हरिद्वारः गंगा को स्वच्छ, निर्मल और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए मत्स्य बीज संचयन कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान जिला प्रशासन, मत्स्य विभाग और कई सामाजिक संस्थाओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा में एक लाख मछलियां छोड़ी. डीएम सी. रविशंकर ने मछलियों को जलीय परितंत्र को संतुलित रखने के लिए कारगर बताया.
बता दें कि किसी भी तरह की नहर, नदी या तालाब को स्वच्छ रखने में मछलियों का काफी योगदान होता है. ये मछलियां पानी में प्रदूषण फैलाने वाले कई जीवों को अपना आहार बनाती हैं. जिससे नदी में बहने वाला जल स्वच्छ रहता है और प्रदूषण मुक्त भी. जबकि, यह जैव विविधता का एक प्राकृतिक आधार है. इतना ही नहीं जिस नदी के जल में मछलियां नहीं होती, वहां का पानी प्रदूषित होता जाता है.
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इस कड़ी में स्वच्छता में मछलियों की भूमिका को देखते हुए हरकी पैड़ी पर गंगा में लाखों मछलियां छोड़ी गई. इस दौरान हरिद्वार के जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने कहा कि मत्स्य बीज संचय कार्यक्रम के तहत इन मछलियों को गंगा में डाला गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करना है. साथ ही कहा कि निश्चित तौर पर ये मछलियां गंगा को प्रदूषण मुक्त करने में सहायक साबित होगी.
जिलाधिकारी ने कहा कि यह कार्यक्रम जलाशयों की विकास योजना के तहत किया गया है. जिसमें जलाशयों में मत्स्य संपदा का संवर्धन और संरक्षण पर जोर दिया गया है. मछलियां नदियों के जलीय पर्यावरण को संतुलित रखने में कारगर होती है. उन्होंने कहा कि अब चंडी घाट समेत अन्य जगहों पर मछलियां छोड़ी जाएंगी.