ETV Bharat / state

कांवड़ यात्रा रद्द होने से व्यापारियों की टूटी आस, करोड़ों के नुकसान का अनुमान

धर्मनगरी हरिद्वार में कोरोना वायरस के चलते इस बार सरकार ने कावड़ यात्रा रद्द कर दी है. जिसका सीधा असर स्थानीय व्यापारियों को झेलना पड़ा रहा है.

कावड़ यात्रा रद्द
कावड़ यात्रा रद्द
author img

By

Published : Jun 23, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 5:12 PM IST

हरिद्वार: कोरोना संकट के चलते धर्मनगरी हरिद्वार में इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी. इससे हरिद्वार के व्यापारियों को तगड़ा झटका लगा है. क्योंकि इससे पहले तीन महीने से जारी लॉकडाउन के चलते सभी होटल और सार्वजनिक गतिविधियां बंद थी. अब कांवड़ यात्रा के न होने के ऐलान के साथ ही व्यापारियों को करोड़ों के नुकसान का अनुमान है. निराश व्यापारी सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं. बता दें कि हर साल कावड़ यात्रा में विभिन्न राज्यों से करोड़ों शिवभक्त गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं.

कांवड़ यात्रा रद्द होने से व्यापारियों की टूटी आस

कोरोना संकट के चलते उत्तर भारत के सबसे बड़े मेले कावड़ यात्रा को आखिरकार रद्द करना पड़ा. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आपसी सहमति के बाद ये निर्णय लिया. लगभग 15 दिनों तक चलने वाले इस कांवड़ मेले में हर साल करोड़ों की संख्या में शिव भक्त हरिद्वार पहुंचते हैं और गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य की ओर निकलते हैं.

इस मेले से हरिद्वार के कई छोटे-बड़े व्यापारियों का रोजगार जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि कावड़ यात्रा के रद्द हो जाने से हरिद्वार के व्यापारी निराश हैं. व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल नवंबर महीने से कभी ट्रेनों का संचालन बंद होने से तो उसके बाद कोरोना महामारी फैल जाने के कारण हरिद्वार का व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. इससे पहले कोरोना महामारी के कारण सरकार चारधाम यात्रा को भी रद्द कर चुकी है. चारधाम यात्रा के बाद अगले महीने से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा से काफी उम्मीदें थी. लेकिन अब उसको भी रद्द कर दिया गया है.

व्यापारी नेताओं का कहना है कि सरकार को व्यवस्था बनाकर कोई बीच का मार्ग निकालना चाहिए. जिससे यह पारंपरिक मेला भी संपन्न हो सके और उसके अलावा मेले से जुड़े लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट भी ना आए.

पढ़ेंः बाबा रामदेव का दावा बना ली कोरोना की 'रामबाण' दवा, प्रेस कॉन्फ्रेंस में की घोषणा

मामले में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि सरकार ने मेले को पारंपरिक स्वरूप में संपन्न न कराए जाने का निर्णय लिया है. इस मेले में करोड़ों की संख्या में यात्री आते हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा पाना मुश्किल होगा. इसलिए जान है तो जहान है की धारणा को सर्वोपरि मानते हुए मेले के स्वरूप में परिवर्तन किया गया है. अन्य राज्यों की सरकारों से वार्ता कर कहा गया है कि उनके यहां हरिद्वार से गंगाजल भरकर ले जाने वाली समितियों के कुछ सदस्य हरिद्वार से गंगाजल भरकर ले जा सकते हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि धर्मनगरी हरिद्वार में पिछले कई महीनों से कोई खास रौनक देखने को नहीं मिल रही है. नवंबर-दिसंबर महीने में ट्रेनों का संचालन न होना और उसके बाद कोरोना महामारी ने धर्मनगरी हरिद्वार की छटा और अर्थतंत्र को बिगाड़ कर रख दिया है. यही कारण है कि हरिद्वार के व्यापारी सरकार से लगातार राहत की गुहार लगा रहे हैं.

हरिद्वार: कोरोना संकट के चलते धर्मनगरी हरिद्वार में इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी. इससे हरिद्वार के व्यापारियों को तगड़ा झटका लगा है. क्योंकि इससे पहले तीन महीने से जारी लॉकडाउन के चलते सभी होटल और सार्वजनिक गतिविधियां बंद थी. अब कांवड़ यात्रा के न होने के ऐलान के साथ ही व्यापारियों को करोड़ों के नुकसान का अनुमान है. निराश व्यापारी सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं. बता दें कि हर साल कावड़ यात्रा में विभिन्न राज्यों से करोड़ों शिवभक्त गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं.

कांवड़ यात्रा रद्द होने से व्यापारियों की टूटी आस

कोरोना संकट के चलते उत्तर भारत के सबसे बड़े मेले कावड़ यात्रा को आखिरकार रद्द करना पड़ा. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आपसी सहमति के बाद ये निर्णय लिया. लगभग 15 दिनों तक चलने वाले इस कांवड़ मेले में हर साल करोड़ों की संख्या में शिव भक्त हरिद्वार पहुंचते हैं और गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य की ओर निकलते हैं.

इस मेले से हरिद्वार के कई छोटे-बड़े व्यापारियों का रोजगार जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि कावड़ यात्रा के रद्द हो जाने से हरिद्वार के व्यापारी निराश हैं. व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल नवंबर महीने से कभी ट्रेनों का संचालन बंद होने से तो उसके बाद कोरोना महामारी फैल जाने के कारण हरिद्वार का व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. इससे पहले कोरोना महामारी के कारण सरकार चारधाम यात्रा को भी रद्द कर चुकी है. चारधाम यात्रा के बाद अगले महीने से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा से काफी उम्मीदें थी. लेकिन अब उसको भी रद्द कर दिया गया है.

व्यापारी नेताओं का कहना है कि सरकार को व्यवस्था बनाकर कोई बीच का मार्ग निकालना चाहिए. जिससे यह पारंपरिक मेला भी संपन्न हो सके और उसके अलावा मेले से जुड़े लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट भी ना आए.

पढ़ेंः बाबा रामदेव का दावा बना ली कोरोना की 'रामबाण' दवा, प्रेस कॉन्फ्रेंस में की घोषणा

मामले में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि सरकार ने मेले को पारंपरिक स्वरूप में संपन्न न कराए जाने का निर्णय लिया है. इस मेले में करोड़ों की संख्या में यात्री आते हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा पाना मुश्किल होगा. इसलिए जान है तो जहान है की धारणा को सर्वोपरि मानते हुए मेले के स्वरूप में परिवर्तन किया गया है. अन्य राज्यों की सरकारों से वार्ता कर कहा गया है कि उनके यहां हरिद्वार से गंगाजल भरकर ले जाने वाली समितियों के कुछ सदस्य हरिद्वार से गंगाजल भरकर ले जा सकते हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि धर्मनगरी हरिद्वार में पिछले कई महीनों से कोई खास रौनक देखने को नहीं मिल रही है. नवंबर-दिसंबर महीने में ट्रेनों का संचालन न होना और उसके बाद कोरोना महामारी ने धर्मनगरी हरिद्वार की छटा और अर्थतंत्र को बिगाड़ कर रख दिया है. यही कारण है कि हरिद्वार के व्यापारी सरकार से लगातार राहत की गुहार लगा रहे हैं.

Last Updated : Jul 6, 2020, 5:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.