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IIT रुड़की में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, देश व विदेश के वैज्ञानिकों ने किया प्रतिभाग

आईआईटी रुड़की में पहली पर हाइड्रो पावर पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में इसरो और देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. वहीं, इस मौके वैज्ञानिकों ने कहा कि हमें बिजली के लिए वैकल्पिक समाधान खोजने पड़ेंगे.

IIT रुड़की में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
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Published : Oct 10, 2019, 10:12 PM IST

रुड़की: आईआईटी रुड़की में पहली पर हाइड्रो पावर पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में इसरो और देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. वहीं, इस मौके वैज्ञानिकों ने कहा कि हमें बिजली के लिए वैकल्पिक समाधान खोजने पड़ेंगे.

IIT रुड़की में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

बता दें कि हाइड्रो पावर अधिकांश देशों के लिए बिजली उत्पादन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है. विशेष रूप से विकासशील दुनिया जहां बड़ी आबादी अभी भी बिजली के बिना रहती है. वहीं, भारत में अधिकांश बिजली का उत्पादन हाइड्रो प्रोजेक्टों के द्वारा ही हो रहा है.

इस दशा में नदियों का प्राकृतिक प्रवाह रुक जाता है, जिसके जलीय और वन्यजीवों के अलावा वनस्पतियों पर भी खासा प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, अब वैज्ञानिकों ने बिजली उत्पादन के लिए नई हेड हाइड्रो आधारित टेक्नोलॉजी खोज निकाली है. जो नदियों की बहती जल धाराओं से ही बिजली निकालती है.

ये भी पढ़ेंःकुमाऊं की काशी में क्या है पंचायतों की स्थिति, यहां जानें

ऐसे में इस तकनीक के उपयोग से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बना रहेगा. जिससे जलीय और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास के अलावा वनस्पतियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं, इस कार्यशाला में देश और दुनिया के 45 से अधिक वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया,

इस मौके पर निदेशक आईआईटी रुड़की प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहा आज के दौर में जीवाश्म ऊर्जा संसाधनों की कमी है. ऐसे में ऊर्जा के वैकल्पिक समाधान को तलाशना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आईआईटी रुड़की में इस महत्वपूर्ण विषय पर दुनिया भर से आए बुद्धिजीवी अपने विचार रख रहे हैं.

रुड़की: आईआईटी रुड़की में पहली पर हाइड्रो पावर पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में इसरो और देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. वहीं, इस मौके वैज्ञानिकों ने कहा कि हमें बिजली के लिए वैकल्पिक समाधान खोजने पड़ेंगे.

IIT रुड़की में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

बता दें कि हाइड्रो पावर अधिकांश देशों के लिए बिजली उत्पादन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है. विशेष रूप से विकासशील दुनिया जहां बड़ी आबादी अभी भी बिजली के बिना रहती है. वहीं, भारत में अधिकांश बिजली का उत्पादन हाइड्रो प्रोजेक्टों के द्वारा ही हो रहा है.

इस दशा में नदियों का प्राकृतिक प्रवाह रुक जाता है, जिसके जलीय और वन्यजीवों के अलावा वनस्पतियों पर भी खासा प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, अब वैज्ञानिकों ने बिजली उत्पादन के लिए नई हेड हाइड्रो आधारित टेक्नोलॉजी खोज निकाली है. जो नदियों की बहती जल धाराओं से ही बिजली निकालती है.

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ऐसे में इस तकनीक के उपयोग से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बना रहेगा. जिससे जलीय और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास के अलावा वनस्पतियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं, इस कार्यशाला में देश और दुनिया के 45 से अधिक वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया,

इस मौके पर निदेशक आईआईटी रुड़की प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहा आज के दौर में जीवाश्म ऊर्जा संसाधनों की कमी है. ऐसे में ऊर्जा के वैकल्पिक समाधान को तलाशना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आईआईटी रुड़की में इस महत्वपूर्ण विषय पर दुनिया भर से आए बुद्धिजीवी अपने विचार रख रहे हैं.

Intro:रुड़की

रुड़की: देश की नामचीन संस्थान आईआईटी रुड़की ने भारत की पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। जो पानी, बिजली तकनीक पर आधारित है। इस कार्यशाला में इसरो के वैज्ञानिकों ने भी हिस्सा लिया। कार्यशाला जल विज्ञान तकनीक पवन प्रौद्योगिकी के अनुरूप है और गतिज ऊर्जा पर कब्जा करती है। इस प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, जल और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, आईआईटी रुड़की ने 10 और 11 अक्टूबर को भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन आईआईटी रुड़की कैंपस में किया। वर्तमान परिदृश्य में मौजूदा संकट सबसे व्यापक रूप से चर्चा का मुद्दा है। ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए पारंपरिक ईंधन की वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ा सकती है और भारत सरकार की पर्यावरण संरक्षण के प्रति सख्त नीतियां हैं। जलवायु के लिए योगदान देने के लिए, अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा था। भारत में नवीकरणीय स्रोतों की प्रचुर मात्रा है।

Body:वहीं हाइड्रोपावर का शोषण दुनिया के अधिकांश देशों के लिए उनकी जलवायु अनुकूल प्रकृति के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। विशेष रूप से विकासशील दुनिया जहां बड़ी आबादी अभी भी बिजली के बिना रहती है। भारत में, अधिकांश संभाव्य पारंपरिक संभावित हेड आधारित जलविद्युत साइटों का दोहन किया गया है। और नई गतिज हेड हाइड्रो आधारित प्रौद्योगिकी सामने आई है, जो बहती जल धाराओं से बिजली निकालती है। यह तकनीक नदी के प्राकृतिक प्रवाह में किसी भी नागरिक संरचना बाधाओं को दूर किए बिना काम करती है, और प्राकृतिक आवास के वनस्पतियों और जीवों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कार्यशाला स्वागत भाषण के साथ शुरू हुई। कार्यशाला के समन्वयक प्रो. आरपी सैनी और एचआरईडी प्रमुख द्वारा संबोधन किया गया, इस समारोह के अतिथि श्री ब्रूस बॉचमायर रहे।
Conclusion:
बता दें कि कार्यशाला में देश और दुनिया के 45 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में निदेशक आईआईटी रुड़की प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहा, आज के दिन और जीवाश्म ऊर्जा संसाधनों की कमी के युग में, वैकल्पिक समाधानों की तलाश करना अति आवश्यक है। विभिन्न संगठनों और विदेशों के विशेषज्ञों को साझा करने के लिए यह खुशी की बात है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार किया जा रहा है। कार्यशाला शोधकर्ताओं से लोगों के लिए एक मंच प्रदान करने में मददगार हैं, प्रौद्योगिकी सुधार और नीतियों के निर्माण के लिए सामान्य विचारों को साझा करने के लिए निर्णय निर्माताओं और नीति निर्माताओं का निर्माण करती है।

बाइट-- ए.के. चतुर्वेदी (डायरेक्टर आईआईटी रुड़की)
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