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गुरू पूर्णिमा: यहां 22 देशों से गुरुओं का आशीर्वाद लेने पहुंचे विदेशी शिष्य

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Published : Jul 16, 2019, 5:19 PM IST

Updated : Jul 16, 2019, 8:21 PM IST

गुरू शिष्य परंपरा का अनोखा गुरु पूर्णिमा पर धर्मनगरी हरिद्वार में विदेशी श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया. विदेशी भारतीय संस्कृति के रंग में रंगे दिखे.

गुरु पूर्णिमा

हरिद्वारः गुरू पूर्णिमा गुरुओं के लिए समर्पित हो जाने का दिन है. क्योंकि बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त नहीं होता और अपने जीवन की हर बाधा को शिष्य अपने गुरू से ज्ञापन से पाकर कर जाते हैं. इसलिए गुरू पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है और इस बात को देश और दुनिया के लोग भी मानते हैं.

गुरु पूर्णिमा के रंग में रंगे विदेशी श्रद्धालु.

मंगलवार को गुरू पूर्णिमा के दिन कई देशों से आए विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इस परंपरा को बखूबी निभाया. इन विदेशी श्रद्धालुओं ने आज अपने गुरू की पूजा की और गुरू द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रण भी लिया.

हरिद्वार संतों की शरण में विदेशी श्रद्धालुओं को लेकर पहुंचे रामानंद महाराज का कहना है कि हमें गर्व है कि भारत की जो परंपरा है, उसको कई देश अपना रहे हैं. देश विदेश में हमारे गुरुओं का मान सम्मान बढ़ रहा है. ऐसे में विदशों से भी अपने गुरू की अराधना के लिए कुछेक श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं. जानकारी के मुताबिक, 22 देशों से आए इन श्रद्धालुओं को संतों का आशीर्वाद लेकर आनंद की अनुभूति हो रही है.

वहीं, संतों ने भी विदेशी श्रद्धालुओं को गुरू पूर्णिमा के दिन भारत देश की संस्कृति और यहां की गुरू शिष्य परंपरा का ज्ञान दिया. संत संजय महंत का कहना है कि गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में गुरू का काफी योगदान रहता है. इसी को मानकर गुरू पूर्णिमा के मौके पर कई देशों के विदेशी भक्त यहां आए और पूरे भक्ति भाव से अपने गुरू से शिक्षा प्राप्त की.

यह भी पढ़ेंः गुरु पूर्णिमा: 54 साल बाद बन रहा ऐसे चंद्रग्रहण का योग, लाभ पाने के लिए करें ये उपाय

उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में जिस तरह से अशांति का माहौल बना हुआ है उनको यहां पर आकर शांति की अनुभूति हो रही है. देवभूमि हरिद्वार से एक संदेश जाएगा कि हम अपने जीवन को कैसे जिएं. भारत देश एक ऐसा देश है जो सनातन धर्म के साथ पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है.

गुरू पूर्णिमा के मौके पर जिस तरह से विदेशों से आए श्रद्धालु गुरू शिष्य परंपरा को निभाने के लिए हरिद्वार पहुंचे और यहां पर आकर उन्होंने अपने गुरुजनों की पूजा की.

इससे लगता है कि भारत की परंपरा से विदेशों के लोग भी आकर्षित होते हैं और यहां आकर अपने मन की शांति के लिए भारतीय संस्कृति में रम जाते हैं. यही कारण है कि विदेशों से बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु देवभूमि का रुख करते हैं.

हरिद्वारः गुरू पूर्णिमा गुरुओं के लिए समर्पित हो जाने का दिन है. क्योंकि बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त नहीं होता और अपने जीवन की हर बाधा को शिष्य अपने गुरू से ज्ञापन से पाकर कर जाते हैं. इसलिए गुरू पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है और इस बात को देश और दुनिया के लोग भी मानते हैं.

गुरु पूर्णिमा के रंग में रंगे विदेशी श्रद्धालु.

मंगलवार को गुरू पूर्णिमा के दिन कई देशों से आए विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इस परंपरा को बखूबी निभाया. इन विदेशी श्रद्धालुओं ने आज अपने गुरू की पूजा की और गुरू द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रण भी लिया.

हरिद्वार संतों की शरण में विदेशी श्रद्धालुओं को लेकर पहुंचे रामानंद महाराज का कहना है कि हमें गर्व है कि भारत की जो परंपरा है, उसको कई देश अपना रहे हैं. देश विदेश में हमारे गुरुओं का मान सम्मान बढ़ रहा है. ऐसे में विदशों से भी अपने गुरू की अराधना के लिए कुछेक श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं. जानकारी के मुताबिक, 22 देशों से आए इन श्रद्धालुओं को संतों का आशीर्वाद लेकर आनंद की अनुभूति हो रही है.

वहीं, संतों ने भी विदेशी श्रद्धालुओं को गुरू पूर्णिमा के दिन भारत देश की संस्कृति और यहां की गुरू शिष्य परंपरा का ज्ञान दिया. संत संजय महंत का कहना है कि गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में गुरू का काफी योगदान रहता है. इसी को मानकर गुरू पूर्णिमा के मौके पर कई देशों के विदेशी भक्त यहां आए और पूरे भक्ति भाव से अपने गुरू से शिक्षा प्राप्त की.

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उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में जिस तरह से अशांति का माहौल बना हुआ है उनको यहां पर आकर शांति की अनुभूति हो रही है. देवभूमि हरिद्वार से एक संदेश जाएगा कि हम अपने जीवन को कैसे जिएं. भारत देश एक ऐसा देश है जो सनातन धर्म के साथ पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है.

गुरू पूर्णिमा के मौके पर जिस तरह से विदेशों से आए श्रद्धालु गुरू शिष्य परंपरा को निभाने के लिए हरिद्वार पहुंचे और यहां पर आकर उन्होंने अपने गुरुजनों की पूजा की.

इससे लगता है कि भारत की परंपरा से विदेशों के लोग भी आकर्षित होते हैं और यहां आकर अपने मन की शांति के लिए भारतीय संस्कृति में रम जाते हैं. यही कारण है कि विदेशों से बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु देवभूमि का रुख करते हैं.

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गुरु पूर्णिमा गुरु के लिए समर्पित हो जाने का दिन क्योंकि गुरु अपने शिष्य को ज्ञान देते हैं और शिष्य उस ज्ञान को पाकर अपनी हर कठिनाइयों को पार कर जाते हैं इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है और इस बात को देश ही नहीं विदेशों से आने वाले लोग भी मानते हैं आज गुरु पूर्णिमा के दिन कई देशों से आए विदेशी श्रद्धालु भी इस परंपरा को बखूबी निभाया इन विदेशी श्रद्धालुओं ने अपने गुरु की पूजा की और गुरु द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रण भी लिया


Body:गुरु अपने शिष्य को जीवन में होने वाली हर कठिनाई को दूर करने का मार्ग दिखाते हैं और शिष्य गुरु के ज्ञान को पाकर हर कठिनाइयों को पार कर जाते हैं हरिद्वार संतों की शरण में विदेशी श्रद्धालुओं को लेकर पहुंचे रामानंद महाराज का कहना है कि हमें गर्व है कि भारत की जो परंपरा है उसको कई देश अपना रहे हैं हमारे देश के जो गुरु है उनकी पूजा हो रही है और इससे हमारे देश का मान-सम्मान भी बढ़ रहा है यह विदेशी श्रद्धालु 22 देशों से आए हैं और यहां पर संतों का आशीर्वाद लेकर इन्हें काफी गर्व की अनुभूति हो रही है

बाइट-- रामानंद महाराज--विदेशियों के संत

हरिद्वार पहुंचे विदेशियों ने संतों का आशीर्वाद लिया संतों ने भी विदेशी श्रद्धालुओं को गुरु पूर्णिमा के दिन भारत देश की संस्कृति और यहां की गुरु शिष्य परंपरा का ज्ञान दिया संत संजय महंत का कहना है कि गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में गुरु का काफी योगदान रहता है इसी को मानकर आज गुरु पूर्णिमा के मौके पर कई देशों के विदेशी भक्त यहां आए और पूरे भक्ति भाव से अपने गुरु से शिक्षा प्राप्त की पूरे विश्व में जिस तरह से अशांति का माहौल बना हुआ है उनको यहां पर आकर शांति की अनुभूति हो रही है देवभूमि हरिद्वार से एक संदेश जाएगा कि हम अपने जीवन को कैसे जिए भारत देश एक ऐसा देश है जो सनातन धर्म के साथ पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है

बाइट- संजय महंत--संत


Conclusion:गुरु पूर्णिमा के मौके पर जिस तरह से विदेशों से आए श्रद्धालु गुरु शिष्य परंपरा को निभाने के लिए हरिद्वार पहुंचे और यहां पर आकर उन्होंने अपने गुरुजनों की पूजा की इससे लगता है कि भारत की परंपरा से विदेशों के लोग भी आकर्षित होते हैं और यहां आकर अपने मन की शांति के लिए भारतीय संस्कृति में रम जाते हैं यही कारण है कि विदेशों से बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु देवभूमि का रुख करते हैं
Last Updated : Jul 16, 2019, 8:21 PM IST
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