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इसरो के वैज्ञानिक आरसी कपूर बोले- भारतीय की खोज पर नासा हैरान - उत्तराखंड न्यूज

भारत के शौकिया अंतरिक्ष वैज्ञानिक षनमुगा सुब्रमण्यम ने चेन्नई स्थित अपनी ‘प्रयोगशाला’ में बैठकर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के अवशेषों को खोजने में नासा और इसरो दोनों को पीछे छोड़ दिया है.

Chandrayaan 2
चंद्रयान-2
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Published : Dec 3, 2019, 11:24 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 11:49 PM IST

हरिद्वार: आखिरकार इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चंद्रयान-2 के लापता विक्रम लैंडर का पता लग ही गया है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. जिसमें चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर के टुकड़े पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. विक्रम लैंडर का पता चलने पर नासा के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं और खुश भी हैं.

हरिद्वार के रहने वाले इसरो के वैज्ञानिक आरसी कपूर का कहना है कि विक्रम लैंडर के अवशेष का पता सबसे पहले एक भारतीय इंजीनियर ने लगाया था. उनकी जानकारी पर ही नासा ने अपनी तस्वीरों से मिलान करने पर पाया कि यह अवशेष विक्रम लैंडर के ही हैं.

भारतीय की खोज पर नासा हैरान

पढ़ें- डबल इंजन की सरकार में महंगाई से जनता बेहाल, कांग्रेसियों ने किया विरोध प्रदर्शन

कपूर का कहना है कि भले ही विक्रम लैंडर को आखिर वक्त में लैंड नहीं कराया जा सका. मगर चंद्रयान-2 भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की एक बड़ी उपलब्धि है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी के लिए ही इसरो द्वारा चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया था.

उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में इसरो का चंद्रयान-3 इस दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करेगा. इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जिस जगह पर विक्रम लैंडर को उतारने के लिए चुना था, वो लैंड करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था.
नासा द्वारा साझा की गई तस्वीर को लेकर वैज्ञानिक आरसी कपूर का कहना है कि इसरो को 50 साल अस्तित्व में आए हुए हो गए हैं. इसरो अभी तक सिर्फ सेटेलाइट ही अंतरिक्ष में छोड़ता था, लेकिन बाद में इसरो ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे महत्वपूर्ण अभियान भी किए.

इसरो का पहला अभियान सफलतापूर्वक पूरा हुआ था, लेकिन इस बार असफलता हाथ लगी है. बावजूद उसके ये इसरो के लिए बड़ी सफलता थी, क्योंकि आखरी समय में विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूटा था.

हरिद्वार: आखिरकार इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चंद्रयान-2 के लापता विक्रम लैंडर का पता लग ही गया है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. जिसमें चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर के टुकड़े पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. विक्रम लैंडर का पता चलने पर नासा के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं और खुश भी हैं.

हरिद्वार के रहने वाले इसरो के वैज्ञानिक आरसी कपूर का कहना है कि विक्रम लैंडर के अवशेष का पता सबसे पहले एक भारतीय इंजीनियर ने लगाया था. उनकी जानकारी पर ही नासा ने अपनी तस्वीरों से मिलान करने पर पाया कि यह अवशेष विक्रम लैंडर के ही हैं.

भारतीय की खोज पर नासा हैरान

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कपूर का कहना है कि भले ही विक्रम लैंडर को आखिर वक्त में लैंड नहीं कराया जा सका. मगर चंद्रयान-2 भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की एक बड़ी उपलब्धि है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी के लिए ही इसरो द्वारा चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया था.

उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में इसरो का चंद्रयान-3 इस दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करेगा. इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जिस जगह पर विक्रम लैंडर को उतारने के लिए चुना था, वो लैंड करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था.
नासा द्वारा साझा की गई तस्वीर को लेकर वैज्ञानिक आरसी कपूर का कहना है कि इसरो को 50 साल अस्तित्व में आए हुए हो गए हैं. इसरो अभी तक सिर्फ सेटेलाइट ही अंतरिक्ष में छोड़ता था, लेकिन बाद में इसरो ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे महत्वपूर्ण अभियान भी किए.

इसरो का पहला अभियान सफलतापूर्वक पूरा हुआ था, लेकिन इस बार असफलता हाथ लगी है. बावजूद उसके ये इसरो के लिए बड़ी सफलता थी, क्योंकि आखरी समय में विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूटा था.

Intro:आखिरकार इसरो के चंद्रयान 2 के लापता विक्रम लैंडर का पता लग ही गया है अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आज कुछ तस्वीरें जारी की है जिसमे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर के टुकड़े पड़े हुए दिखाई दे रहे है विक्रम लैंडर का पता चलने पर नासा के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित है और खुश भी दिख रहे है Body:वैज्ञानिक आर सी कपूर का कहना है कि विक्रम लैंडर के अवशेष का पता सबसे पहले एक भारतीय इंजीनियर ने लगाया था और उनकी जानकारी पर ही नासा ने अपने चंर्यां एलआरओ द्वारा ली गई तस्वीरों से मिलान करने पर पाया कि यह अवशेष विक्रम लैंडर के ही है उनका कहना है कि भले ही विक्रम लैंडर को आखिर वक्त में लैंड नही कराया जा सका मगर चंद्रयान 2 भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की एक बड़ी उपलब्धि है चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी के लिए ही इसरो द्वारा चंद्रयान 2 को प्रक्षेपित किया गया था उंन्होने उम्मीद जाहिर की कि भविष्य में इसरो का चंद्रयान 3 इस दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करेगा उनका कहना है कि इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जिस जगह को विक्रम लैंडर को उतारने के लिए चुना था विक्रम लैंडर को वंहा पर लैंड करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था भले ही विक्रम लैंडर से उस जगह से कुछ की फासले पर संपर्क टूट गया था मगर इसके बाद भी
इसरो की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

नासा द्वारा साझा की गई तस्वीर को लेकर वैज्ञानिक आर सी कपूर का कहना है कि इसरो को 50 साल अस्तित्व में आए हुए हो गए हैं और इसरो द्वारा अभी तक सिर्फ सेटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ी जाती थी मगर अब इसरो द्वारा चंद्रयान एक और चंद्रयान टू जैसे महत्वपूर्ण अभियान भी इसरो द्वारा किए गए हैं इसरो का पहला अभियान सफलतापूर्वक पूरा हुआ था मगर इस बार असफलता हाथ लगी है मगर यह भी बहुत बड़ी बात है कि इसरो द्वारा इस अभियान को किया गया क्योंकि इस अभियान में आखरी समय में ही विक्रम लेंडर से इसरो का संपर्क टूटा था मगर इस मिशन को कामयाब कहना चाहिए अभी हमें इससे भी और आगे जाना है और अगले मिशन में चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरना है अगला मिशन अगले साल किया जाना है

बाइट आर सी कपूर इसरो वैज्ञानिकConclusion:भारत की एजेंसी इसरो द्वारा कई उपलब्धियां हासिल की गई है इसरो ने कई सेटेलाइट कम खर्चे में सफलतापूर्वक लैंड की है और इसलिए इसरो द्वारा किया गया यह अभियान नाकाम होने के बाद भी इसरो की सफलता को दर्शाता है अब नासा द्वारा जारी की गई तस्वीरों के आधार पर इसरो और नासा द्वारा लैंडिंग की दुर्घटना होने की जांच भी की जा रही है इसरो अब एक बार फिर चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक उतारने की तैयारी में लग गया है और सारी चीजें सही रही तो इसरो इस बार इतिहास जरूर रच देगा
Last Updated : Dec 3, 2019, 11:49 PM IST
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