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बैसाखी पर आस्था का सैलाब, स्नानार्थियों की संख्या 13 लाख 51 हजार के पार

14 अप्रैल बैसाखी के पर्व पर बुधवार को तीसरा शाही स्नान भी रहा. इससे पहले हरिद्वार के हरकी पैड़ी समेत विभिन्न घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने सुबह से ही गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. सम्पूर्ण कुम्भ मेला क्षेत्र में स्नानार्थियों की संख्या 13,51,631रही, जिसमें ऋषिकेश, मुनि की रेती, लक्ष्मण झूला क्षेत्र के श्रद्धालु भी शामिल रहे.

Haridwar news
बैसाखी शाही स्नान
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Published : Apr 14, 2021, 7:28 AM IST

Updated : Apr 14, 2021, 6:51 PM IST

हरिद्वारः धर्मनगरी हरिद्वार महाकुंभ के रंग में सराबोर है. 14 अप्रैल मेष संक्रांति पर्व पर महाकुंभ के तीसरा शाही स्नान को हरिद्वार में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया. हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. शाही स्नान होने के कारण हरकी पैड़ी आम श्रद्धालु के स्नान के लिए सुबह 8 बजे तक ही खुली रहेगी. जिसके बाद विभिन्न संतों के अखाड़े शाही स्नान में आएंगे. जब तक सभी 13 अखाड़ों ने हरकी पैड़ी पर स्नान नहीं किया तबतक हरकी पैड़ी आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रही.

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श्रद्धालु गंगा में लगा रहे आस्था की डुबकी.

दरअसल, बैसाखी के अवसर पर गेहूं की फसल तैयार हो जाती है और इस दिन से फसल कटनी शुरू हो जाती है. इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना भी की गई थी. यही वजह है कि यह त्योहार पंजाबी समुदाय में खासे धूमधाम से मनाया जाता है. बैसाखी पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है. स्नान का महत्व होने से हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और गंगा में स्नान कर दान, भंडारा आदि करते हैं. इस साल बैसाखी स्नान कुंभ के मौके पर पड़ा है. ऐसे में श्रद्धालु पुण्य कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. देश भर से आए श्रद्धालु कुंभ पर्व पर गंगा में स्नान कर मां गंगा से आराधना कर रहे हैं कि उनका जीवन शांतिपूर्वक बीते और ईश्वर की कृपा उन पर बनी रहे.

बैसाखी पर आस्था की डुबकी

ये भी पढ़ेंः आस्था के रंग से सराबोर महाकुंभ, मेष संक्रांति पर हो रहा तीसरा शाही स्नान

पंडित मनोज शास्त्री ने बताया कि आज कुंभ स्नान का विशेष योग है. हरकी पैड़ी या गंगा के किसी अन्य गंगा घाट पर किया गया स्नान कई सौ गुना फल देने वाला है. बैसाखी का पर्व यानि गंगा स्नान कर पुण्य कमाने का मौका और उस पर कुंभ पर्व खास है. आज के दिन गंगा में स्नान करने के लिए गंगा तटों पर लोगों की भारी भीड़ जुटी है. हरिद्वार में भी आज तड़के से ही गंगा स्नान करने के लिए हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी.

ये भी पढ़ेंः साल 1915 के महाकुंभ में हरिद्वार आए थे बापू, लोगों की आस्था को बताया था अद्भुत

बैसाखी पर गंगा स्नान से इच्छित मनोकामनाएं होती हैं पूरीः पंडित मनोज त्रिपाठी

पंडित मनोज त्रिपाठी ने कहा कि वैसे तो सभी पर्वों पर गंगा स्नान का महत्व है लेकिन आज के दिन मात्र जलस्नान करना व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान फल दे देता है. आज के दिन अपने पितरों के प्रति तर्पण श्राद्ध आदि करना, पीपल के वृक्ष की पूजा करना उसमें अपने पितरों की कामना करते हुए किसी भी प्रकार से 108 परिक्रमा कर लें तो यह निश्चित समझिए कि व्यक्ति का कितना भी कठिनाईपूर्ण जीवन हो वो सुधर जाता है. साथ ही व्यक्ति की इच्छित मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

देश में एक बार फिर तेजी से फैलते कोविड संक्रमण के बीच बैसाखी स्नान पर पूरे देश से श्रद्धालु हरिद्वार आए हैं. सभी गंगा में स्नान कर गंगा मां से देश से कोरोना महामारी को दूर करने, देशवासियों की कुशलता की कामना कर रहे हैं. वहीं, अपने पितरों को खुश करने के लिए उनके निमित्त पूजा-आराधना भी करवा रहे हैं.

सुबह 8 बजे तक 6 लाख लोगों ने किया स्नान

चारों शाही स्नान और कुंभ के 11 स्नान में बैसाखी का स्नान सबसे बड़ा माना जाता है. सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक साल 2010 में बैसाखी स्नान में 1.60 करोड़ लोग आए थे. इस बार बैसाखी के लिहाज से बहुत कम भीड़ आई है. महाकुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल के अनुसार शाम तक सम्पूर्ण कुम्भ मेला क्षेत्र में स्नानार्थियों की संख्या 13 लाख 51 हजार 631 श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई, जिसमें- ऋषिकेश, मुनि की रेती, लक्ष्मण झूला क्षेत्र के श्रद्धालु भी शामिल रहे.

हरिद्वारः धर्मनगरी हरिद्वार महाकुंभ के रंग में सराबोर है. 14 अप्रैल मेष संक्रांति पर्व पर महाकुंभ के तीसरा शाही स्नान को हरिद्वार में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया. हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. शाही स्नान होने के कारण हरकी पैड़ी आम श्रद्धालु के स्नान के लिए सुबह 8 बजे तक ही खुली रहेगी. जिसके बाद विभिन्न संतों के अखाड़े शाही स्नान में आएंगे. जब तक सभी 13 अखाड़ों ने हरकी पैड़ी पर स्नान नहीं किया तबतक हरकी पैड़ी आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रही.

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श्रद्धालु गंगा में लगा रहे आस्था की डुबकी.

दरअसल, बैसाखी के अवसर पर गेहूं की फसल तैयार हो जाती है और इस दिन से फसल कटनी शुरू हो जाती है. इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना भी की गई थी. यही वजह है कि यह त्योहार पंजाबी समुदाय में खासे धूमधाम से मनाया जाता है. बैसाखी पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है. स्नान का महत्व होने से हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और गंगा में स्नान कर दान, भंडारा आदि करते हैं. इस साल बैसाखी स्नान कुंभ के मौके पर पड़ा है. ऐसे में श्रद्धालु पुण्य कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. देश भर से आए श्रद्धालु कुंभ पर्व पर गंगा में स्नान कर मां गंगा से आराधना कर रहे हैं कि उनका जीवन शांतिपूर्वक बीते और ईश्वर की कृपा उन पर बनी रहे.

बैसाखी पर आस्था की डुबकी

ये भी पढ़ेंः आस्था के रंग से सराबोर महाकुंभ, मेष संक्रांति पर हो रहा तीसरा शाही स्नान

पंडित मनोज शास्त्री ने बताया कि आज कुंभ स्नान का विशेष योग है. हरकी पैड़ी या गंगा के किसी अन्य गंगा घाट पर किया गया स्नान कई सौ गुना फल देने वाला है. बैसाखी का पर्व यानि गंगा स्नान कर पुण्य कमाने का मौका और उस पर कुंभ पर्व खास है. आज के दिन गंगा में स्नान करने के लिए गंगा तटों पर लोगों की भारी भीड़ जुटी है. हरिद्वार में भी आज तड़के से ही गंगा स्नान करने के लिए हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी.

ये भी पढ़ेंः साल 1915 के महाकुंभ में हरिद्वार आए थे बापू, लोगों की आस्था को बताया था अद्भुत

बैसाखी पर गंगा स्नान से इच्छित मनोकामनाएं होती हैं पूरीः पंडित मनोज त्रिपाठी

पंडित मनोज त्रिपाठी ने कहा कि वैसे तो सभी पर्वों पर गंगा स्नान का महत्व है लेकिन आज के दिन मात्र जलस्नान करना व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान फल दे देता है. आज के दिन अपने पितरों के प्रति तर्पण श्राद्ध आदि करना, पीपल के वृक्ष की पूजा करना उसमें अपने पितरों की कामना करते हुए किसी भी प्रकार से 108 परिक्रमा कर लें तो यह निश्चित समझिए कि व्यक्ति का कितना भी कठिनाईपूर्ण जीवन हो वो सुधर जाता है. साथ ही व्यक्ति की इच्छित मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

देश में एक बार फिर तेजी से फैलते कोविड संक्रमण के बीच बैसाखी स्नान पर पूरे देश से श्रद्धालु हरिद्वार आए हैं. सभी गंगा में स्नान कर गंगा मां से देश से कोरोना महामारी को दूर करने, देशवासियों की कुशलता की कामना कर रहे हैं. वहीं, अपने पितरों को खुश करने के लिए उनके निमित्त पूजा-आराधना भी करवा रहे हैं.

सुबह 8 बजे तक 6 लाख लोगों ने किया स्नान

चारों शाही स्नान और कुंभ के 11 स्नान में बैसाखी का स्नान सबसे बड़ा माना जाता है. सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक साल 2010 में बैसाखी स्नान में 1.60 करोड़ लोग आए थे. इस बार बैसाखी के लिहाज से बहुत कम भीड़ आई है. महाकुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल के अनुसार शाम तक सम्पूर्ण कुम्भ मेला क्षेत्र में स्नानार्थियों की संख्या 13 लाख 51 हजार 631 श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई, जिसमें- ऋषिकेश, मुनि की रेती, लक्ष्मण झूला क्षेत्र के श्रद्धालु भी शामिल रहे.

Last Updated : Apr 14, 2021, 6:51 PM IST
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