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जयंती विशेष: EMERGENCY के बाद जनसभा से डरती थीं इंदिरा, हरिद्वार रैली ने बदली थी किस्मत

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Published : Oct 31, 2019, 7:15 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 2:19 PM IST

आज भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 102वीं जयंती है. इस मौके पर हरिद्वार से जुड़ी उनकी यादों को हम साझा कर रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेसी बताते हैं कि इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी जनसभा करने से डरती थीं तब हरिद्वार के कुछ कांग्रेसी नेताओं ने इंदिरा गांधी को भरोसा दिलाया और उनका हौसला बढ़ाया था तब जाकर जनसभा करने के लिए राजी हुईं थीं इंदिरा गांधी.

हरिद्वार

हरिद्वार: देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के शासनकाल में किसी नेता या अफसर की हिम्मत उनके सामने चूं तक करने की नहीं होती थी. इंदिरा की जनसभाओं में भारी भीड़ जुटा करती थी, मगर एक वक्त ऐसा भी आया था जब इंदिरा में जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं बची थी. ये वक्त था इमरजेंसी के बाद का. ऐसे में उन्हें हौसला दिया धर्मनगरी हरिद्वार ने. हरिद्वार के कुछ कांग्रेसी नेताओं ने तब इंदिरा को भरोसा दिलाया और उनका हौसला बढ़ाया तब कहीं जाकर इंदिरा गांधी हरिद्वार में जनसभा करने के लिए राजी हुईं. उस जनसभा के बाद कुछ ऐसा हुआ कि इंदिरा दोबारा से हिम्मतवाली दबंग नेता के रूप में देश के सामने आईं और 3 साल बाद फिर से देश की प्रधानमंत्री बनीं.

हरिद्वार रैली ने बदल दी थी किस्मत इंदिरा गांधी की किस्मत.

आयरन लेडी इंदिरा गांधी जबतक प्रधानमंत्री रहीं उन्होंने पूरी कुशलता और क्षमता के साथ राजकाज चलाया. उनके सामने बड़े से बड़े नेताओं और अफसरों की नहीं चलती थी. राजकाज के तनाव के पलों में जब इंदिरा परेशान होती थीं तो वे अध्यात्म की शरण में चली जाती थीं.

इंदिरा गांधी अकसर हरिद्वार के कनखल में अध्यात्मिक महिला साध्वी मां आनंदमयी के दर्शन करने आया करती थीं. आनंदमयी के पास आकर उन्हें न केवल आत्मिक शांति मिलती थी, बल्कि उनमें राजकाज चलाने के लिए एक अभूतपूर्व ऊर्जा भी आ जाती थी. इंदिरा गांधी ने देश और सरकार को हमेशा ही कुशलता से चलाया, मगर इंदिरा ने अपने जीवन में एक ऐसा गलत फैसला कर लिया था जो उनके रहते हुए भी और आज तक उनकी पार्टी कांग्रेस के गले की फांस बना हुआ है.

इंदिरा गांधी ने साल 1975 में देश में इमरजेंसी लागू कर दी थी, जो उनके जीवन का सबसे बड़ा गलत फैसला साबित हुआ था. साल 1977 में भारी जन दबाव के बाद इंदिरा गांधी को इमरजेंसी हटानी पड़ी और इसके बाद आम चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष के हाथों बुरी तरह से शिकस्त खानी पड़ी थी.

इमरजेंसी हटने के बाद देश का माहौल बदल चुका था. इंदिरा गांधी और कांग्रेस के प्रति देश की जनता में जबरदस्त आक्रोश था. इंदिरा गांधी बहुत बुरी तरह से डरी हुईं थीं. जनता का सामना करने की हिम्मत उनमें नहीं थी. ऐसे में हरिद्वार के कांग्रेसी हरिद्वार में उनकी एक जनसभा करवाना चाहते थे. तत्कालीन युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरीश कुमार साल 1972 से ही इंदिरा के संपर्क में रहे थे और साल 1972 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भी उनके साथ मंच पर थे. तब से अमरीश कुमार इंदिरा गांधी के साथ लगातार संपर्क बने हुए थे.

उन दिनों को याद करते हुए अमरीश बताते हैं कि साल 1972 से वे उनके हर दौरे के साक्षी रहे हैं. इमरजेंसी हटने के बाद साल 1977 में 29 अगस्त को हरिद्वार में कुछ कांग्रेसी नेता इंदिरा गांधी से मिलने गए और उनसे हरिद्वार में एक जनसभा को संबोधित करने का आग्रह किया. मगर जनसभा की बात सुनते ही इंदिरा गांधी ने एकदम से मना कर दिया .

पढ़ें- इंदिरा गांधी का उत्तराखंड से था गहरा लगाव, इस वजह से अक्सर आती थीं देहरादून

अमरीश कुमार कहते हैं कि उस वक्त इंदिरा गांधी जनता का सामना करने से घबरा रही थीं और उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह किसी भी जनसभा को संबोधित नहीं करेंगी. जनसभा में जनता उनका विरोध करेगी और उन पर पत्थर फेंकेगी. हरिद्वार से साथ गए तब के कांग्रेसी नेता और देश के बड़े वकील आरके गर्ग ने उन्हें समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होगा, तब इंदिरा ने कहा कि नहीं, वह कार्यकर्ताओं की मीटिंग के लिए तो आ सकती हैं, मगर जनसभा नहीं करेंगी.

अमरीश कुमार ने बताया कि बहुत आग्रह करने और उन्हें भरोसा दिलाने के बाद आखिरकार इंदिरा गांधी आने के लिए राजी तो हो गईं, मगर उन्होंने एक हफ्ते बाद 5 सितंबर का वक्त दिया. इतने कम वक्त में भी उन्होंने जनसभा का आयोजन किया और जब इंदिरा गांधी हरिद्वार आईं और जनसभा में उन्होंने भारी भीड़ देखी तो वह न केवल गदगद हुईं बल्कि इस सफल जनसभा ने उनके भीतर से डर और घबराहट को दूर कर दिया.

इमरजेंसी हटने के बाद जनता पार्टी की सरकार बन गई थी. उसके बाद देश का राजनीतिक माहौल इंदिरा गांधी के खिलाफ हो गया था. प्रशासन और सरकार भी कांग्रेस का सहयोग नहीं करती थी. ऐसे माहौल में भी स्थानीय नेताओं ने इंदिरा गांधी की जनसभा कर कांग्रेसियों में फिर से जोश भर दिया था. जनसभा में इंदिरा ने तब कहा था जनता पार्टी उन्हें फांसी पर चढ़ाना चाहती है, अगर देश की जनता चाहती है तो वह फांसी पर चढ़ने को तैयार हैं. इस भाषण से कांग्रेसी गुस्से के साथ ही जोश में भी थे और इंदिरा गांधी को हरिद्वार की जनसभा के बाद तो जैसे संजीवनी मिल गई और वह 3 साल बाद फिर से सत्ता में लौटकर आईं.

हरिद्वार: देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के शासनकाल में किसी नेता या अफसर की हिम्मत उनके सामने चूं तक करने की नहीं होती थी. इंदिरा की जनसभाओं में भारी भीड़ जुटा करती थी, मगर एक वक्त ऐसा भी आया था जब इंदिरा में जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं बची थी. ये वक्त था इमरजेंसी के बाद का. ऐसे में उन्हें हौसला दिया धर्मनगरी हरिद्वार ने. हरिद्वार के कुछ कांग्रेसी नेताओं ने तब इंदिरा को भरोसा दिलाया और उनका हौसला बढ़ाया तब कहीं जाकर इंदिरा गांधी हरिद्वार में जनसभा करने के लिए राजी हुईं. उस जनसभा के बाद कुछ ऐसा हुआ कि इंदिरा दोबारा से हिम्मतवाली दबंग नेता के रूप में देश के सामने आईं और 3 साल बाद फिर से देश की प्रधानमंत्री बनीं.

हरिद्वार रैली ने बदल दी थी किस्मत इंदिरा गांधी की किस्मत.

आयरन लेडी इंदिरा गांधी जबतक प्रधानमंत्री रहीं उन्होंने पूरी कुशलता और क्षमता के साथ राजकाज चलाया. उनके सामने बड़े से बड़े नेताओं और अफसरों की नहीं चलती थी. राजकाज के तनाव के पलों में जब इंदिरा परेशान होती थीं तो वे अध्यात्म की शरण में चली जाती थीं.

इंदिरा गांधी अकसर हरिद्वार के कनखल में अध्यात्मिक महिला साध्वी मां आनंदमयी के दर्शन करने आया करती थीं. आनंदमयी के पास आकर उन्हें न केवल आत्मिक शांति मिलती थी, बल्कि उनमें राजकाज चलाने के लिए एक अभूतपूर्व ऊर्जा भी आ जाती थी. इंदिरा गांधी ने देश और सरकार को हमेशा ही कुशलता से चलाया, मगर इंदिरा ने अपने जीवन में एक ऐसा गलत फैसला कर लिया था जो उनके रहते हुए भी और आज तक उनकी पार्टी कांग्रेस के गले की फांस बना हुआ है.

इंदिरा गांधी ने साल 1975 में देश में इमरजेंसी लागू कर दी थी, जो उनके जीवन का सबसे बड़ा गलत फैसला साबित हुआ था. साल 1977 में भारी जन दबाव के बाद इंदिरा गांधी को इमरजेंसी हटानी पड़ी और इसके बाद आम चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष के हाथों बुरी तरह से शिकस्त खानी पड़ी थी.

इमरजेंसी हटने के बाद देश का माहौल बदल चुका था. इंदिरा गांधी और कांग्रेस के प्रति देश की जनता में जबरदस्त आक्रोश था. इंदिरा गांधी बहुत बुरी तरह से डरी हुईं थीं. जनता का सामना करने की हिम्मत उनमें नहीं थी. ऐसे में हरिद्वार के कांग्रेसी हरिद्वार में उनकी एक जनसभा करवाना चाहते थे. तत्कालीन युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरीश कुमार साल 1972 से ही इंदिरा के संपर्क में रहे थे और साल 1972 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भी उनके साथ मंच पर थे. तब से अमरीश कुमार इंदिरा गांधी के साथ लगातार संपर्क बने हुए थे.

उन दिनों को याद करते हुए अमरीश बताते हैं कि साल 1972 से वे उनके हर दौरे के साक्षी रहे हैं. इमरजेंसी हटने के बाद साल 1977 में 29 अगस्त को हरिद्वार में कुछ कांग्रेसी नेता इंदिरा गांधी से मिलने गए और उनसे हरिद्वार में एक जनसभा को संबोधित करने का आग्रह किया. मगर जनसभा की बात सुनते ही इंदिरा गांधी ने एकदम से मना कर दिया .

पढ़ें- इंदिरा गांधी का उत्तराखंड से था गहरा लगाव, इस वजह से अक्सर आती थीं देहरादून

अमरीश कुमार कहते हैं कि उस वक्त इंदिरा गांधी जनता का सामना करने से घबरा रही थीं और उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह किसी भी जनसभा को संबोधित नहीं करेंगी. जनसभा में जनता उनका विरोध करेगी और उन पर पत्थर फेंकेगी. हरिद्वार से साथ गए तब के कांग्रेसी नेता और देश के बड़े वकील आरके गर्ग ने उन्हें समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होगा, तब इंदिरा ने कहा कि नहीं, वह कार्यकर्ताओं की मीटिंग के लिए तो आ सकती हैं, मगर जनसभा नहीं करेंगी.

अमरीश कुमार ने बताया कि बहुत आग्रह करने और उन्हें भरोसा दिलाने के बाद आखिरकार इंदिरा गांधी आने के लिए राजी तो हो गईं, मगर उन्होंने एक हफ्ते बाद 5 सितंबर का वक्त दिया. इतने कम वक्त में भी उन्होंने जनसभा का आयोजन किया और जब इंदिरा गांधी हरिद्वार आईं और जनसभा में उन्होंने भारी भीड़ देखी तो वह न केवल गदगद हुईं बल्कि इस सफल जनसभा ने उनके भीतर से डर और घबराहट को दूर कर दिया.

इमरजेंसी हटने के बाद जनता पार्टी की सरकार बन गई थी. उसके बाद देश का राजनीतिक माहौल इंदिरा गांधी के खिलाफ हो गया था. प्रशासन और सरकार भी कांग्रेस का सहयोग नहीं करती थी. ऐसे माहौल में भी स्थानीय नेताओं ने इंदिरा गांधी की जनसभा कर कांग्रेसियों में फिर से जोश भर दिया था. जनसभा में इंदिरा ने तब कहा था जनता पार्टी उन्हें फांसी पर चढ़ाना चाहती है, अगर देश की जनता चाहती है तो वह फांसी पर चढ़ने को तैयार हैं. इस भाषण से कांग्रेसी गुस्से के साथ ही जोश में भी थे और इंदिरा गांधी को हरिद्वार की जनसभा के बाद तो जैसे संजीवनी मिल गई और वह 3 साल बाद फिर से सत्ता में लौटकर आईं.

Intro:लाइव व्यू से भेजी गई है

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देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में किसी नेता या अफसर की हिम्मत उनके सामने चु तक करने की नहीं होती थी इंदिरा की जनसभाओं में भारी भीड़ जुटा करती थी मगर एक वक्त ऐसा भी आया जब इंदिरा गांधी डर गई थी और वह भी बहुत बुरी तरह इंदिरा गांधी में जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं बची थी वह देश की जनता का सामना करने से घबराने लगी थी ऐसे में उन्हें हौसला दिया था धर्म नगरी हरिद्वार ने हरिद्वार के कुछ कांग्रेसी नेताओं ने तब इंदिरा गांधी को भरोसा दिलाया उनका हौसला बढ़ाया तब कहीं जाकर इंदिरा गांधी हरिद्वार आकर जनसभा करने के लिए राजी हुई थी और उनके बाद तो कुछ ऐसा हुआ की इंदिरा गांधी डरपोक इंदिरा से वापस हिम्मतवाली दबंग नेता के रूप में देश के सामने आई और 3 साल बाद फिर से देश की प्रधानमंत्री बन गई आखिर क्या हुआ था ऐसा देखे एटीवी भारत पर हमारी खास रिपोट


Body:आयरन लेडी और देश की ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब तक प्रधानमंत्री रही उन्होंने पूरी कुशलता और क्षमता के साथ राजकाज चलाया उनके सामने बड़े से बड़े नेताओं अफसरों की एक ना चलती थी इंदिरा जो कहती वही होता था किसी अफसर तक मैं उनके आदेश को टालने की हिम्मत नहीं होती थी राजकाज के तनाव के पलों में जब इंद्र परेशान होती तो वह अध्यात्मिक की शरण में चली जाती थी इंदिरा गांधी अक्सर हरिद्वार के कनखल में अध्यात्मिक महिला साध्वी मा आनंदमयी के दर्शन करने आया करती थी आनंदमयी के पास आकर उन्हें न केवल मन की शांति मिलती थी बल्कि उनमें राजकाज चलाने के लिए एक अभूतपूर्व ऊर्जा भी आ जाती थी इंदिरा गांधी ने देश और सरकार को हमेशा ही कुशल राजनीति की तरह से चलाया था मगर इंदिरा ने अपने जीवन में एक ऐसा गलत फैसला कर लिया था जो उनके रहते हुए भी और आज तक उनकी पार्टी कांग्रेस के गले की फांस बना हुआ है इंदिरा गांधी ने साल 1975 में देश में इमरजेंसी लागू कर दी थी जो उनके जीवन का सबसे बड़ा गलत फैसला साबित हुआ था 19 77 में भारी जन दबाव के बाद इंदिरा गांधी को इमरजेंसी हटानी पड़ी और इसके बाद आम चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष के हाथों पूरी तरह से शिकस्त खानी पड़ी थी

इमरजेंसी हटने के बाद देश का माहौल बदल चुका था इंदिरा गांधी और कांग्रेस के प्रति देश की जनता में जबरदस्त आक्रोश था इंदिरा गांधी बहुत बुरी तरह से डरी हुई थी जनता का सामना करने की हिम्मत उनमे नहीं बची थी ऐसे में हरिद्वार के कांग्रेसी हरिद्वार में उनकी एक जनसभा करवाना चाहते थे तत्कालीन युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरीश कुमार साल 1972 से ही इंदिरा के संपर्क में रहे थे 1972 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उनके साथ मंच पर थे तब अमरीश कुमार इंदिरा गांधी के साथ लगातार संपर्क बने हुए थे उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि इंदिरा गांधी कई बार हरिद्वार आई है देश की आजादी और विभाजन के वक्त 1947 में इंदिरा गांधी अपने पिता नेहरू और गांधी जी के साथ शरणार्थियों से मिलने हरिद्वार आए थी साल 1972 से अमरीश कुमार उनके हर दौरे के साक्षी रहे है अमरीश कुमार बताते हैं इमरजेंसी हटने के बाद 1977 में 29 अगस्त को हरिद्वार में कुछ कांग्रेसी नेता इंदिरा गांधी से मिलने गए और उनसे हरिद्वार में एक जनसभा को संबोधित करने का आग्रह किया मगर जनसभा की बात सुनते ही इंदिरा गांधी ने एकदम से मना कर दिया है अमरीश कुमार का कहना है कि उस वक्त इंदिरा गांधी बहुत डरी हुई थी और वह जनता का सामना करने से घबरा रही थी उन्होंने हमसे साफ-साफ कहा कि वह किसी भी जनसभा को संबोधित नहीं करेगी जनसभा में जनता उनका विरोध करेगी और उन पर पत्थर फेंकेगी हरिद्वार से साथ गए तब के कांग्रेसी नेता और देश के बड़े वकील आरके गर्ग ने उन्हें समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होगा तो इंदिरा ने कहा कि नहीं वह कार्यकर्ताओं की मीटिंग के लिए तो आ सकती है मगर जनसभा नहीं करेगी अमरीश कुमार ने बताया कि बहुत आग्रह करने और उन्हें भरोसा दिलाने के बाद आखिरकार इंदिरा गांधी आने के लिए राजी तो हो गई मगर उन्होंने एक हफ्ते बाद का 5 सितंबर का वक्त दिया इतने कम वक्त में भी हमने जनसभा का आयोजन किया और जब इंदिरा गांधी हरिद्वार आई और जनसभा में उन्होंने भारी भीड़ देखी तो वह न केवल गदगद दिखे बल्कि इस सफल जनसभा से उनके भीतर से डर और घबराहट को दूर कर दिया एक नया हौसला दिया था

बाइट-- अमरीश कुमार--पूर्व विधायक कांग्रेसी नेता


Conclusion:इमरजेंसी हटने के बाद जनता पार्टी की सरकार बन गई थी उसके बाद देश का राजनीतिक माहौल इंदिरा गांधी के खिलाफ हो गया था प्रशासन और सरकार भी कॉन्ग्रेस से असहयोग करने लगा था ऐसे माहौल में भी कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इंदिरा गांधी की जनसभा कर कांग्रेसियों ने फिर से जोश भर दिया था जनसभा में इंदिरा ने तब कहा था जनता पार्टी उन्हें फांसी पर चढ़ाना चाहती है अगर देश की जनता चाहती है तो वह फांसी पर चढ़ने को तैयार है इस भाषण से कांग्रेसी गुस्से के साथ ही जोश में भी थे और इंदिरा गांधी को हरिद्वार की जनसभा के बाद तो जैसे संजीवनी मिल गई और वह 3 साल बाद फिर से सत्ता में लौट आएगी
Last Updated : Nov 19, 2019, 2:19 PM IST
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