रुड़की: जहां एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार गांव-गांव बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की बात करती है और विभिन्न योजनाओं से गांव को आदर्श गांव बनाने का दावा करती है. ग्रामीणों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई उपकेंद्र बनाए गए हैं ताकि, ग्रामीण गांव में ही रहकर अपना इलाज करा सकें. लेकिन आज भी ऐसे अनेकों उपकेंद्र हैं जहां सरकार की नजर इनायत नहीं है. उपकेंद्र महज शोपीस बनकर रह गए हैं.
ऐसा ही एक स्वास्थ्य उपकेंद्र रुड़की के भगवानपुर तहसील क्षेत्र के हाल्लुमजरा गांव में है. यहां स्वास्थ्य उपकेंद्र तो बना दिया लेकिन इस उपकेंद्र में डॉक्टरों की तैनाती तक नहीं है. ये तस्वीरें जो आप देख रहे हैं, इसे तत्कालीन समाज कल्याण विभाग के मंत्री स्वर्गीय सुरेन्द्र राकेश के कार्यकाल में स्थापित किया गया था. इस उपकेंद्र में सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो बनकर तैयार हो गया लेकिन उपकेंद्र तक जाने का रास्ता आज तक नहीं बन पाया है.
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वहीं, यहां कोई एएनएम की भी नियुक्ति नहीं हो पाई है. वैसे ये कहना ज्यादा ठीक होगा कि एएनएम यहां बैठना पसंद नहीं करती. इसका खामियाजा उन गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ता है जो गांव से दूर भगवानपुर या रुड़की के अस्पताल में ले जाकर अपना इलाज करवाते हैं.
फिलहाल, ये उपकेंद्र जर्जर हालत में है, क्योंकि हल्की सी भी बारिश में उपकेंद्र के चारों ओर पानी भर जाता है. ऐसे में यहां पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है. अब इसे जनप्रतिनिधियों की सोची-समझी साजिश कहें या स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही. दोनों ही बात साफ तौर पर जाहिर होती है. बड़ा सवाल ये भी है कि कहीं उपकेंद्र बनाने को लेकर पैसों की बंदरबांट तो नहीं हुई, क्योंकि लाखों रुपयों की लागत से बने इस उपकेंद्र की हालत खुद बयां करती है.
भगवानपुर विधायक ममता राकेश इस पर सरकार के सिर ठीकरा फोड़ते हुए कहती हैं कि सिर्फ यही एक गांव नहीं बल्कि सिकरोढा, मानकपुर, आदमपुर और डाडा पट्टी आदि कई गांव ऐसे हैं. जहां पर उपकेंद्र तो बने हुए हैं, लेकिन स्टाफ की सुविधा नहीं है. उन्होंने बताया कि विधानसभा सत्र में हर बार की तरफ इस बार भी उनके द्वारा ये मुद्दा उठाया जाएगा. लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. पूरा प्रदेश इस वक्त स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से गुजर रहा है.