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कांवड़ स्पेशलिस्ट रमेश साहू ने तैयार की कई मंदिरों की कांवड़, खर्च सुन हैरान हो जाएंगे आप

रमेश कुमार साहू कांवड़ स्पेशलिस्ट है, जो इस बार हरिद्वार कांवड़ मेले में पहुंचे हैं. रमेश कुमार साहू ने ने बनाई कई मंदिरो की कावड़ खर्चा सुन के हैरान हो जाएंगे आप मल्लिकार्जुन, काशी विश्वनाथ मंदिर और नेपाल स्थित पशुपतिनाथ, राम मंदिर के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर की कांवड़ तैयार की है. जिनकी कीमत लाखों में है.

Ramesh Kumar Sahu Kawand Specia
कांवड़ स्पेशलिस्ट रमेश साहू ने तैयार की कई मंदिरों की कांवड़
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Published : Jul 6, 2023, 10:48 AM IST

Updated : Jul 6, 2023, 12:07 PM IST

कांवड़ स्पेशलिस्ट रमेश साहू ने तैयार की कई मंदिरों की कांवड़

हरिद्वार: कांवड़ मेला 2023 इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रहा है. प्रशासन कावड़ियों के अनुमान से ज्यादा आने की संभावना देख रहा है. वहीं कांवड़िए और कावड़ बनाने वाले भी इस बार काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं कांवड़ियों द्वारा कांवड़ बनवाने में भी दिल खोल कर खर्च किया जा रहा है. कांवड़ बनाने के लिए दूर-दूर से कलाकारों को बुलाया जा रहा है. रमेश कुमार शाहू मुरादनगर के ऐसे ही एक कारीगर हैं. जो कांवड़ बनाने के लिए हरिद्वार पहुंचे हैं.

रमेश शाहू बताते हैं पहले वे केवल दो से तीन कांवड़ बनाते थे, अब उनका ऑर्डर दोगुना हो गया है. रमेश कुमार साहू लगातार कांवड़ मेले में कार्य कर रहे हैं. इस बार रमेश कुमार साहू ने मल्लिकार्जुन, काशी विश्वनाथ मंदिर और नेपाल स्थित पशुपतिनाथ, राम मंदिर के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर की कांवड़ तैयार की है.

पढ़ें- ₹20 के नोटों से कांवड़ लेकर सातवीं बार हरिद्वार पहुंचा शिवभक्त मोहित, भोलेनाथ के लिए ली ये प्रतीज्ञा

रमेश कुमार साहू से जब कांवड़ की कीमत पूछी गई तो उन्होंने बताया हर कांवड़ का रेट अलग-अलग है. ये कांवड़ 75000 से शुरू होकर लगभग तीन से चार लाख तक जाती है. उन्होंने बताया केदारनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ जैसे मंदिरों का रेट 75000 से शुरू हैं. बाकी कांवड़ियों द्वारा डेकोरेशन करवाई जाती है. राम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में है. इसलिए वह डेढ़ लाख के करीब की है. कांवड़ियों के खर्च के बारे में रमेश कुमार साहू ने बताया कि एक विशेष कावड़ लेकर जाने में पांच से सात लाख का खर्चा आ जाता है.

पढ़ें- Kanwar Mela 2023: एक कंधे पर गंगाजल दूसरे पर 100 साल की मां, कलियुग के श्रवण कुमारों से मिलिए

गौतमबुद्ध नगर से आये कांवड़ियों का बताया उनकी काफी समय से इच्छा थी कि वह केदारनाथ की कांवड़ अपने गांव लेकर जाएं. उनकी ये ईच्छा इस साल पूरी हुई है. उन्होंने कहा जो लोग बाबा केदार के दर्शन नहीं अभी तक नहीं कर पाए हैं वह कांवड़ के जरिये बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे. कांवड़ियों का कावड़ को लेकर उतसाह देखने ही बनता है. ऐसा लगता है कि वह कांवड़ उन्ही के घर का हिस्सा है. वे कांवड़ को अपनी आन बान शान मानते हैं. जिसके लिए वे धूप छांव, पैसा कुछ नहीं देखते. कांवड़िये पूरे मनोयग के भगवान शिव की भक्ति में जुट जाते हैं.

कांवड़ स्पेशलिस्ट रमेश साहू ने तैयार की कई मंदिरों की कांवड़

हरिद्वार: कांवड़ मेला 2023 इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रहा है. प्रशासन कावड़ियों के अनुमान से ज्यादा आने की संभावना देख रहा है. वहीं कांवड़िए और कावड़ बनाने वाले भी इस बार काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं कांवड़ियों द्वारा कांवड़ बनवाने में भी दिल खोल कर खर्च किया जा रहा है. कांवड़ बनाने के लिए दूर-दूर से कलाकारों को बुलाया जा रहा है. रमेश कुमार शाहू मुरादनगर के ऐसे ही एक कारीगर हैं. जो कांवड़ बनाने के लिए हरिद्वार पहुंचे हैं.

रमेश शाहू बताते हैं पहले वे केवल दो से तीन कांवड़ बनाते थे, अब उनका ऑर्डर दोगुना हो गया है. रमेश कुमार साहू लगातार कांवड़ मेले में कार्य कर रहे हैं. इस बार रमेश कुमार साहू ने मल्लिकार्जुन, काशी विश्वनाथ मंदिर और नेपाल स्थित पशुपतिनाथ, राम मंदिर के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर की कांवड़ तैयार की है.

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रमेश कुमार साहू से जब कांवड़ की कीमत पूछी गई तो उन्होंने बताया हर कांवड़ का रेट अलग-अलग है. ये कांवड़ 75000 से शुरू होकर लगभग तीन से चार लाख तक जाती है. उन्होंने बताया केदारनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ जैसे मंदिरों का रेट 75000 से शुरू हैं. बाकी कांवड़ियों द्वारा डेकोरेशन करवाई जाती है. राम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में है. इसलिए वह डेढ़ लाख के करीब की है. कांवड़ियों के खर्च के बारे में रमेश कुमार साहू ने बताया कि एक विशेष कावड़ लेकर जाने में पांच से सात लाख का खर्चा आ जाता है.

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गौतमबुद्ध नगर से आये कांवड़ियों का बताया उनकी काफी समय से इच्छा थी कि वह केदारनाथ की कांवड़ अपने गांव लेकर जाएं. उनकी ये ईच्छा इस साल पूरी हुई है. उन्होंने कहा जो लोग बाबा केदार के दर्शन नहीं अभी तक नहीं कर पाए हैं वह कांवड़ के जरिये बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे. कांवड़ियों का कावड़ को लेकर उतसाह देखने ही बनता है. ऐसा लगता है कि वह कांवड़ उन्ही के घर का हिस्सा है. वे कांवड़ को अपनी आन बान शान मानते हैं. जिसके लिए वे धूप छांव, पैसा कुछ नहीं देखते. कांवड़िये पूरे मनोयग के भगवान शिव की भक्ति में जुट जाते हैं.

Last Updated : Jul 6, 2023, 12:07 PM IST
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