभा क्षेत्र के आवास में शिफ्ट कर दिया था.

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राष्ट्रीय-प्रदेश कार्यालय के साथ किसी बड़े नेता का नहीं आया फोनः उन्होंने बताया कि एक दिन अचानक परिस्थितियां बदली और उन्हें देहरादून बुलाया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि यह बात सच है कि उनका मुख्यमंत्री बनना एक आश्चर्य है. क्योंकि, मुख्यमंत्री चुने जाने से पूर्व उनके पास ना तो राष्ट्रीय कार्यालय और ना ही प्रदेश कार्यालय से फोन आया. इतना ही नहीं किसी बड़े नेता ने भी फोन नहीं किया कि उन्हें मुख्यमंत्री चुना जा रहा है.

बैठक में बैठे थे पीछे, अचानक प्रस्ताव में रखा नामः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि देहरादून में बुलाई गई विधानमंडल की बैठक में वो अपने पूर्व के व्यवहार के चलते पीछे ही बैठे थे, लेकिन केंद्र से आए प्रभारी मंत्री ने नेता सदन के लिए उनके नाम का प्रस्ताव रखा. जिसे सुन वो भी चौंक गए. उसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की गई.

Last Updated : Nov 11, 2021, 7:31 PM IST
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