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इस मुस्लिम शिवभक्त कांवड़िए ने साबित किया ईश्वर एक है... लगाए 'ॐ नमः शिवाय' के जयकारे

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा में शिवभक्ति के साथ देशभक्ति की झलक देखने को मिल रही है. यहां कांवड़िए भगवान शिव की भक्ति में रमे हैं तो देशभक्ति को भी साथ लेकर चल रहे हैं. इसके अलावा बाबू खान लगातार कांवड़ यात्रा कर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं.

babu khan
बाबू खान
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Published : Jul 24, 2022, 3:22 PM IST

Updated : Jul 24, 2022, 4:31 PM IST

हरिद्वार: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन चल रहा है. इसके साथ ही कांवड़ यात्रा 2022 भी जारी है. इस समय धर्मनगरी हरिद्वार बम-बम भोले के जयघोष से गूंज रही है. जहां एक ओर कांवड़िए शिवभक्ति में रमे हैं तो दूसरी ओर देशभक्ति को नहीं भूले हैं. यहां कांवड़िए अपने साथ तिरंगे को लेकर चल रहे हैं. साथ ही झांकी भी निकाल रहे हैं. जिसमें देशभक्ति बखूबी झलक रही है.

बता दें कि दो साल बाद बिना किसी पाबंदी के कांवड़ यात्रा शुरू हुई है. अभी तक 2 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भर चुके हैं. इस बार कांवड़ियों में भारी उत्साह भी देखने को मिल रहा है. हजारों की तादाद में कांवड़िए गंगाजल भरकर रवाना हो रहे हैं. इस बार कांवड़िए शिवभक्ति के साथ देशभक्ति को भी साथ लेकर चल रहे हैं. कांवड़ में तिरंगे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली झांकियां निकाल रहे हैं.

शिवभक्ति और देशभक्ति का निराला संगम.

ये भी पढ़ेंः जानिए कितने प्रकार की होती है कांवड़ और क्‍या हैं नियम, कैसे करते हैं यात्रा

भोले की भक्ति के साथ देशभक्ति जरूरीः कांवड़ियों का कहना है कि हमारे लिए देशभक्ति उतनी जरूरी है, जितनी भोले की भक्ति. इसलिए उन्होंने कांवड़ पर तिरंगा झंडा लगाया है. जिससे देश में एकता का संदेश दिया जा सके. कांवड़ के दौरान अलग-अलग राज्यों से कई कांवड़िए आते हैं. ऐसे में तिरंगा झंडा लगाकर एकता का संदेश सभी कांवड़ियों की ओर से दिया जा रहा है.

हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बने बाबू खानः वहीं, देशभक्ति के साथ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल (Hindu Muslim Unity) इस बार हरिद्वार कांवड़ में देखने को मिल रही है. बागपत से आए बाबू खान लगातार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. बाबू खान ने बताया कि दो साल से कोरोना होने के कारण से यात्रा नहीं कर पाए, लेकिन सबसे पहले उन्होंने भगवान भोलेनाथ की कांवड़ उठाई है.

उन्होंने कहा कि अब वो माता पार्वती और भगवान गणेश की कांवड़ उठाकर अपने गांव बागपत जाएंगे. उन्होंने यात्रा का उद्देश्य बताया कि वो पूरे देश को हिंदू मुस्लिम एक होने का संदेश देना चाहते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपना शायरी अंदाज में संदेश भी बनाया है जो कि वो सब को सुनाते जाते हैं.

बता दें कि देश की सबसे बड़ी पदयात्रा कांवड़ यात्रा जारी है. साल में दो दफा लगने वाले इस कांवड़ मेले में सबसे ज्यादा संख्या सावन के महीने में देखने को मिलती है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु शिवालयों, मंदिरों और गंगा घाटों पर पहुंचते हैं. यहां से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. इस दौरान कांवड़ियों का हुजूम उमड़ता है.

हरिद्वार: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन चल रहा है. इसके साथ ही कांवड़ यात्रा 2022 भी जारी है. इस समय धर्मनगरी हरिद्वार बम-बम भोले के जयघोष से गूंज रही है. जहां एक ओर कांवड़िए शिवभक्ति में रमे हैं तो दूसरी ओर देशभक्ति को नहीं भूले हैं. यहां कांवड़िए अपने साथ तिरंगे को लेकर चल रहे हैं. साथ ही झांकी भी निकाल रहे हैं. जिसमें देशभक्ति बखूबी झलक रही है.

बता दें कि दो साल बाद बिना किसी पाबंदी के कांवड़ यात्रा शुरू हुई है. अभी तक 2 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भर चुके हैं. इस बार कांवड़ियों में भारी उत्साह भी देखने को मिल रहा है. हजारों की तादाद में कांवड़िए गंगाजल भरकर रवाना हो रहे हैं. इस बार कांवड़िए शिवभक्ति के साथ देशभक्ति को भी साथ लेकर चल रहे हैं. कांवड़ में तिरंगे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली झांकियां निकाल रहे हैं.

शिवभक्ति और देशभक्ति का निराला संगम.

ये भी पढ़ेंः जानिए कितने प्रकार की होती है कांवड़ और क्‍या हैं नियम, कैसे करते हैं यात्रा

भोले की भक्ति के साथ देशभक्ति जरूरीः कांवड़ियों का कहना है कि हमारे लिए देशभक्ति उतनी जरूरी है, जितनी भोले की भक्ति. इसलिए उन्होंने कांवड़ पर तिरंगा झंडा लगाया है. जिससे देश में एकता का संदेश दिया जा सके. कांवड़ के दौरान अलग-अलग राज्यों से कई कांवड़िए आते हैं. ऐसे में तिरंगा झंडा लगाकर एकता का संदेश सभी कांवड़ियों की ओर से दिया जा रहा है.

हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बने बाबू खानः वहीं, देशभक्ति के साथ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल (Hindu Muslim Unity) इस बार हरिद्वार कांवड़ में देखने को मिल रही है. बागपत से आए बाबू खान लगातार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. बाबू खान ने बताया कि दो साल से कोरोना होने के कारण से यात्रा नहीं कर पाए, लेकिन सबसे पहले उन्होंने भगवान भोलेनाथ की कांवड़ उठाई है.

उन्होंने कहा कि अब वो माता पार्वती और भगवान गणेश की कांवड़ उठाकर अपने गांव बागपत जाएंगे. उन्होंने यात्रा का उद्देश्य बताया कि वो पूरे देश को हिंदू मुस्लिम एक होने का संदेश देना चाहते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपना शायरी अंदाज में संदेश भी बनाया है जो कि वो सब को सुनाते जाते हैं.

बता दें कि देश की सबसे बड़ी पदयात्रा कांवड़ यात्रा जारी है. साल में दो दफा लगने वाले इस कांवड़ मेले में सबसे ज्यादा संख्या सावन के महीने में देखने को मिलती है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु शिवालयों, मंदिरों और गंगा घाटों पर पहुंचते हैं. यहां से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. इस दौरान कांवड़ियों का हुजूम उमड़ता है.

Last Updated : Jul 24, 2022, 4:31 PM IST
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