हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में अस्थि विसर्जन के लिए बने पौराणिक सती घाट (Haridwar Sati Ghat) पर इन दिनों कूड़े का ढेर लगा हुआ है. नगर निगम और यूपी सिंचाई विभाग (Haridwar UP Irrigation Department) दोनों घाट की अनदेखी कर रहे हैं. जिसके बाद ना सिर्फ तीर्थ पुरोहितों (Haridwar Teerth Purohit) में नाराजगी है, बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को भी निराशा हो रही है. खास बात ये है कि घाट पर कचरे के ढेर में अस्थियां भी मिली हुई हैं.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले गैस पाइप लाइन डालने के लिए यूपी सिंचाई विभाग द्वारा सती घाट पर गंगा का पानी रोक दिया गया था. तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद सिंचाई विभाग ने पानी छोड़ने से पहले गंगा में जमा कूड़े को तो बाहर कर दिया. लेकिन घाट से कूड़ा उठाना भूल गया. करीब 10 दिनों से कूड़े-कचरे के बीच सती घाट पर श्रद्धालुओं को अस्थियां विसर्जित करनी पड़ रही हैं. तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि इससे श्रद्धालुओं में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है और धर्मनगरी की छवि भी खराब हो रही है.
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हालांकि गंगा घाटों की साफ सफाई का जिम्मा नगर निगम प्रशासन का है. लेकिन निगम प्रशासन भी घाट पर जमा कचरे को सिंचाई विभाग द्वारा उठाने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है. हरिद्वार की मेयर अनीता शर्मा (Haridwar Mayor Anita Sharma) ने भी सती घाट पर जमा गंदगी को लेकर चिंता जाहिर की है. मेयर अनिता शर्मा का कहना है कि वो जल्द ही सती घाट पर जमा कूड़े को उठाने के लिए सिंचाई विभाग को पत्र लिखेंगी. वैसे तो प्रशासन द्वारा गंगा स्वच्छता के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन सती घाट पर जमा गंदगी उन दावों की पोल खोल रही है.