हरिद्वारः लोग अपने प्रियजन जो परलोक सिधार गए उनकी आत्मा की शांति के लिए उनका अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन पूरे विधि विधान (funeral and bone immersion) से करते हैं. लेकिन ऐसे भी बहुत से बदकिस्मत लोग होते हैं जिनका यह अंतिम कर्म करने के लिए कोई अपना नहीं होता है. ऐसे लावारिस लोगों को मोक्ष दिलाने के लिए राजस्थान के कोटा की एक संस्था बीते कई सालों से उन लावारिस लोगों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित (ashes of the unclaimed people immersed in the Ganges) करने का काम कर रही है.
बता दें कि राजस्थान के कोटा का कर्म योगी संस्थान एक ऐसा संस्थान है जो पिछले 14 सालों से अपने इलाके में लावारिस मिले लोगों के शव दाह संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर मोक्ष दिलाने का काम करता चला आ रहा है. इस संस्था का सहयोग क्षेत्र के तमाम वार्डों के पार्षद भी पूरी निष्ठा लगन सेवा भाव से करते हैं. इलाके के सभी थाना क्षेत्रों में मिलने वाले ऐसे अज्ञात शव जिनका कोई नहीं होता या फिर जिनकी पहचान नहीं हो पाती उन लोगों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को एक जगह एकत्रित कर लिया जाता है. साल में दो बार इन सभी एकत्रित की गई अस्थियों को वैदिक मंत्रोच्चार के बाद सामूहिक रूप से गंगा में प्रवाहित किया जाता है.
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गंगा में प्रवाहित की 119 लोगों की अस्थियांः कर्म योगी संस्थान कोटा राजस्थान (Karma Yogi Institute Kota) के संस्थापक अध्यक्ष राजा राम जैन कर्मयोगी का कहना है कि कोटा राजस्थान शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों से 119 लावारिस लोगों के शवों की अस्थियों को एकत्र कर इन्हें गंगा में विसर्जित करने के लिए हरिद्वार आए हैं. कोटा शहर के विभिन्न वार्ड पार्षदों द्वारा लावारिस लोगों के अंतिम संस्कार कराए गए थे.
इन लोगों की अस्थियों को एकत्र कर रविवार को पौराणिक ब्रह्मकुंड हर की पैड़ी पर इनका विधि विधान के साथ गंगा में विसर्जन किया गया. लावारिस लोगों के अलावा इनमें ऐसे असहाय लोगों की भी अस्थियां हैं, जिनका कोई स्वजन अंतिम संस्कार करने हरिद्वार नहीं आ सकता. वर्ष 2008 से लगातार हमारी संस्था अस्थियों का हरिद्वार में समय-समय पर विसर्जन करते आ रहे हैं और इस बार संस्थान की तरफ से ये 24वीं यात्रा है.