हरिद्वार: संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना के विरोध में अब गंगा सभा आ गई है. गंगा सभा के महामंत्री ने इस योजना का कड़ा विरोध करते हुए कहा हजारों वर्षों से हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों और यजमानों का संबंध चला आ रहा है. यजमान अपने परिजनों के अस्थि प्रवाह के लिए तीर्थ पुरोहितों से सीधा संपर्क करते हैं. इसमें किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है. यह कार्य आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है, इसके लिए पुरोहितों ने कोई शुल्क निर्धारित नहीं किया हुआ है.
मुक्ति योजना का विरोध: तन्मय वशिष्ठ ने कहा संस्कृत अकादमी अपने मूल उद्देश्यों से भटककर अस्थिप्रवाह जैसे धार्मिक कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है और इसे व्यवसाय का रूप देने की कोशिश कर रही है. उनकी इस योजना का पुरजोर विरोध किया जाएगा. यह हम पुरोहितों का परंपरागत अधिकार है. इसमें किसी अन्य का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अच्छा हो कि संस्कृत अकादमी संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार और संस्कृत विद्यालयों की व्यवस्था पर ध्यान दे.
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क्या है मुक्ति योजना: बता दें कि उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना के तहत अब देश-विदेश के लोग घर बैठे सनातन परंपरा के अनुसार हरकी पैड़ी के घाटों पर अस्थि विसर्जन करा सकेंगे. जिसमे गंगा तट पर अस्थि विसर्जन का लाइव कवरेज भी परिजनों को दिखाया जाएगा. इसके लिए विदेश में रह रहे प्रवासियों को 100 डॉलर का संस्कार शुल्क देना होगा. वहीं, देश के लोगों के लिए अभी शुल्क तय किया जाना है. उम्मीद है एक माह के अंदर योजना काम करना शुरू कर देगी.
घर बैठे ऑनलाइन होगा अस्थि विर्सजन: इसके लिए परिजनों को अस्थि विसर्जन के लिए संस्कृत अकादमी की ओर से बनाए जा रहे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. साथ ही पोर्टल पर अकादमी की ओर से परिजनों को संपर्क करने के लिए मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराए जाएंगे. देश विदेशों में बसे हिंदू परिवार परिस्थितिवश हरिद्वार गंगा के तटों पर अपने मृत सगे संबंधियों का अस्थि विसर्जन से वंचित रह जाते हैं, जिसे देखते हुए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से मुक्ति योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है.