हरिद्वार: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय में स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर शांतिकुंज एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय में होने वाले कार्यक्रम में शामिल हुए (President Ram Nath Kovind visited Shantikunj). इस दौरान उन्होंने शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके साथ ही राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय में स्थित एशिया के प्रथम बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र का अवलोकन किया. राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी मौजूद रहे.
इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या (shantikunj chief pranav pandya) ने राष्ट्रपति को शांतिकुंज स्वर्ण जयंति वर्ष के गायत्री प्रतिमा स्मृति चिन्ह, गंगाजाल, देव संस्कृति विश्वविद्यालय स्वावलंबन विभाग निर्मित जूट बैग व पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रतिपादित सार्वभौम प्रज्ञा योग मार्गदर्शिका भेंट की. इसके बाद राष्ट्रपति ने विवि के प्रांगण में स्मृति स्वरूप रुद्राक्ष के पौधे का भी रोपण किया. राष्ट्रपति ने प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया, यहां विद्यार्थियों ने सामूहिक वैदिक मंत्रोच्चारण कर विश्व कल्याण की प्रार्थना भी की.
बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र का अवलोकन: राष्ट्रपति ने भारत एवं बाल्टिक देशों के संबंधों की मधुरता एवं मजबूती बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित एशिया का प्रथम बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र का अवलोकन (Asias First Center for Baltic Cultural Studies in shantikunj) करते हुए इसके माध्यम से किये जा रहे प्रयासों और अनुसंधानों की प्रशंसा की. दरअसल, बाल्टिक समुद्र के निकट बसे लात्विया, एस्तोनिया, लिथुआनिया बाल्टिक देशों में आते हैं. इस सेंटर के माध्यम से बाल्टिक देशों में भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार का एक प्लेटफार्म मिल रहा है. यह सेंटर विश्व की प्राचीन संस्कृति-देव संस्कृति और वैश्विक शिक्षा को बढ़ावा देने में सहयोगी के रूप में उभरेगा. राष्ट्रपति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय भ्रमण के दौरान मूल्यपरक शिक्षण, योग-आयुर्वेद, अनुसंधान, स्वावलंबन एवं विभिन्न रचनात्मक व शैक्षणिक गतिविधियों में खासी रुचि दिखाई.
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इसके बाद राष्ट्रपति गायत्री तीर्थ शांतिकुंज पहुंचे. शांतिकुंज पहुंचकर उन्होंने युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के पावन कक्ष और पूज्य गुरुदेव द्वारा 1926 में प्रज्वलित अखंड दीपक के दर्शन भी किए. इस दीपक समक्ष युगऋषि ने गायत्री महामंत्र के 24-24 लाख के 24 महापुरश्चरण 24 साल तक अनवरत संपन्न किए हैं. राष्ट्रपति ने एशिया के प्रथम बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र का अवलोकन करने के बाद प्रांगण में रुद्राक्ष का पौधा लगाया.