हरिद्वारः पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमले से दुनिया भर के लोग भारत के साथ हैं. विदेशियों के मन में भी बिना युद्ध लड़े शहीद हुए सैनिकों के प्रति दुख और आतंकियों के प्रति मन में गुस्सा है. रविवार को बड़ी संख्या में करीब 10 देशों से आए विदेशियों ने शहीद सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए हरिद्वार के गंगा के तट पर विशेष पूजा अनुष्ठान किया और शहीदों की शहादत को नमन किया.
विदेशी नागरिकों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
पुलवामा आतंकी हमले का दुनिया भर में विरोध हो रहा है. रविवार को अमेरिका, ब्रिटेन, टर्की, स्कॉटलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, आइसलैंड स्वीडन आदि करीब 10 देशों के 36 से ज्यादा विदेशी नागरिक हरिद्वार पहुंचे. इन सभी के मन में पुलवामा घटना को लेकर भारी दुख है.
ये लोग विशेष तौर पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हरिद्वार आए और बाघ गंगा के तट पर विशेष पूजा अनुष्ठान करते हुए आतंकी हमले में मारे गए जवानों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. मां गंगा से शहीदों के परिजनों की दुख की इस घड़ी में हिम्मत, संयम, सुख, शांति की कामना की.
ये भारत से बहुत प्रभावित हैं और भारत को शांतिप्रिय देश मानते हैं. सभी ने पुलवामा घटना की कड़े शब्दों में निंदा की. विदेशी नागरिकों ने आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. साथ ही आतंकियों से आतंक का रास्ता छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि यदि आप दुनिया को बदलना चाहते हो तो पहले खुद को बदलो.
विदेशियों के दो ग्रुप इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं. पुलवामा घटना के बाद ये सभी विदेशी भारत आए थे, यहां पुलवामा की दर्दनाक घटना की जानकारी मिलने के बाद ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी से शहीदों की आत्मा की शांति के लिए खास पूजा करने का आग्रह किया.
प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि आतंकी घटना में सैनिकों के मारे जाने से ये सभी आहत थे. इन लोगों ने गंगा तट पर शहीदों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा कराई. साथ ही मां गंगा से प्रार्थना की कि शहीदों की आत्मा को शांति दे. विदेशियों ने कहा कि हमारी संवेदनाएं शहीदों के परिजनों के साथ हैं
देश में हर कोई पुलवामा हमला में शहीद हुए जवानों को अपनी-अपनी तरह से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. सात समुंदर पार से आए इन विदेशियों ने जिस तरह से जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की उसने यहां के लोगों को भाव विभोर कर दिया. साथ ही इन्होंने पाकिस्तान को भी नसीहत दी है, कि वह आतंक का रास्ता छोड़कर विदेशी आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ दें.