हरिद्वार: उत्तरी हरिद्वार स्थित योगानन्द योग आश्रम के परमाध्यक्ष योगीराज स्वामी योगानन्द सरस्वती की श्रद्धांजलि सभा में शिष्य स्वामी सत्यव्रतानन्द और शिष्या हरिप्रिया आमने-सामने आ गए हैं. जिस कारण आश्रम के परमाध्यक्ष पद पर स्वामी सत्यव्रतानन्द का पट्टाभिषेक नहीं हो सका. श्रद्धांजलि सभा में मौजूद संत समाज की मौजूदगी में ही दोनों पक्षा में तीखी नोकझोंक हुई.
मामला बढ़ता देख पुलिस को बीच में आना पड़ा. जिसके बाद पुलिस की मौजूदगी में संत समाज ने दोनों पक्षों को दो माह का समय देते हुए आपसी सहमति से मामले का हल करने का कहा. स्वामी सत्यव्रतानन्द व साध्वी हरिप्रिया के बीच हुए विवाद का जबतक पूरा हल नहीं निकलता है तब तक संत समाज की सहमति से पट्टाभिषेक के लिए लायी गयी चादर को गुरू की समाधि पर रख दिया.
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स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि स्वामी योगानन्द के दोनों शिष्य आपसी समन्वय कर आश्रम का संत परंपराओं के अनुरूप संचालन करें. पद के लिए संत समाज में इस तरह के विवादों से समाज में गलत संदेश जाता है. इसलिए आपसी सहमति से विवाद का निपटारा किया जाए. उन्होंने संत समाज का आह्वान करते हुए कहा कि सभी वरिष्ठ संतों को अपने जीवनकाल में ही अपनी विरासत का निपटारा कर देना चाहिए. जिससे आगे चलकर कोई विवाद उत्पन्न न हो.
प्राचीन अवधूत मंडल के महंत रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि इस तरह के विवाद संत पंरपरा के लिए न्यायसंगत नहीं है. आश्रम और अखाड़ों के विवाद संत महापुरूषों के समन्वय से ही हल होने चाहिए. गुरू शिष्य परंपरा का आदि अनादि काल से संत महापुरूषों द्वारा निर्वहन किया जा रहा है. आश्रम-अखाड़ों के स्वामित्व को लेकर विवाद करना उचित नहीं है. आपसी तालमेल बैठाकर ही समस्या का समाधान किया जाना चाहिए.