हरिद्वारः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को रुड़की के बेलड़ा के ग्रामीणों को पुलिस सुरक्षा के साथ ही उनका मेडिकल जांच कराने के निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में नगमा कुरैशी और सात अन्य की ओर से दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. उधर, राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने पूरे मामले का संज्ञान लिया है. आयोग ने निर्दोषों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की है.
दरअसल, कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें उनका आरोप है कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव के चलते उनपर अत्याचार किया. उन्होंने 24 मई को प्रधान और जिला पंचायत सपना चौधरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद 10 जून को गांव के युवक पंकज की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. पंकज भी प्रदर्शनकारियों में से एक था.
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि 11 और 12 जून की रात को पुलिस बेलड़ा गांव में आई और महिलाओं के साथ बच्चों को बुरी तरह से पीटा. साथ ही कुछ लोगों को हिरासत में लिया. पुलिस अत्याचार के चलते याचिकाकर्ताओं में से एक सीमा नामक महिला का दो माह का गर्भपात हो गया. याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उन्हें जान का खतरा है. घटना के बाद उनका मेडिकल परीक्षण भी नहीं किया जा रहा है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही घटना की न्यायिक जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने नैनीताल जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराने की मांग उठाई है. उनकी ओर से ये भी कहा गया कि वो पुलिस अत्याचार के खिलाफ विभिन्न अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अधिवक्ता सनप्रीत सिंह अजमानी और आलोक कुमार ने बताया कि अदालत ने याचिकाकर्ताओं का रुड़की में मेडिकल परीक्षण के साथ ही उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं.
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राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने लगाई पुलिस को फटकारः रुड़की के बेलड़ा गांव में हुए बवाल के बाद राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है. जिसके बाद मामले में अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों की ओर से भी एफआईआर दर्ज कराई गई है. मामले में आयोग ने पुलिस प्रशासन को भी फटकार लगाने के साथ पीड़ितों को मुआवजा देने और दंगाइयों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं. आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने बवाल के बाद अपने घरों से पलायन कर गए लोगों से वापस लौटने की अपील की.
उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने कहा कि बेलड़ा प्रकरण में जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा. निर्दोषों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होने दी जाएगी. उन्होंने बेलड़ा का दौरा किया है. दलित समाज की ओर से जो तहरीर पुलिस को दी गई थी, उस पर उन्होंने एसएसपी को जांच कर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए पीड़ित पक्ष की ओर से मुकदमा लिखा गया है. यदि इसमें पुलिस और प्रशासन की भी कोई कमी सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए संस्तुति की जाएगी.
वहीं, बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश मंत्री जगजीवन राम ने कहा कि राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार बेलड़ा प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों से लगातार वार्ता कर रहे हैं. निश्चित रूप से पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा. दलित समाज के लोगों का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा. सीएम धामी भी बेलड़ा प्रकरण में पूरा सहयोग कर रहे हैं. बता दें कि यह मामला बेलड़ा गांव में युवक की मौत के शुरू हुआ था. जहां कुछ लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की थी.