हरिद्वार: आखिरकार इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चंद्रयान-2 के लापता विक्रम लैंडर का पता लग ही गया है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. जिसमें चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर के टुकड़े पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. विक्रम लैंडर का पता चलने पर नासा के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं और खुश भी हैं.
हरिद्वार के रहने वाले इसरो के वैज्ञानिक आरसी कपूर का कहना है कि विक्रम लैंडर के अवशेष का पता सबसे पहले एक भारतीय इंजीनियर ने लगाया था. उनकी जानकारी पर ही नासा ने अपनी तस्वीरों से मिलान करने पर पाया कि यह अवशेष विक्रम लैंडर के ही हैं.
पढ़ें- डबल इंजन की सरकार में महंगाई से जनता बेहाल, कांग्रेसियों ने किया विरोध प्रदर्शन
कपूर का कहना है कि भले ही विक्रम लैंडर को आखिर वक्त में लैंड नहीं कराया जा सका. मगर चंद्रयान-2 भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की एक बड़ी उपलब्धि है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी के लिए ही इसरो द्वारा चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया था.
उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में इसरो का चंद्रयान-3 इस दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करेगा. इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जिस जगह पर विक्रम लैंडर को उतारने के लिए चुना था, वो लैंड करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था.
नासा द्वारा साझा की गई तस्वीर को लेकर वैज्ञानिक आरसी कपूर का कहना है कि इसरो को 50 साल अस्तित्व में आए हुए हो गए हैं. इसरो अभी तक सिर्फ सेटेलाइट ही अंतरिक्ष में छोड़ता था, लेकिन बाद में इसरो ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे महत्वपूर्ण अभियान भी किए.
इसरो का पहला अभियान सफलतापूर्वक पूरा हुआ था, लेकिन इस बार असफलता हाथ लगी है. बावजूद उसके ये इसरो के लिए बड़ी सफलता थी, क्योंकि आखरी समय में विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूटा था.