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फिर अनशन की राह पर मातृ सदन, गंगा पर बन रहे बांधों को बताया चमोली आपदा की वजह - matru sadan Latest News

मातृ सदन का कहना है कि 2013 की केदारनाथ आपदा और अब चमोली आपदा गंगा में बन रहे बांधों का परिणाम है. लिहाजा मातृ सदन ने अपनी चार मांगों को लेकर एक बार फिर अनशन का ही रास्ता चुना है.

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फिर अनशन की राह पर मातृ सदन
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Published : Feb 14, 2021, 5:49 PM IST

हरिद्वार: चमोली में आई आपदा को लेकर मातृ सदन का बयान सामने आया है. मातृ सदन का कहना है कि यहां आई आपदा के मुख्य कारण गंगा पर बन रहे बांध ही हैं. अब मातृ सदन ने इसे लेकर एक बार फिर अनशन करने की तैयारी कर दी है. आगामी 23 फरवरी से मातृ सदन का एक संत अनशन पर बैठेगा.

फिर अनशन की राह पर मातृ सदन

बताते चले कि गंगा में बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं, बांधों और खनन को लेकर मातृ सदन लगातार लड़ाई लड़ता चला आ रहा है. जिसे लेकर यहां के संतों ने कई बार अनशन किया है. जिसमे अनशन करते हुए मातृ सदन के तीन संत अपना बलिदान भी दे चुके हैं. ब्रह्मचारी गोकुलानंद, ब्रह्मचारी निगमानंद और प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की भी अनशन के दौरान मौत हो गई थी, लेकिन आज तक गंगा में न तो खनन रुका और ना ही परियोजनाएं.

पढ़ें- शूटिंग के लिए उत्तराखंड पहुंची नेपाली सिंगर स्मिता दहल, साझा की बातें

मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद के अनुसार मातृ सदन के संतों के बलिदान के बावजूद सरकारें नहीं चेती. 2013 की केदारनाथ आपदा और अब चमोली आपदा इसी का परिणाम है. लिहाजा मातृ सदन ने अपनी चार मांगों को लेकर एक बार फिर अनशन का ही रास्ता चुना है.

मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने कहा कि चार मांगों को लेकर मातृ सदन तपस्या करने जा रहा है. जिसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बन रहे समस्त बांधों को निरस्त किया जाना, खनन पर रायवाला से लेकर रायघाटी तक पूर्ण प्रतिबंध, स्टोन क्रशरों को गंगा से 5 किलोमीटर दूर और गंगा परिषद बनाये जाने की मांगें शामिल हैं.

हरिद्वार: चमोली में आई आपदा को लेकर मातृ सदन का बयान सामने आया है. मातृ सदन का कहना है कि यहां आई आपदा के मुख्य कारण गंगा पर बन रहे बांध ही हैं. अब मातृ सदन ने इसे लेकर एक बार फिर अनशन करने की तैयारी कर दी है. आगामी 23 फरवरी से मातृ सदन का एक संत अनशन पर बैठेगा.

फिर अनशन की राह पर मातृ सदन

बताते चले कि गंगा में बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं, बांधों और खनन को लेकर मातृ सदन लगातार लड़ाई लड़ता चला आ रहा है. जिसे लेकर यहां के संतों ने कई बार अनशन किया है. जिसमे अनशन करते हुए मातृ सदन के तीन संत अपना बलिदान भी दे चुके हैं. ब्रह्मचारी गोकुलानंद, ब्रह्मचारी निगमानंद और प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की भी अनशन के दौरान मौत हो गई थी, लेकिन आज तक गंगा में न तो खनन रुका और ना ही परियोजनाएं.

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मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद के अनुसार मातृ सदन के संतों के बलिदान के बावजूद सरकारें नहीं चेती. 2013 की केदारनाथ आपदा और अब चमोली आपदा इसी का परिणाम है. लिहाजा मातृ सदन ने अपनी चार मांगों को लेकर एक बार फिर अनशन का ही रास्ता चुना है.

मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने कहा कि चार मांगों को लेकर मातृ सदन तपस्या करने जा रहा है. जिसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बन रहे समस्त बांधों को निरस्त किया जाना, खनन पर रायवाला से लेकर रायघाटी तक पूर्ण प्रतिबंध, स्टोन क्रशरों को गंगा से 5 किलोमीटर दूर और गंगा परिषद बनाये जाने की मांगें शामिल हैं.

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