हरिद्वार: गंगा दशहरा स्नान को लेकर बुधवार को हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई है. आधी रात से ही श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा रहे हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि आज मां गंगा का अवतरण दिवस है. माना जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए वे हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करने आए हैं.
पढ़ें- अब विकास के लिए आप भी दे सकते हैं सरकार को सुझाव, बदले में मिलेगा इनाम
हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है. इस बार 12 जून को ये तिथि पड़ी है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन पतित पावनी मां गंगा ने स्वर्ग से धरती पर अवतरण किया था. इस दिन लोग पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं और दान-पुण्य के काम करते हैं. इस वर्ष गंगा दशहरा अपने आप में कई विलक्षण संयोग लेकर आया है.
वैसे तो हर वर्ष की गंगा दशहरा विशेष होती है, लेकिन इस वर्ष गंगा दशहरा पर 75 सालों बाद एक साथ 10 योग बन रहे हैं. जोकि पौराणिक काल में उस समय बने थे जब भागीरथ की कड़ी तपस्या के बाद मां गंगा भगवान शिव की जटा से होते हुए धरती पर अवतरण किया था.
पुराणों के अनुसार भागीरथी की तपस्या के बाद जब मां गंगा धरती पर आईं थीं तो उस दिन जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी थी, तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में पूजा जाता है. इस दिन गंगा में खड़े होकर जो गंगा स्त्रोत का पाठ करता है उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. आज के दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन दान करने से इसका फल कई हजार गुना होकर मिलता है. साथ ही आज के दिन पितरों के तर्पण पिंडदान का भी विशेष महत्व है. आज के दिन ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है.
पढ़ें- केंद्रीय पर्यटन मंत्री से मिले सतपाल महाराज, केदारनाथ में स्मृति पर्यटन का दिया प्रस्ताव
गंगा दशहरा स्नान का शुभ मुहूर्त
इस शुभ मुहूर्त में पूजा, दान और स्नान करें.
11 जून रात 8:19 से शुरू
12 जून शाम 6:27 तक
क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा?
हिंदु मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा का अवतरण हुआ था. यानी इसी दिन गंगा नदी का धरती पर जन्म हुआ था. गंगा दशहरा से एक प्रचलित कथा के अनुसार ऋषि भागीरथ को अपने पूर्वजों की अस्थियों के विसर्जन के लिए बहते हुए निर्मल जल की आवश्यकता थी. इसके लिए उन्होंने मां गंगा की कठोर तपस्या की, जिससे मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं. लेकिन गंगा के तेज बहाव के कारण वह अस्थियां विसर्जित नहीं कर पाए. तब मां गंगा ने कहा कि यदि भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में समा कर पृथ्वी पर मेरी धारा प्रवाह कर दें तो यह संभव हो सकता है. ऋषि भागीरथ ने भगवान शिव की तपस्या कर गंगा की धारा जटाओं में समाहित करने का आग्रह किया. इसके बाद शिव ने गंगा की एक छोटी सी धारा को पृथ्वी की ओर प्रवाहित कर दिया. तब जाकर भागीरथ अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित कर पाए और इस तरह गंगा का धरती पर अवतार हुआ.
पढ़ें- चारधाम यात्राः श्रद्धालु इस तरह करें ओवर रेटिंग की शिकायत, तुरंत होगी कार्रवाई
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
गंगा दशहर पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. हरिद्वार एसएसपी जन्मेजय खंडूरी का कहना है कि हर की पौड़ी क्षेत्र और आसपास के घाट पर पुलिस बल तैनात किया गया है. ट्रैफिक व्यवस्था को देखते हुए हाई-वे पर भी पुलिस की तैनाती की गई है. सुबह के मुकाबले भीड़ बढ़ गई है. इसलिए रूट डायवर्जन किया गया है. आने वाले श्रद्धालुओं की गाड़ियों की बैरागी कैंप और पंतदीप पार्क में पार्किंग की व्यवस्था की गई है. पूरे मेला क्षेत्र को 6 सुपर ज़ोन, 13 ज़ोन और 38 सेक्टर में विभाजित किया गया है. एसएसपी का कहना है कि दिन चढ़ने के साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा होगा.