हरिद्वार: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तत्वाधान में आज यहां गुरुकुल आयुर्वेद महाविद्यालय परिसर में गंगा आयुर कॉन(GangaAyurCon2022) 2022 अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. दो दिन चलने वाली इस संगोष्ठी में लगभग 1000 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं. इसमें लगभग 190 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे. 4 सत्र में होने वाले इस संगोष्ठी में रिसर्च पेपर के आधार पर चर्चा होगी. उससे जो रिजल्ट निकलेगा उससे गंगा संपदा के नाम से एक इनसाइक्लोपीडिया का बड़ा वॉल्यूम लगभग डेढ़ हजार पृष्ठ का प्रकाशित किया जाएगा.
संगोष्ठी का उद्घाटन उत्तराखंड सरकार में आयुष सचिव एवं आयुष शिक्षा सचिव पंकज पांडे और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर सुनील जोशी के साथ दीप प्रज्वलित कर के किया. संगोष्ठी में गंगा बेसिन में उगने वाली जड़ी बूटियों और हर्ब्स पर किए गए रिसर्च और इन जड़ी-बूटियों की उपयोगिता ट्रीटमेंट में उपयोगिता आदि को रिसर्च पेपर्स के द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा.
आयुष सचिव एवं आयुष शिक्षा सचिव पंकज पांडे ने कहा उत्तराखंड आयुर्वेद की जननी है. आयुर्वेद यहीं से जन्म लेकर आगे बढ़ा है. निश्चित रूप से उत्तराखंड का महत्व इसलिए बढ़ जाता है. इसी क्रम में उत्तराखंड आयुष विश्वविद्यालय के द्वारा इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है. इसमें गंगा बेसिन में जो जड़ी बूटियां उगती हैं उस पर रिसर्च हुई है. उस पर विचार विमर्श के लिए जो लोगों ने काम किया है उसको सामने लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा गंगा हमारी धरोहर है. गंगा की अपनी वेल्यू है. उसके किनारे उगने वाली जड़ी बूटियों का और अधिक महत्व ट्रीटमेंट में रिसर्च में जो मिलता है तो यह आयुर्वेद ट्रीटमेंट के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा. उन्होंने कहा हम जड़ी-बूटी पर कार्य कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि गंगा घाटी में अथवा आसपास नेचुरल रूप से जड़ी बूटियां उगती हैं या जो उगाई जाती हैं दोनों पर कार्य करके उन्हें आगे बढ़ाया जाये.