हरिद्वार: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को देश में फैलने से रोकने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में इस लॉकडाउन का असर धर्म और मोक्ष की नगरी हरिद्वार में देखने को मिल रहा है. जहां धार्मिक अनुष्ठान और गतिविधियां पूरी तरह से ठप है. आम दिनों में शवों की अंत्येष्टि के लिए पटे रहने वाला खड़खड़ी और कनखल श्मशान घाट पर अंत्येष्टियां कम हो रही हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरिद्वार में शव की अंत्येष्टि होने से मृतक की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है. ऐसे में लोगों दूर-दराज से यहां अपने परिजनों के अंतिम संस्कार से लिए आते हैं. बता दें कि इन घाटों पर रोज 30 से 40 शवों की अंत्येष्टि होती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस समय खड़खड़ी और कनखल श्मशान घाट पर दो-तीन अंत्येष्टियां ही हो रही है. वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण को देखने हुए राज्य सरकार ने एहतियान श्मशान घाटों पर शव के साथ पांच सदस्यों को ही प्रवेश करने की अनुमति दी है. साथ ही हरिद्वार में श्रद्धालुओं की आवाजाही पर भी पूर्ण रूप से रोक लगी हुई है.
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दूसरी तरफ श्मशान घाट पर लकड़ियां मुहैया करने वाले दुकानदार सत्यनारायण शर्मा बताते हैं कि आम दिनों में प्रतिदिन 60 से 70 कुंतल लकड़ियां श्मशान घाट में लगती थी, लेकिन अब केवल 10 कुंतल तक ही लकड़ियों की खपत हो रही है. क्योंकि, आजकल घाट पर एक से दो शव ही अंत्येष्टि के लाये जा रहा हैं. सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि एक दाहसंस्कार में लगभग तीन से चार कुंतल लकड़ियां लगती है. वहीं, लॉकडाउन के चलते अब लकड़ियां भी पहले से महंगी मिल रही हैं.