हरिद्वार: इंसान और जानवरों के बीच प्रेम-संबंध की अनूठी मिसाल रही निर्मल अखाड़े की पालूत हथिनी पवनकली का निधन हो गया. 80 साल की उम्र में पैरों में कैंसर के चलते हथिनी पवनकली का निधन हुआ. निर्मल अखाड़े में पवनकली का विशेष स्थान था. पवनकली देशभर के चार स्थानों पर आयोजित हुए कुंभ मेलों की गवाह थी. हरिद्वार के निर्मल अखाड़े में संतों ने हथिनी को भू-समाधि दी.
पवनकली पिछले 70 सालों से निर्मल अखाड़े की पालतू थी और देशभर में होने वाले कुंभ में जाकर वह निर्मल अखाड़े का प्रचार-प्रसार करती थी. कई साधु-संतों राजनयिकों और बड़ी हस्तियों को उसने सवारी भी करायी. इसके साथ ही पवन कली ने देश भर में घूम-घूम कर सनातन धर्म का प्रचार- प्रसार किया था. साथ ही गुरु ग्रंथ साहिब को भी अपनी पीठ पर आसीन कराकर पूरे देश का भ्रमण किया था.
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इंसानों और पशुओं के बीच प्रेम और भाईचारे की प्रतीक हथिनी पवनकली निर्मल अखाड़े में साधु-संतों के बीच खासी लोकप्रिय थी. निधन के बाद वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच हथिनी को अखाड़ा परिसर में ही भू-समाधि दी गई. इस मौके पर निर्मल अखाड़े में पालतू हथिनी के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में साधु संत और स्थानीय निवासी मौजूद रहें. लाडली पवनकली की याद में निर्मल अखाड़े ने स्मारक बनाने का निर्णय लिया है.