रुड़की: आईआईटी रुड़की में पहली पर हाइड्रो पावर पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में इसरो और देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. वहीं, इस मौके वैज्ञानिकों ने कहा कि हमें बिजली के लिए वैकल्पिक समाधान खोजने पड़ेंगे.
बता दें कि हाइड्रो पावर अधिकांश देशों के लिए बिजली उत्पादन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है. विशेष रूप से विकासशील दुनिया जहां बड़ी आबादी अभी भी बिजली के बिना रहती है. वहीं, भारत में अधिकांश बिजली का उत्पादन हाइड्रो प्रोजेक्टों के द्वारा ही हो रहा है.
इस दशा में नदियों का प्राकृतिक प्रवाह रुक जाता है, जिसके जलीय और वन्यजीवों के अलावा वनस्पतियों पर भी खासा प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, अब वैज्ञानिकों ने बिजली उत्पादन के लिए नई हेड हाइड्रो आधारित टेक्नोलॉजी खोज निकाली है. जो नदियों की बहती जल धाराओं से ही बिजली निकालती है.
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ऐसे में इस तकनीक के उपयोग से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बना रहेगा. जिससे जलीय और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास के अलावा वनस्पतियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं, इस कार्यशाला में देश और दुनिया के 45 से अधिक वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया,
इस मौके पर निदेशक आईआईटी रुड़की प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहा आज के दौर में जीवाश्म ऊर्जा संसाधनों की कमी है. ऐसे में ऊर्जा के वैकल्पिक समाधान को तलाशना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आईआईटी रुड़की में इस महत्वपूर्ण विषय पर दुनिया भर से आए बुद्धिजीवी अपने विचार रख रहे हैं.