हरिद्वार: आज से पितृपक्ष शुरू हो गया है. माना जाता है इन दिनों पितृ पृथ्वी पर आते हैं. पितृ पक्ष में मानव मृत आत्माओं को जल, तिल, जौ, चावल और सफेद पुष्पों से जल अंजलि देते हैं. श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ ही गाय, कौवा और स्वान के लिए ग्रास निकाला जाता है, जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितृपक्ष 16 दिन का होता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते आप किस प्रकार अपने घर में ही रहकर श्राद्ध कर सकते हैं और किस तरह पितरों की पूजा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...
पंडित मनोज शास्त्री का मानना है कि शास्त्रों में वर्णित है कि अपने पितरों के प्रति किया जाने वाला कार्य कभी बंद नहीं करना चाहिए. इस समय देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, लेकिन इन परिस्थितियों में भी चाहे आप संक्षिप्त विधि से ही करें. लेकिन श्राद्ध जरूर करें. शास्त्रों में भी वर्णित है कि मानव को अपने श्रद्धा भाव के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए वैसे तो श्राद्ध, तर्पण, बली व ब्राह्मणों को भोजन करा कर किया जाता है, लेकिन इस समय कोरोना काल के चलते यदि यह संभव ना हो तो आप अपने पितरों के लिए भोजन निकालें, जिसे गौ माता या फिर किसी मंदिर के ब्राह्मण को दें. यदि यह भी संभव ना हो तो जल में थोड़े से काले तिल लेकर भगवान सूर्य को चढ़ाएं और प्रार्थना करें कि हे सूर्य देव, हमारे पितरों तक यह जल पहुंचाएं, क्योंकि पितृलोक में जल की बहुत कमी है. इसलिए पितृ को जल अति प्रिय होता है.
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वहीं, पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य का कहना है कि पितरों को भी अपने वंशजों से उम्मीद रहती है कि श्राद्ध के महीने में उनके वंशज उनके लिए कुछ ना कुछ जरूर करेंगे. इस समय कोरोनाकाल काल चल रहा है, तो जिस तरह पहले श्राद्ध इत्यादि किया करते थे, वह संभव नहीं है लेकिन आप घर में रहकर भी श्राद्ध कर सकते हैं. इसके लिए आप सिर्फ अपने घर में बने भोजन को पितरों के लिए निकाल लें और घर में तुलसी के पास या फिर सूर्य के सामने जल में तिल डालकर तशमेश स्वधा बोलकर पितरों को जल अंजलि अर्पित करें. इससे पितर प्रसन्न हो जाएंगे.