हरिद्वार: बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड के साथ हरिद्वार में भी एकाएक कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं जिले में कोरोना टेस्ट भी कम संख्या में हो रहे हैं. ऐसे में कई लक्षणों वाले मरीज अपना टेस्ट नहीं कर पा रहे हैं. वहीं चुनावी सीजन में काफी लापरवाही बरती जा रही है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिंता काफी बढ़ा दी है. अधिकारियों को डर सत्ता रहा है कि हरिद्वार का हाल बीते साल कुंभ की तरह न हो जाए, जब कोरोना ने यहां जमकर तबाही मचाई थी. यही कारण है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना से निपटने की तैयारियों में जुटा हुआ है.
सरकारी, छोटे बड़े और निजी अस्पतालों के अलावा स्वास्थ्य विभाग ने सिडकुल की एक बड़ी फैक्ट्री में 200 बेड का एक सीसीसी यानी कोविड केयर सेंटर तैयार किया है, जिसमें माइल्ड मरीजों के लिए तमाम सुविधाएं दवा निर्माता कंपनी एकम्स के सहयोग से की गई हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोना से 7 मरीजों की मौत, 24 घंटे में मिले 2813 संक्रमित
हरिद्वार में कोरोना दर 10 से ऊपर: हरिद्वार जिले में इस समय बमुश्किल चार से साढ़े चार हजार लोगों की रोजाना कोविड जांच हो रही है, जिसमें करीब पांच सौ लोग संक्रमित आ रहे हैं. बीते कुछ दिनों से संक्रमण दर दस से पंद्रह फीसदी के बीच बनी हुई है. ऐसा इसलिए चूंकि फिलहाल टेस्टिंग काफी कम हो रही है. यदि इसी टेस्टिंग को बढ़ाकर पन्द्रह से बीस हजार प्रतिदिन कर दिया जाए तो संक्रमितों की संख्या में भारी उछाल आ सकता है. फिलहाल कई लोग टेस्ट कराने से भी बच रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग को आने वाले दिनों की चिंता: स्वास्थ्य विभाग भी इस बात को जान रहा है कि आने वाले दिन संकट भरे हो सकते हैं. राजनैतिक दलों को सिर्फ अपनी जीत या दूसरे की हार से मतलब है. किसी को आम जनता के स्वास्थ्य या फिर कोरोना के खतरे से शायद कोई सरोकार नहीं है. रात में भले ही नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है, लेकिन पुलिस और प्रशासन भीड़ पर कोई अंकुश नहीं कर पा रहे हैं. न ही लोगों में कोरोना के प्रति कोई जागरूकता नजर आ रही है. दिन में सड़कों पर पूरी भीड़ है जो आने वाले दिनों में कोरोना प्रसार का बड़ा कारण बन सकती है.
ये है तैयारी: स्वास्थ्य विभाग को शायद इस बात का अंदेशा अभी से है कि आने वाले दिन कोरोना के लिहाज से कितने घातक हो सकते हैं. चुनावी सीजन में कोरोना वायरस कितनी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जद में ले सकता है. यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है. भले ही अभी कोरोना से ग्रसित अत्यधिक गंभीर मामले सामने ना आ रहे हों, बावजूद इसके विभाग अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है.
सात हजार बेड रिजर्व: जिले के 7000 से अधिक बेड छोटे-बड़े अस्पताल और होटलों में विभाग ने अभी से सुरक्षित कर दिए हैं, तो वहीं अकेले सिडकुल में दवा निर्माता कंपनी एकम्स की एक इकाई को भी कोविड-19 सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. इस सीसीसी में फिलहाल 200 बेड लगा दिए गए हैं, जबकि इसकी क्षमता करीब 1000 बेड की है. जरूरत पड़ने पर यहां पर 800 और बेड की व्यवस्था की जा सकती है.
गंभीर मरीजों की भी पूरी व्यवस्था: कोविड यदि विकराल रूप धारण करता है और मरीजों को ऑक्सीजन के साथ वेंटिलेटर की भी जरूरत पड़ती है तो इसके लिए भी जिले में इस बार पूरी तैयारी की गई है. दूधाधारी बर्फानी अस्पताल में करीब 500 बेड ऐसे तैयार किए गए हैं, जहां पर ऑक्सीजन की 24 घंटे व्यवस्था होगी. इसके साथ ही इस अस्पताल में वेंटिलेटर बेड भी लगाए गए हैं.
पढ़ें- हल्द्वानी में हरीश रावत ने तली जलेबी, देखें VIDEO
वहीं कनखल स्थित बंगाली अस्पताल ने बीते साल की तरह इस साल भी अपने अस्पताल को कोविड-19 के लिए बनाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. यदि जरूरत पड़ती है तो इस अस्पताल में भी 300 बेड की व्यवस्था तत्काल की जा सकती है.
वैक्सीनेशन पर जोर: हरिद्वार में कोरोना से लोगों को बचाने के लिए वैक्सीन लगाने का काम भी काफी तेजी से चल रहा है. पहली डोज यहां पर लगभग शत-प्रतिशत लगा दी गई है, जबकि दूसरी डोज भी करीब साठ परसेंट लोगों को लग चुकी है. यही कारण है कि कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा काफी कम है. इतना ही नहीं कोरोना फिलहाल लोगों को गंभीर रूप से बीमार भी नहीं कर रहा है, लेकिन तीसरी लहर में जिस तरीके से मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, वह आने वाले दिनों में लोगों को जरूर परेशान कर सकती है.
क्या कहते हैं अधिकारी: एकम्स में सीसीसी की व्यवस्थाएं देख रहे आशुतोष का कहना है कि फैक्ट्री द्वारा ही अस्पताल में जहां फिलहाल 200 बेड लगाए गए हैं, वहीं चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की भी पूरी व्यवस्था की गई है. बीते कोरोना काल में भी इस इकाई में सीसीसी बनाया गया था, जिसमें ए सिंप्टोमेटिक मरीजों को पूरा उपचार मिला था और यहां से अधिकतर लोग ठीक होकर ही घर वापस गए थे.
क्या कहते हैं सीएमओ: मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ कुमार खगेंद्र सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग कोरोना की तीसरी लहर को लेकर पूरी तरह से तैयार है. कोरोना की तीसरी लहर ओमीक्रोन प्रभावित है और इसके फैलने की दर भी काफी अधिक है. तीसरी लहर से निपटने के लिए जिले के तमाम छोटे-बड़े अस्पतालों को तो और मजबूत किया ही है साथ ही दूसरी लहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उन सीसीसी को भी दोबारा तैयार कराया है जहां पर दूसरी लहर में मरीजों को रखकर उपचार दिया गया था.
सिडकुल स्थित एकम्स फैक्ट्री में भी 200 से अधिक बेड की व्यवस्था माइल्ड पेशेंट के लिए की गई है. इस सेंटर में उपचार के साथ मरीजों के रहने व खाने की पूरी व्यवस्था फैक्ट्री द्वारा की गई है. बीते साल कुंभ के बाद कोरोना की दूसरी लहर इतनी तेजी से फैली थी कि जनता को कोरोना से बचने का मौका नहीं मिला था. वहीं स्वास्थ्य विभाग भी तैयारियां पूरी नहीं कर पाया था, जिसका नतीजा जिले में बहुत अधिक संख्या में मौतों के रूप में सामने आया था, लेकिन तीसरी लहर आने से पहले ही इस बार स्वास्थ्य विभाग तयारियां पूरी करने का दावा कर रहा है.
सरकारी व निजी अस्पतालों के साथ सीसीसी भी पूरी तरह से तैयार किए जाने के दावे किए जा रहे हैं. हालांकि अभी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या काफी कम है. चुनाव के बाद शहरों में तेजी से कोरोना वायरस फैल सकता है, लेकिन यह कोरोना लोगों की जान ना ले स्वास्थ्य विभाग बस इसी से निपटने की तैयारियों में दिन रात जुटा हुआ है.