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उत्तराखंड आने वाले कांवड़ियों ने बताई सुरक्षा की हकीकत, बोले- सरकार के दावे फेल

कांवड़ यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर है. ट्रैफिक नियमों का पालन ना करने और तेज स्पीड की वजह से हजारों कावड़िये घायल हो जाते हैं. कांवड़ियों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से सुरक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

अब तक लगभग 800 घायल कांवड़िये शिविर में इलाज के लिए पहुंच चुके हैं.
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Published : Jul 29, 2019, 6:26 PM IST

लक्सर: कांवड़ यात्रा के दौरान बड़े वाहनों के अलावा टू व्हीलर से भी भोले के भक्त हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व अन्य प्रदेशों से जल लेने हरिद्वार आते हैं. यातायात नियमों का पालन ना करने ओर तेज स्पीड की वजह से हजारों कावड़िये घायल हो रहे हैं.

उत्तराखंड आने वाले कांवड़ियों ने बताई सुरक्षा की हकीकत.

सड़क दुर्घटना की वजह है कांवड़ियों का यातायात नियमों का पालन न करना और लक्सर रुड़की मार्ग की खस्ता हालत भी एक अपने आप में वजह है. शिविर में लगे चिकित्सक ने बताया की जब से कावड़ यात्रा शुरू हुई है तब से लेकर अब तक लगभग 800 घायल कांवड़िये शिविर में पहुंच चुके हैं. कुछ कावड़िये जिनकी हालत ज्यादा गम्भीर थी उनको प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है.

यह भी पढ़े-मां तारा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां दिए थे दर्शन, सावन में लगता है श्रद्धालुओं का तांता

वहीं, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कांवड़ियों ने बताया कि यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में सरकार की ओर से कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है. हर बार उत्तराखंड सरकार कांवड़ियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था के दावे करती है, लेकिन सब फेल हैं. सड़कों की हालत बहुत ही खराब होने के कारण कावड़िये चोटिल हो रहे हैं.

लक्सर: कांवड़ यात्रा के दौरान बड़े वाहनों के अलावा टू व्हीलर से भी भोले के भक्त हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व अन्य प्रदेशों से जल लेने हरिद्वार आते हैं. यातायात नियमों का पालन ना करने ओर तेज स्पीड की वजह से हजारों कावड़िये घायल हो रहे हैं.

उत्तराखंड आने वाले कांवड़ियों ने बताई सुरक्षा की हकीकत.

सड़क दुर्घटना की वजह है कांवड़ियों का यातायात नियमों का पालन न करना और लक्सर रुड़की मार्ग की खस्ता हालत भी एक अपने आप में वजह है. शिविर में लगे चिकित्सक ने बताया की जब से कावड़ यात्रा शुरू हुई है तब से लेकर अब तक लगभग 800 घायल कांवड़िये शिविर में पहुंच चुके हैं. कुछ कावड़िये जिनकी हालत ज्यादा गम्भीर थी उनको प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है.

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वहीं, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कांवड़ियों ने बताया कि यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में सरकार की ओर से कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है. हर बार उत्तराखंड सरकार कांवड़ियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था के दावे करती है, लेकिन सब फेल हैं. सड़कों की हालत बहुत ही खराब होने के कारण कावड़िये चोटिल हो रहे हैं.

Intro:यात्रा के दौरान घायल हुए कावड़िए
कांवड़ यात्रा चोटिल कावड़िए
ANCHOR---लक्सर कावड़ यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर चल रही है कांवड़ियो का जन सैलाब लक्सर व आसपास के छेत्र के मार्गों पर नजर आ रहा है कावड़िये बडे बडे वाहनो से डी जे की धुन पर नाचते गाते हरिद्वार से जल लेकर अपने अपने गंतव्य को जा रहे हैं यातायात के नियमों का पालन ना करके ओर सड़कों की खस्ता हालत से कावड़िया हो रहे हैं घायलBody:आपको बता दें कावड़ यात्रा के दौरान बड़े वाहनो के अलावा टू व्हीलर से भी भोले के भगत हरियाणा राजस्थान दिल्ली व कई अन्य प्रदेशों से भी जल लेने हरिद्वार आते हैं यातायात नियमो का पालन ना करने ओर तेज स्पीड की वजह से हजारो कावड़िये घयल हो जाते हैं बात करे अगर लक्सर की तो सैकड़ों कावड़िये चोटिल होकर लगाये गये सेवा भाव से चिकित्सा शिविरो में पहुचे हैं जिनको चिकित्सा शिविर में मौजूद चिकित्सक द्वारा उपचार दिया गया है लक्सर में भी हजारों की संख्या में सड़क दुर्घटना की वजह से कांवड़ियो का यातायात नियमों का पालन न करना ओर लक्सर रुड़की मार्ग की खस्ता हालत भी एक आपने आप मे वजह है जब हमने शिविर में लगे चिकित्सक से बात की तो उन्होने बताया की जब से कावड़ यात्रा सुरु हुई है तब से लेकर अब तक 800के लगभल घयल कावड़िये शिविर में पहुंचे हैं जिनमे घयल कांवड़ियो का उपचार किया गया है और कुछ कावड़िये जिनकी हालत ज्यादा गम्भीर थी उनको प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है Conclusion: वही जब हमने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कांवड़ियो से बात की तो उन्होंने बताया कि यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड प्रदेश में सरकार की कोई सुरक्षा व्यवस्था नही है हर बार उत्तराखंड सरकार कांवड़ियो के लिय सुरक्षा व्यवस्था के दावे करती है लेकिन सब दावे फेल है उत्तराखंड की सड़कों की हालत बहुत ही खराब होने के कारण कावड़िये चोटिल होते हैं

Byet--हर्षित कावड़िया गाजियाबाद

Byet--कावड़िया

Byet-- डॉक्टर शाह मोहम्द
रिपोर्ट--कृष्णकांत शर्मा लक्सर
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