रुड़कीः मेयर पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार गौरव गोयल मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने इस्तीफा देने की वजह भी बताई. गौरव गोयल ने कहा कि रुड़की नगर निगम में उनके कार्यकाल में 10 बोर्ड बैठक हुई. जिसमें विकास के कार्यों का काम कम हुआ, लेकिन हंगामा करना और मीडिया के सामने उछल कूद करना कुछ पार्षदों का मकसद रहा. उन्होंने कहा कि उनकी सादगी और स्वभाव को देखने जनता ने 30 हजार वोट दिए. अब उन्हें लगा कि वो जनता के विश्वास पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं. इस कारण उन्होंने इस्तीफा दिया.
दरअसल, रुड़की के पूर्व मेयर गौरव गोयल ने राजपुताना मोहल्ला स्थित अपने आवास पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया. जहां उन्होंने अपने करीब चार साल के कार्यकाल के दौरान किए नगर हितों के कार्यों को गिनाया और विरोधियों को भी जवाब दिया. गौरव गोयल ने कहा कि जब वो शपथ लेकर नगर निगम गए तो कई खामियां उन्हें मिली. उनका आरोप था कि तत्कालीन नगर आयुक्त और सहायक नगर आयुक्त अपने हिसाब से निगम चला रहे थे. जिसे उन्होंने ठीक करने का प्रयास किया.
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रुड़की नगर निगम की एसआईटी जांच होः अधिकारियों का कहना था कि वो सत्ता के विपरीत मेयर बनकर आए हैं और उन्हें सत्ता के हिसाब से नौकरी करनी है. गौरव गोयल ने कहा कि रुड़की नगर निगम की एसआईटी जांच होनी चाहिए. पीएम मोदी और धामी की सरकार देश एवं प्रदेश में अच्छा कार्य कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के कुछ लोग पार्टी को बदनाम करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने इसका आरोप रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा पर लगाया.
रुड़की नगर निगम भ्रष्टाचार का अड्डाः गौरव गोयल ने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर के विकास और तरक्की के लिए जो सपने उन्होंने संजोए थे, उस पर निगम के कुछ पार्षदों, नगर निगम के दो पूर्व अधिकारियों और विधायक के लगातार विरोध के कारण उस पर ग्रहण लग गया. ये लोग नगर निगम की प्रत्येक बोर्ड की बैठक में हंगामा करते रहे. जिसके चलते नगर का विकास कार्य बाधित हुआ. वे पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ नगर की सेवा करना चाहते थे, लेकिन कुछ लोगों ने नगर को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया.
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झूठे आरोप लगाए, अपमानित करने का रचा गया षड्यंत्रः गौरव गोयल ने कहा कि उन पर लगातार झूठे आरोप लगाए गए और समय-समय पर उन्हें अपमानित करने के षड्यंत्र रचे गए. जब उन्होंने देखा कि इस तरह की दलदल में रहकर वो निष्पक्ष रूप से अपने नगर और यहां की जनता की सेवा नहीं कर सकते हैं. ऐसे में उन्होंने मेयर पद से त्यागपत्र देना ही उचित समझा. बीती 25 जुलाई को हंगामेदार बोर्ड बैठक के बाद देहरादून सचिवालय जाकर सीएम धामी को अपना त्यागपत्र सौंपा.
पार्षद ने उनकी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई, गंदी राजनीति से दूर रहकर करेंगे समाज सेवाः उनका आरोप था इस बोर्ड बैठक में जहां पार्षदों की ओर से निगम के अधिकारियों के साथ बदसलूकी की गई तो वहीं उनके पद की गरिमा को भी एक पार्षद की ओर से ठेस पहुंचाई गई. जिससे आहत होकर उन्होंने मेयर पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि वो जीवन के अंतिम क्षण तक समाज की सेवा करेंगे और गंदी राजनीति से दूर रहेंगे.
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