रुड़की: सूचना के अधिकार के तहत फर्जीवाड़े की जांच के लिए मांगे गए दस्तावेजों में भी सरकारी अधिकारी फर्जीवाड़ा करने से बाज नहीं आ रहे हैं. आवेदक को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न देने के लिए सरकारी कर्मचारी कई तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं. वहीं, सरकारी मशीनरी में लापरवाही किस हद तक पहुंच गई है, इसका साक्षात प्रमाण सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी के मामले में सामने आया है. आरटीआई जैसे संवेदनशील मामलों को भी सरकारी मशीनरी ने गंभीरता से नहीं लिया. सूचना मांगने वाले को कोरे कागज भेज दिए गए.
आपको बता दें पूरा मामला नारसन ब्लॉक का है. जहां बिझौली गांव के निवासी भोजपाल के मुताबिक 13 बिंदुओं को लेकर 20 फरवरी को उन्होंने ग्राम सभा में कराए गए विकास कार्यों की जानकारी रजिस्ट्री द्वारा आरटीआई के तहत खण्ड विकास अधिकारी से मांगी थी. खण्ड विकास अधिकारी ने यह प्रार्थना पत्र ग्राम विकास अधिकारी को भेज दिया. वहीं आवेदक से 444 पेज का सरकारी शुल्क 888 रुपये भी जमा कराए थे.
ये भी पढ़ें: मंडी शुल्क समाप्त होने से हल्द्वानी के किसानों को मिली बड़ी राहत
सूचना मांगने के कुछ दिन बाद आवेदक भोजपाल के पास एक रजिस्ट्री आई. जब भोजपाल ने रजिस्ट्री खोलकर देखी तो उसमें 135 कोरे कागज निकले, जबकि सूचना 444 पेज पर देनी थी जिसका उन्होंने शुल्क भी जमा किया था. उन्होंने बताया कि फिलहाल मैंने सूचना आयोग व खण्ड विकास अधिकारी को इस बारे में शिकायत दर्ज करा दी है. वहीं, खण्ड विकास अधिकारी मुनेश त्यागी का कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है, जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.