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नवरात्रों में मां की भक्ति तो रमजान में खुदा की इबादत करते हैं रतन लाल, ये कहानी कर देगी भावुक

रतन लाल बताते हैं कि वो साल में दो बार आने वाले नवरात्रों के व्रत भी करते हैं. इसके अलावा वो जन्माष्टमी पर पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ व्रत करते हैं. उनकी हिंदू-मुस्लिम धर्मों को प्रति पूरी आस्था है.

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Published : May 7, 2019, 1:45 PM IST

रतन लाल

लक्सर: रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. ये महीना मुस्लिम समुदाय के लिये बेहद खास होता है. तीस दिनों तक मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं. हालांकि, हरिद्वार जिले के लक्सर में एक ऐसा हिंदू परिवार भी है, जो बीते 26 सालों से रोजा रखता आ रहा है. यही वजह है कि ये परिवार क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बन गया है.

ये कहानी कर देगी भावुक

पढ़ें- देवभूमि में शुरू हुई चारधाम यात्रा, खुले गंगोत्री धाम के कपाट

लक्सर के बसेडी गांव निवासी रतन लाल बताते हैं कि रमजान के दिनों में जब वो रोजा रखते हैं तो इससे उन्हें बड़ा सुकून महसूस होता है. हालांकि, रोजा रखने के पीछे वो एक कारण भी बताते हैं. रतन लाल के मुताबिक, आज से 26 साल पहले अपनी बेटी की शादी के लिए वो लड़के की तलाश कर रहे थे, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था.

रिश्ते की तलाश में एक दिन रतन लाल मुजफ्फरनगर के एक गांव में गए थे, जहां उनकी मुलाकात मुस्लिम समाज के एक बुर्जुग से हुई. रतन लाल ने बुर्जुग को अपनी परेशानी बताई. बुर्जुग शख्स ने उन्हें सलाह दी कि यदि वो रोजे रखेंगे तो उनकी समस्या का जल्द ही निदान हो जाएगा. उनकी सलाह मानते हुये रतन लाल रमजान के पाक महीने में रोजा रखने लगे और उन्हें बेटी के लिए अच्छा रिश्ता मिला और शादी भी अच्छे ढंग से संपन्न हो गई. तभी से वो रोजा रखते चले आ रहे हैं.

पढ़ें- शिव की जटाओं से निकलते ही गंगा ने यहां धरती को किया था स्पर्श, जानें गंगोत्री धाम की मान्यता

रतन लाल बताते हैं कि वो साल में दो बार आने वाले नवरात्रों के व्रत भी करते हैं. इसके अलावा वो जन्माष्टमी पर पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ व्रत करते हैं. उनकी हिंदू-मुस्लिम धर्मों को प्रति पूरी आस्था है. रमजान के दौरान उनके रोजा रखने पर उनके परिजनों को किसी तरह का एतराज नहीं है, बल्कि परिवार के अन्य सदस्य उनकी खाने-पीने से लेकर उनकी हरसंभव मदद करते हैं.

लक्सर: रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. ये महीना मुस्लिम समुदाय के लिये बेहद खास होता है. तीस दिनों तक मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं. हालांकि, हरिद्वार जिले के लक्सर में एक ऐसा हिंदू परिवार भी है, जो बीते 26 सालों से रोजा रखता आ रहा है. यही वजह है कि ये परिवार क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बन गया है.

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लक्सर के बसेडी गांव निवासी रतन लाल बताते हैं कि रमजान के दिनों में जब वो रोजा रखते हैं तो इससे उन्हें बड़ा सुकून महसूस होता है. हालांकि, रोजा रखने के पीछे वो एक कारण भी बताते हैं. रतन लाल के मुताबिक, आज से 26 साल पहले अपनी बेटी की शादी के लिए वो लड़के की तलाश कर रहे थे, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था.

रिश्ते की तलाश में एक दिन रतन लाल मुजफ्फरनगर के एक गांव में गए थे, जहां उनकी मुलाकात मुस्लिम समाज के एक बुर्जुग से हुई. रतन लाल ने बुर्जुग को अपनी परेशानी बताई. बुर्जुग शख्स ने उन्हें सलाह दी कि यदि वो रोजे रखेंगे तो उनकी समस्या का जल्द ही निदान हो जाएगा. उनकी सलाह मानते हुये रतन लाल रमजान के पाक महीने में रोजा रखने लगे और उन्हें बेटी के लिए अच्छा रिश्ता मिला और शादी भी अच्छे ढंग से संपन्न हो गई. तभी से वो रोजा रखते चले आ रहे हैं.

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रतन लाल बताते हैं कि वो साल में दो बार आने वाले नवरात्रों के व्रत भी करते हैं. इसके अलावा वो जन्माष्टमी पर पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ व्रत करते हैं. उनकी हिंदू-मुस्लिम धर्मों को प्रति पूरी आस्था है. रमजान के दौरान उनके रोजा रखने पर उनके परिजनों को किसी तरह का एतराज नहीं है, बल्कि परिवार के अन्य सदस्य उनकी खाने-पीने से लेकर उनकी हरसंभव मदद करते हैं.

Intro: हिन्दु मुस्लिम एकता की मिशाल बने रतनलाल
एंकर-रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है ।यह महीना मुसलमानो के लिये बेहद अहम माना जाता है।इस पवित्र महीने मे मुस्लिम समुदाय के लोग जहां तीस दिनो तक रोजे रखते है। वही लकसर से सटे बसेडी गांव निवासी रतन लाल जो हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं पिछले 26 वर्षो से लगातार रमजान के महीने मे पूरे रोजे रखते चले आ रहे है। जिस पर वे छेत्र मे हिन्दु मुस्लिम एकता की मिशाल बन गये है ।Body:रतनलाल का कहना है कि वह रमजान के इस पवित्र महीने मे रोजा रखकर काफी सुकून महसूस करते है। रतन लाल बताते हैं कि 26 वर्ष पूर्व वे अपनी पुत्री के रिश्ते के लिए कई वर्षों तक अच्छे रिश्ते की तलाश करते रहे लेकिन तमाम भाग दौड़ के बावजूद उन्हे कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल सका जिसके चलते रमजान के महीने में जब वे अपनी पुत्री के रिश्ते के तलाश में उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर के एक गांव में गए हुए थे तो उनकी मुलाकात यंहा एक मुस्लिम समाज के बुजुर्ग ग्रामीण से हुई उन्होंने उन्हे परेशान जानकर जब उनसे कारण पूछा तो उन्होंने अपनी पीड़ा उनके समक्ष बयां की जिस पर उन्होंने रमजान के महीने में उनसे रोजे रखने को कहते हुए कहा कि यदि वे रोजे रखेंगे तो उनकी समस्या का शीघ्र ही निदान हो जाएगा बुजुर्ग की बात पर भरोसा कर उन्होंने उसी दिन से रोजे रखने शुरू कर दिए जिसके चलते उसी दौरान रमजान के महीने में ही उन्हें अपनी पुत्री के लिए एक अच्छा रिश्ता मिल गया तथा उनकी पुत्री की शादी अच्छे ढंग से संपन्न हो गई तभी से उनका विश्वास और अधिक बढ़ गया तथा उसके बाद से वह लगातार 26 वर्षों से रोजे रखते चले आ रहे हैं रतनलाल नवरात्रो मे व्रत रखकर और रमजान के महीने मे रोजा रखकर हिन्दु मुस्लिम एकता की मिसाल कायम कर रहे है । जहां एक ओर देश मे हिंदू मुस्लिम की राजनीति हो रही है वहीं आए दिन हिन्दु मुस्लिम विवाद होना आम हो गया है वहीं दूसरी ओर रतनलाल रोजा वह व्रत दोनों रखकर हिन्दु वे मुस्लिम दोनो ही समुदाय के लोगों को आपसी भाईचारे,प्रेम व सदभाव संदेश दे रहे हैं है। रतन लाल बताते हैं कि वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रों के दिनों में वह पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं साथ ही जन्माष्टमी पर्व पर भी उनके द्वारा पूरी निष्ठा के साथ व्रत रखा जाता हैं उनकी हिंदू या मुस्लिम दोनों धर्मों के प्रति आस्था है जिसे वे 26 वर्षों से निभाते चले आ रहे हैं वे बताते हैं कि रमजान के दौरान उनके रोजा रखने को लेकर उनके परिजन किसी तरह का कोई एतराज नहीं जताते हैं तथा उनके द्वारा खाने पीने से लेकर हर संभव उनकी मदद की जाती है।Conclusion:रतनलाल के पडोसी नफीस खान का कहना है कि वह उन्हे लम्बे समय से रोजा रखते देख रहे रोजे की समय अनुसार सुबह उठकर रोजा रखने की तमाम औपचारिकताएं पूरी करते हैं तथा पूरा दिन रोजा रखते है और शाम को समय पर ही रोजा इख्तियार करते है । ऐसा 26 सालों लम्बे समय समय से चल रहा है । ओर इससे हम मुसलमानो को भी सीख लेनी चाहिए
बाईट - रतनलाल रोजादार
बाईट - नफीस खान पड़ोसी
रिपोर्ट -कृष्णकांत शर्मा   लकसर जिला हरिद्वार
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