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भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के मुरीद हुए बेन बाबा, स्विट्जरलैंड से पैदल ही पहुंचे हरिद्वार कुंभ

बेन बाबा ने स्विट्जरलैंड से हरिद्वार तक का सफर पैदल ही तय किया है. भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और योग से प्रभावित बेन बाबा पांच साल में करीब साढ़े छह हजार किलोमीटर पैदल सफर तय करके स्विट्जरलैंड से हरिद्वार महाकुंभ पहुंचे हैं.

सनातन धर्म और सभ्यता के मुरीद हुए बेन बाबा
सनातन धर्म और सभ्यता के मुरीद हुए बेन बाबा
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Published : Apr 9, 2021, 4:39 PM IST

Updated : Apr 9, 2021, 6:29 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी में महाकुंभ की शुरूआत होने के साथ ही साधु-संतों का हरिद्वार आना शुरू हो गया है. ऐसे में आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसे बाबा से मिलाने जा रहा है, जो स्विट्जरलैंड से पैदल चलकर हरिद्वार महाकुंभ में पहुंचे हैं.

भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं बेन बाबा
भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं बेन बाबा

बता दें कि बेन बाबा ने स्विट्जरलैंड से हरिद्वार तक का सफर पैदल ही तय किया है. भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और योग से प्रभावित बेन बाबा पांच साल में करीब साढ़े छह हजार किलोमीटर पैदल चलकर स्विट्जरलैंड से धर्मनगरी हरिद्वार महाकुंभ पहुंचे हैं.

हरिद्वार घाट पर स्नान के लिए पहुंचे बेन बाबा
हरिद्वार घाट पर स्नान के लिए पहुंचे बेन बाबा

बेन बाबा पेशे से वेब डिजाइनर हैं. स्विट्जरलैंड की लग्जरी जिंदगी छोड़कर अध्यात्म और योग में रम गए हैं. सनातन धर्म और योग का प्रचार-प्रसार को जिंदगी का मकसद और पैदल विश्व यात्रा को अपनी साधना बना लिया है. 33 वर्षीय बेन बताते हैं कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता अद्भुत है और योग, ध्यान और भारतीय वेद, पुराण सबसे मूल्यवान हैं.

ये भी पढ़ें: सीएम तीरथ का बड़ा फैसला- देवस्थानम बोर्ड से मुक्त होंगे 51 मंदिर, बोर्ड भंग करने पर भी विचार

बेन बाना ने कहा कि सनातन धर्म में अलौकिक ताकत है, जिससे वह प्रभावित हुए और भारत आ गए. उन्होंने भारत भ्रमण का लक्ष्य बनाया है. उन्होंने स्विट्जरलैंड में ही हिंदी सीखी. पांच साल पहले स्विट्जरलैंड से भारत के लिए पैदल सफर शुरू किया. चार साल के लंबे सफर के बाद वे भारत पहुंचे. पांचवें साल में भारत में भ्रमण कर रहे हैं. मंदिरों, मठों में जाकर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का अध्ययन कर रहे हैं.

सनातन धर्म और सभ्यता के मुरीद हुए बेन बाबा

हिमाचल के कांगड़ा से 25 दिनों के पैदल सफर के बाद वे हरिद्वार पहुंचे. उन्होंने बताया कि यूरोप में पैसा है, लग्जरी जिंदगी है, लेकिन खुशी नहीं है. खुशी को पैसों से कभी नहीं खरीदा जा सकता है. खुशी योग और ध्यान से मिलती है. भारतीय संस्कृति और योग के बारे में पढ़ा और अध्यात्म के लिए स्विट्जरलैंड छोड़ दिया.

हरिद्वार: धर्मनगरी में महाकुंभ की शुरूआत होने के साथ ही साधु-संतों का हरिद्वार आना शुरू हो गया है. ऐसे में आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसे बाबा से मिलाने जा रहा है, जो स्विट्जरलैंड से पैदल चलकर हरिद्वार महाकुंभ में पहुंचे हैं.

भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं बेन बाबा
भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं बेन बाबा

बता दें कि बेन बाबा ने स्विट्जरलैंड से हरिद्वार तक का सफर पैदल ही तय किया है. भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और योग से प्रभावित बेन बाबा पांच साल में करीब साढ़े छह हजार किलोमीटर पैदल चलकर स्विट्जरलैंड से धर्मनगरी हरिद्वार महाकुंभ पहुंचे हैं.

हरिद्वार घाट पर स्नान के लिए पहुंचे बेन बाबा
हरिद्वार घाट पर स्नान के लिए पहुंचे बेन बाबा

बेन बाबा पेशे से वेब डिजाइनर हैं. स्विट्जरलैंड की लग्जरी जिंदगी छोड़कर अध्यात्म और योग में रम गए हैं. सनातन धर्म और योग का प्रचार-प्रसार को जिंदगी का मकसद और पैदल विश्व यात्रा को अपनी साधना बना लिया है. 33 वर्षीय बेन बताते हैं कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता अद्भुत है और योग, ध्यान और भारतीय वेद, पुराण सबसे मूल्यवान हैं.

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बेन बाना ने कहा कि सनातन धर्म में अलौकिक ताकत है, जिससे वह प्रभावित हुए और भारत आ गए. उन्होंने भारत भ्रमण का लक्ष्य बनाया है. उन्होंने स्विट्जरलैंड में ही हिंदी सीखी. पांच साल पहले स्विट्जरलैंड से भारत के लिए पैदल सफर शुरू किया. चार साल के लंबे सफर के बाद वे भारत पहुंचे. पांचवें साल में भारत में भ्रमण कर रहे हैं. मंदिरों, मठों में जाकर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का अध्ययन कर रहे हैं.

सनातन धर्म और सभ्यता के मुरीद हुए बेन बाबा

हिमाचल के कांगड़ा से 25 दिनों के पैदल सफर के बाद वे हरिद्वार पहुंचे. उन्होंने बताया कि यूरोप में पैसा है, लग्जरी जिंदगी है, लेकिन खुशी नहीं है. खुशी को पैसों से कभी नहीं खरीदा जा सकता है. खुशी योग और ध्यान से मिलती है. भारतीय संस्कृति और योग के बारे में पढ़ा और अध्यात्म के लिए स्विट्जरलैंड छोड़ दिया.

Last Updated : Apr 9, 2021, 6:29 PM IST
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