रुड़कीः पिरान कलियर में सैकड़ों साल पुरानी एक ऐतिहासिक इमारत अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण करने की कवायद में भले ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग योजनाएं बना रहा हो, लेकिन मुगल साम्राज्य के दौरान बनाई गई ऐतिहासिक इमारत खस्ताहाल स्थिति में हैं. साथ ही इस इमारत को संरक्षण की दरकार है. आलम ये है कि इमारत में कई जगह दरारें पड़ गई है. वहीं, शासन-प्रशासन इस ऐतिहासिक इमारत की कोई सुध नहीं ले रहा.
बता दें कि रुडकी के पिरान कलियर के वीआईपी मार्ग पर स्थित मुगल साम्राज्य के काल में बनाई गई एक इमारत आज तक रहस्मय बनी हुई है. ऐतिहासिक इमारत होने के कारण इस इमारत को लेकर लोग अलग-अलग तर्क देते हैं. कई लोग इसे बादशाह का मकबरा कहते हैं, तो कई लोग जिन्नातों से तैयार हुई इमारत बताते हैं. कई लोगों का कहना है कि इस इमारत के भीतर पहले कोई कब्र नहीं थी. अभी इमारत में दो कब्रें मौजूद हैं. वहीं, मकबरे के नाम से मशहूर पुरानी रहस्मय इमारत जर्जर हालत में है. इमारत में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. साथ ही दरारों में बड़े-बड़े पौधे उग चुके हैं.
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हालांकि इस इमारत के निर्माण को लेकर ज्यादा जानकारी स्पष्ट नहीं है. साथ ही किस मकसद से बनाई गई थी, इसकी भी जानकारी नहीं है, लेकिन स्थानीय लोग इस रहस्मय इमारत को बादशाह का मकबरा कहते हैं. माना जाता है कि यह मकबरा सैकड़ों साल पुराना है. वर्तमान में यह एक पर्यटन का बेहतर स्थान भी बन सकता है, लेकिन इमारत के आसपास फैली गंदगी ने इसकी पहचान को छुपा दिया है. विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर में मौजूद यह इमारत शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार बना हुआ है.
स्थानीय लोग कई बार शासन-प्रशासन से इमारत की देखरेख और मरम्मत की मांग कर चुके हैं, लेकिन मामले पर कोई सुध नहीं ली जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिरान कलियर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल होने के साथ धर्म नगरी भी है. यहां पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन दरगाह मैनेजमेंट और स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की है. उनका कहना है कि सरकार पर्यटन के क्षेत्र में करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन इस इमारत की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. संरक्षण और देखरेख होने से ये स्थान पर्यटन का अच्छा विकल्प बन सकता है.