हरिद्वार: सिंचाई विभाग द्वारा करीब एक माह के लिए ऊपरी गंगनहर को बंद किया जाएगा. बताया जा रहा है कि 15-16 अक्टूबर की मध्य रात्रि से 14-15 नवंबर की मध्य रात्रि तक गंगनहर बंद रहेगी. गंगनहर को कुंभ मेला निर्माण कार्यों को लेकर बंद किया जा रहा है.
![हरिद्वार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-har-breaking-haridwar-gang-nahar-band-vis-10006_12102020142326_1210f_1602492806_259.jpg)
कुंभ मेला 2021 के प्रस्तावित कार्यो को पूरा करने के चलते उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने इस बार 10 दिन पहले गंग नहर बंद करने का आदेश जारी किया है. 15-16 अक्टूबर की मध्यरात्रि को ऊपरी गंगनहर को बंद किया जाएगा. गंगनहर बंदी के दौरान हरिद्वार में कई घाटों के निर्माण कार्यों और अन्य दूसरे कुंभ मेले के निर्माण कार्यों को पूरा किया जाना है. सिंचाई विभाग द्वारा गंगनहर की मरम्मत के कार्यों को करना है. इन सभी कार्यों के फोटोग्राफी ड्रोन कैमरे द्वारा की जाएगी. आपको बता दें कि हर साल सफाई के लिए दशहरे से लेकर दिवाली तक गंगनहर बंद की जाती है, लेकिन इस बार गंगनहर को एक महीने के लिए बंद किया गया है. आगामी महीने में 14-15 नवंबर की मध्यरात्रि को गंगनहर खोली जाएगी. वहीं, गंगनहर बंदी से निचले इलाकों में भी जल की आपूर्ति बाधित होती है.
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उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जेई राजकुमार सागर का कहना है कि 15-16 अक्टूबर की मध्य रात्रि से लेकर 14-15 नवंबर की मध्यरात्रि तक ऊपरी गंगनहर को बंद करने के आदेश हैं. उत्तरी गंगनहर के बंद किए जाने के दौरान आगामी कुंभ मेले के कई कार्यो को पूरा किया जाएगा. घाटों का निर्माण किया जाएगा. इस दौरान सिंचाई विभाग द्वारा हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड क्षेत्र में पूर्व में निर्धारित मात्रा में जल रखा जाएगा. वहीं, जब उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से एक महीने के लिए निचले इलाकों में जलापूर्ति के बारे में पूछा गया तो वह इस प्रश्न से बचते नजर आए और कुंभ का हवाला देकर सवाल से कन्नी काट गए.
![haridwar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-har-03-kumbh-karyo-ko-lekar-ganga-bandi-vis-10006_12102020164644_1210f_02033_718.jpg)
कुंभ से पहले कई घाटों के निर्माण और अन्य कार्यों को पूरा किया जाना है. जिसके लिए ऊपरी गंगनहर को एक महीने के लिए बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं. ऊपरी गंगनहर के बंद होने का प्रभाव जहां सीधे तौर पर हरिद्वार में देखने को मिलता है. वहीं, निचले इलाकों में भी जलापूर्ति बाधित होती है. जिसकी वजह से दूसरे राज्यों में भी पानी की किल्लत हो सकती है.