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गंगा में पानी हुआ कम, मायूस पुजारी बोले- व्यापारियों और पुरोहितों की आजीविका पर पड़ रहा असर

गंगा में पानी रोके जाने के कारण काफी कम श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं की संख्या में कमी की वजह से मंदिरों में चढ़ावा भी नाम मात्र का ही चढ़ रहा है. जिससे पुजारी काफी मायूस हैं.

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Published : Oct 19, 2019, 11:24 PM IST

गंगा बंदी से पुजारी मायूस

हरिद्वारः धर्मनगरी में इन दिनों गंगा का पानी रोक दिया गया है. जिससे हर की पैड़ी में जलस्तर काफी कम हो गया है. ऐसे में तीर्थयात्री और पर्यटक की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. उधर, इसका असर व्यापारियों और पुरोहितों पर भी पड़ रहा है. श्रद्धालुओं के ना पहुंचने से मंदिर सूने पड़े हैं. जिससे पुजारी और व्यापारी काफी मायूस नजर आ रहे हैं. पुरोहितों का कहना है कि श्रद्धालुओं के कमी से मंदिर में चढ़ावा नहीं चढ़ रहा है. साथ ही सामानों की बिक्री भी कम हो रही है.

गंगा बंदी से पुजारी और व्यापारी मायूस.

गंगा को मोक्ष दायिनी और पाप नाशिनी के साथ करोड़ों लोगों की जीवन रेखा भी कहा जाता है. गोमुख से गंगासागर तक अपने तटवर्ती इलाकों में लोगों की आजीविका का साधन भी है. हरिद्वार में इस समय गंगा बंदी के कारण व्यापार में कमी आई है. तमाम मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंच रहे हैं. इन मंदिरों के पुजारियों का घर परिवार श्रद्धालुओं के चढ़ावे से ही चलता है, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या में कमी की वजह से मंदिरों में चढ़ावा भी नाम मात्र का ही चढ़ रहा है. जिससे पुजारी काफी मायूस हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशीः 1991 की काली रात को याद कर सिहर उठते हैं ग्रामीण, देखें Exclusive तस्वीर

पुजारियों का कहना है कि गंगा का पानी रोके जाने से काफी कम श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच रहे हैं. गंगा बंदी के दौरान 70 फीसदी यात्रियों में कमी आ जाती है. तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने कहा कि श्रद्धालुओं का उद्देश्य गंगा में स्नान करके पुण्य कमाना होता है, लेकिन गंगा बंदी से गंगा में जल नहीं होने से श्रद्धालु हरिद्वार का रुख नहीं करते हैं. इससे पुरोहितों की आजीविका पर काफी फर्क पड़ता है.

हरिद्वारः धर्मनगरी में इन दिनों गंगा का पानी रोक दिया गया है. जिससे हर की पैड़ी में जलस्तर काफी कम हो गया है. ऐसे में तीर्थयात्री और पर्यटक की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. उधर, इसका असर व्यापारियों और पुरोहितों पर भी पड़ रहा है. श्रद्धालुओं के ना पहुंचने से मंदिर सूने पड़े हैं. जिससे पुजारी और व्यापारी काफी मायूस नजर आ रहे हैं. पुरोहितों का कहना है कि श्रद्धालुओं के कमी से मंदिर में चढ़ावा नहीं चढ़ रहा है. साथ ही सामानों की बिक्री भी कम हो रही है.

गंगा बंदी से पुजारी और व्यापारी मायूस.

गंगा को मोक्ष दायिनी और पाप नाशिनी के साथ करोड़ों लोगों की जीवन रेखा भी कहा जाता है. गोमुख से गंगासागर तक अपने तटवर्ती इलाकों में लोगों की आजीविका का साधन भी है. हरिद्वार में इस समय गंगा बंदी के कारण व्यापार में कमी आई है. तमाम मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंच रहे हैं. इन मंदिरों के पुजारियों का घर परिवार श्रद्धालुओं के चढ़ावे से ही चलता है, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या में कमी की वजह से मंदिरों में चढ़ावा भी नाम मात्र का ही चढ़ रहा है. जिससे पुजारी काफी मायूस हैं.

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पुजारियों का कहना है कि गंगा का पानी रोके जाने से काफी कम श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच रहे हैं. गंगा बंदी के दौरान 70 फीसदी यात्रियों में कमी आ जाती है. तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने कहा कि श्रद्धालुओं का उद्देश्य गंगा में स्नान करके पुण्य कमाना होता है, लेकिन गंगा बंदी से गंगा में जल नहीं होने से श्रद्धालु हरिद्वार का रुख नहीं करते हैं. इससे पुरोहितों की आजीविका पर काफी फर्क पड़ता है.

Intro:हरिद्वार में इस वक्त गंगा बंदी चल रही है और गंगा बंदी के बाद हरिद्वार का तमाम व्यापारी काफी मायूस नजर आ रहा है तो वही हरिद्वार तीर्थ नगरी होने की वजह से लाखों की तादाद मे श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं और तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावा चढ़ाया जाता है मगर यात्रियों की कमी होने की वजह से मंदिर भी सूने पड़े हैं और मंदिर मैं चढ़ावा ना चढ़ने की वजह से पुजारी भी काफी मायूस है क्योंकि मां गंगा में डुबकी लगाने आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की वजह से ही इन पुजारियों और व्यापारियों का घर परिवार चलता है


Body:गंगा मोक्ष दायिनी है और पाप नाशिनी है मगर गंगा गोमुख से गंगासागर तक अपने तटवर्ती इलाकों में लोगों की आजीविका का साधन भी है और तमाम गंगा किनारे रहने वाले लोग गंगा की वजह से ही अपनी आजीविका चला रहे हैं हरिद्वार में इस वक्त गंगा बंदी के कारण हरिद्वार का व्यापार ठप है तो वहीं हरिद्वार के तमाम मंदिरों में भी भगवान भक्तों की इंतजार में है क्योंकि इन मंदिरों में हरिद्वार आने वाले लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करते हैं इस वजह से ही इन मंदिरों के पुजारियों का घर परिवार चलता है गंगा बंदी के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में कमी की वजह से मंदिरों में चढ़ावा भी नाम मात्र का ही चढ़ रहा है इस वजह से मंदिरों के पुजारी काफी मायूस है

हर की पौड़ी स्थित तमाम मंदिर है इन मंदिरों में बैठे पुजारियों की रोजी रोटी का एकमात्र सहारा श्रद्धालुओं द्वारा दान ही है हर की पौड़ी पर गंगा बंदी के कारण मंदिर सूने पड़े हैं और चढ़ावा भी नहीं चल रहा है मंदिर के पुजारी का कहना है कि गंदा बंदी के कारण श्रद्धालुओं के हरिद्वार आने में काफी कमी आई है इस वजह से मंदिर में श्रद्धालु नाम मात्र के ही आ रहे हैं इससे काफी फर्क पड़ रहा है गंगा बंदी के दौरान 70% यात्रियों में कमी आ जाती है यात्रियों की हरिद्वार आने की कमी की वजह से चढ़ावे में भी कमी होती है और मंदिर भी सूने पड़े रहते हैं

बाइट-रजनीश बड़ौनी--मंदिर पुजारी

तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि गंगा बंदी के दौरान श्रद्धालु कम मात्रा में हरिद्वार आते हैं क्योंकि श्रद्धालुओं का एकमात्र उद्देश्य होता है कि गंगा में स्नान करके पुण्य कमाना मगर जब हरिद्वार में गंगा बंदी का संदेश जाता है कि हरिद्वार में गंगा जल नहीं है गंगा में निर्माण कार्य को लेकर बंद है तो श्रद्धालुओं में हरिद्वार आने की मात्रा कम हो जाती है और इस वजह से मंदिरों में चढ़ावा भी कम आता है इससे पुरोहितों की आजीविका पर फर्क पड़ता है क्योंकि जब गंगाजल कल कल बहता है तो आस्था का सैलाब भी चलता है इस वक्त हरिद्वार में गिनती के यात्री आ रहे हैं और जब गंगा बहती है तो श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है की व्यवस्था बनाना भी बड़ा मुश्किल होता है

बाइट-उज्जवल पंडित--तीर्थ पुरोहित


Conclusion:गंगा पृथ्वी पर लोगों का कल्याण करने आई है और वह इस कार्य को निरंतर कर भी रही है गंगा के सहारे ही कई लोगों की आजीविका भी चल रही है मगर इस वक्त गंगा बंदी के कारण हरिद्वार में श्रद्धालुओं के आने की संख्या में काफी कमी है हरिद्वार के तमाम मंदिर सूने पड़े हैं और मंदिरों में चढ़ावा भी नाम मात्र का चढ़ रहा है जिसकी वजह से मंदिरों के पुजारियों को काफी मायूस नजर आ रहे हैं
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