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कांवड़ यात्रा 2022: इन 12 दिन में हरिद्वार में होती है कुंभ से ज्यादा भीड़, भोले भक्त भरते हैं गंगाजल - कांवड़ियों की भीड़

वैसे तो धर्मनगरी हरिद्वार सालभर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आमद से गुलजार रहती है, लेकिन खास मौकों पर तो गंगा स्नान करने वाले लोगों की संख्या रिकॉर्ड तोड़ देती है. इसमें कुंभ और कांवड़ मेला शामिल हैं. कांवड़ मेला सिर्फ 12 दिन तक चलता है, लेकिन इस दौरान कांवड़ियों की संख्या कुंभ के रिकॉर्ड को भी टक्कर देती है. महज दो दिन बाद कांवड़ यात्रा 2022 शुरू होने जा रही है. ऐसे में इस बार भी रिकॉर्ड टूटने का अनुमान है.

Kanwar Yatra 2022 in Uttarakhand
हरिद्वार कांवड़ मेला
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Published : Jul 12, 2022, 1:50 PM IST

हरिद्वारः भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आगामी 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. कांवड़ के दौरान सिर्फ 12 दिनों के भीतर जितनी भीड़ भगवान भोले की ससुराल और धर्म नगरी हरिद्वार में जुटती है, उतनी भीड़ कुंभ के दौरान चार महीने में भी देखने को नहीं मिलती है. इतने कम समय में सबसे बड़ी यात्राओं में शुमार कांवड़ यात्रा में करोड़ों की संख्या में कांवड़िए व श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं. कांवड़िए यहां से गंगाजल भर अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं. इस समय यह पूरी यात्रा सिर्फ भगवान भोलेनाथ के भरोसे ही संपन्न होती है. कहने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस लगाई जाती है, लेकिन इन कांवड़ियों के आगे पुलिसकर्मी भी नतमस्तक नजर आते हैं.

आगामी 14 जुलाई से कुंभ मेले से अधिक भीड़ वाला कांवड़ मेला शुरू होने जा रहा है. कुंभ का मेला तो चार तीर्थों पर होता है, लेकिन कांवड़ का ये मेला सिर्फ शिव की ससुराल माया, दक्ष पुरी में महज 12 दिनों में संपन्न हो जाता है. ज्योतिष डॉक्टर प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पहली कांवड़ भगवान परशुराम ने अपने गुरु को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से उठाई थी. उसके बाद दुर्वासा ऋषि, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, राजा भरथरी, राजा विक्रमादित्य, राजा सत्यकेतु, राजा सोमेश्वर, राजा हर्षवर्धन आदि ने श्रावण मास में गंगा जल हरिद्वार से भरकर शिव का अभिषेक किया था. लेकिन इस यात्रा का लाभ तभी मिलता है, जब ब्रह्मचर्य का पालन हो और पूरी यात्रा में मौन हो. क्रोध करने से तुरंत इस यात्रा का फल समाप्त हो जाता है.

इस बार ये कांवड़ यात्रा सूर्य के नक्षत्र बिस्कुंभ नामक योग से प्रारंभ होगी. इस पूरे श्रावण मास में 4 सोमवार होंगे. 25 जुलाई को सोम प्रदोष होगा. 26 जुलाई को शिव रात्रि को गदली गंगा का जल भगवान आशुतोष पर चढ़ेगा. प्रतीक मिश्रपुरी बताते हैं कि दुर्वासा ऋषि ने कहा था कि जो भी गदली गंगा का जल हरिद्वार ब्रह्मकुंड से लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक मौन व्रत के जरिए करता है, उसके घर पर सात पीढ़ियां लक्ष्मी से वंचित नहीं होती है. ये श्रावण मास 11-12 अगस्त को समाप्त होगा. इसी दिन रक्षा बंधन भी होगा.

ये भी पढ़ेंः चारधाम यात्रा के बाद कांवड़ मेले का होगा भव्य आयोजन, टूटेगा कुंभ का रिकॉर्ड!

DM विनय शंकर पांडे ने जांची व्यवस्थाएंः जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने कांवड़ मेला 2022 की अंतिम तैयारियों के मद्देनजर जटवाड़ा पुल से लेकर बैरागी कैंप तक चल रहे कार्यों का औचक निरीक्षण किया. सबसे पहले वे जटवाड़ा पुल पहुंचे. यहां उन्होंने जटवाड़ा पुल घाट के पास बने शेड, पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय और भंडारे के लिए चिह्नित जगह का बारीकी से निरीक्षण किया. इस दौरान इस क्षेत्र में सफाई की उचित व्यवस्था न होने पर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की.

इसके बाद ज्वालापुर ऊंचापुल, आर्य नगर चौक, सिंह द्वार, प्रेमनगर घाट, विश्वकर्मा घाट, लव-कुश घाट, ऋषिकुल मालवीय घाट, शंकराचार्य चौक का निरीक्षण करते हुए बैरागी कैंप पहुंचे. जहां उन्होंने दिगंबर अखाड़े के पास तारबाड़ के माध्यम से किए गए अतिक्रमण को तत्काल हटाने के निर्देश दिए. वहीं, डाक कांवड़ियों के लिए बनाई जा रही अस्थायी पार्किंग का भी जायजा लिया. उन्होंने पार्किंग स्थलों पर प्रकाश की उचित व्यवस्था करने को कहा है.

हरिद्वारः भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आगामी 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. कांवड़ के दौरान सिर्फ 12 दिनों के भीतर जितनी भीड़ भगवान भोले की ससुराल और धर्म नगरी हरिद्वार में जुटती है, उतनी भीड़ कुंभ के दौरान चार महीने में भी देखने को नहीं मिलती है. इतने कम समय में सबसे बड़ी यात्राओं में शुमार कांवड़ यात्रा में करोड़ों की संख्या में कांवड़िए व श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं. कांवड़िए यहां से गंगाजल भर अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं. इस समय यह पूरी यात्रा सिर्फ भगवान भोलेनाथ के भरोसे ही संपन्न होती है. कहने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस लगाई जाती है, लेकिन इन कांवड़ियों के आगे पुलिसकर्मी भी नतमस्तक नजर आते हैं.

आगामी 14 जुलाई से कुंभ मेले से अधिक भीड़ वाला कांवड़ मेला शुरू होने जा रहा है. कुंभ का मेला तो चार तीर्थों पर होता है, लेकिन कांवड़ का ये मेला सिर्फ शिव की ससुराल माया, दक्ष पुरी में महज 12 दिनों में संपन्न हो जाता है. ज्योतिष डॉक्टर प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पहली कांवड़ भगवान परशुराम ने अपने गुरु को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से उठाई थी. उसके बाद दुर्वासा ऋषि, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, राजा भरथरी, राजा विक्रमादित्य, राजा सत्यकेतु, राजा सोमेश्वर, राजा हर्षवर्धन आदि ने श्रावण मास में गंगा जल हरिद्वार से भरकर शिव का अभिषेक किया था. लेकिन इस यात्रा का लाभ तभी मिलता है, जब ब्रह्मचर्य का पालन हो और पूरी यात्रा में मौन हो. क्रोध करने से तुरंत इस यात्रा का फल समाप्त हो जाता है.

इस बार ये कांवड़ यात्रा सूर्य के नक्षत्र बिस्कुंभ नामक योग से प्रारंभ होगी. इस पूरे श्रावण मास में 4 सोमवार होंगे. 25 जुलाई को सोम प्रदोष होगा. 26 जुलाई को शिव रात्रि को गदली गंगा का जल भगवान आशुतोष पर चढ़ेगा. प्रतीक मिश्रपुरी बताते हैं कि दुर्वासा ऋषि ने कहा था कि जो भी गदली गंगा का जल हरिद्वार ब्रह्मकुंड से लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक मौन व्रत के जरिए करता है, उसके घर पर सात पीढ़ियां लक्ष्मी से वंचित नहीं होती है. ये श्रावण मास 11-12 अगस्त को समाप्त होगा. इसी दिन रक्षा बंधन भी होगा.

ये भी पढ़ेंः चारधाम यात्रा के बाद कांवड़ मेले का होगा भव्य आयोजन, टूटेगा कुंभ का रिकॉर्ड!

DM विनय शंकर पांडे ने जांची व्यवस्थाएंः जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने कांवड़ मेला 2022 की अंतिम तैयारियों के मद्देनजर जटवाड़ा पुल से लेकर बैरागी कैंप तक चल रहे कार्यों का औचक निरीक्षण किया. सबसे पहले वे जटवाड़ा पुल पहुंचे. यहां उन्होंने जटवाड़ा पुल घाट के पास बने शेड, पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय और भंडारे के लिए चिह्नित जगह का बारीकी से निरीक्षण किया. इस दौरान इस क्षेत्र में सफाई की उचित व्यवस्था न होने पर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की.

इसके बाद ज्वालापुर ऊंचापुल, आर्य नगर चौक, सिंह द्वार, प्रेमनगर घाट, विश्वकर्मा घाट, लव-कुश घाट, ऋषिकुल मालवीय घाट, शंकराचार्य चौक का निरीक्षण करते हुए बैरागी कैंप पहुंचे. जहां उन्होंने दिगंबर अखाड़े के पास तारबाड़ के माध्यम से किए गए अतिक्रमण को तत्काल हटाने के निर्देश दिए. वहीं, डाक कांवड़ियों के लिए बनाई जा रही अस्थायी पार्किंग का भी जायजा लिया. उन्होंने पार्किंग स्थलों पर प्रकाश की उचित व्यवस्था करने को कहा है.

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