हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में महाकुंभ चल रहा है. मेला प्रशासन के साथ-साथ हर सरकारी महकमा कुंभ के सफल आयोजन में अपनी भूमिका निभा रहा है. इसी क्रम में हरिद्वार वन विभाग भी पूरी तरह से मुस्तैद है, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम से कम करने और कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को वन्य जीवों से सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत है.
हरिद्वार कुंभ के तीन मुख्य शाही स्नान संपन्न हो चुके हैं, जिसे लेकर मेला प्राधिकरण और कुंभ मेला पुलिस ने प्रेस वार्ता कर अपनी बात रखी. वहीं, वन विभाग हरिद्वार की तरफ से भी आज इसे लेकर प्रेस वार्ता की गई. जिसमें डीएफओ नीरज शर्मा ने बताया कि कुंभ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है. हरिद्वार का कुंभ क्षेत्र चारों ओर से जंगलों से घिरा है. जिस कारण हरिद्वार में जंगली जानवरों के आबादी वाले क्षेत्रों में आने की घटनाएं आए दिन देखने को मिलती हैं. कुंभ को देखते हुए वन महकमा वन्यजीवों के विचरण पर पैनी नजर रख रहा है. इसके लिए योजना भी बनाई गई है.
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जिसमें सोलर फेंसिंग, दीवार, तार के जाल और सुरक्षा खाई बनाई गई हैं. साथ ही निगरानी के लिये 8 चौकी, 5 वॉच टावर बनाये गए हैं. संवेदनशील क्षेत्रों में 40 टीमें तैनात की गई हैं. जिसमें हर टीम में 6 से 7 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई, जो 24 घंटे निगरानी करती रहती है. जिससे जंगली जानवरों के मूवमेंट की लगातार सूचना मिलती रहे और कुंभ के दौरान जंगली जानवर आबादी में न घुस सकें.
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उन्होंने बताया कि जंगल और कुंभ क्षेत्र की सीमा पर 20 रिपेलर्स सेंसर लगाए गए हैं और 50 और लगाए जाने हैं. जिन हर एक सेंसर की कीमत 18 हजार है. ये सेंसर 30 से 40 फीट की दूरी पर से ही जंगली जानवरों की मौजूदगी का पता लगा लेते हैं. जिससे जंगली जानवरों की वास्तविक लोकेशन का पता लग सकता है.