हरिद्वारः गुरू पूर्णिमा गुरुओं के लिए समर्पित हो जाने का दिन है. क्योंकि बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त नहीं होता और अपने जीवन की हर बाधा को शिष्य अपने गुरू से ज्ञापन से पाकर कर जाते हैं. इसलिए गुरू पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है और इस बात को देश और दुनिया के लोग भी मानते हैं.
मंगलवार को गुरू पूर्णिमा के दिन कई देशों से आए विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इस परंपरा को बखूबी निभाया. इन विदेशी श्रद्धालुओं ने आज अपने गुरू की पूजा की और गुरू द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रण भी लिया.
हरिद्वार संतों की शरण में विदेशी श्रद्धालुओं को लेकर पहुंचे रामानंद महाराज का कहना है कि हमें गर्व है कि भारत की जो परंपरा है, उसको कई देश अपना रहे हैं. देश विदेश में हमारे गुरुओं का मान सम्मान बढ़ रहा है. ऐसे में विदशों से भी अपने गुरू की अराधना के लिए कुछेक श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं. जानकारी के मुताबिक, 22 देशों से आए इन श्रद्धालुओं को संतों का आशीर्वाद लेकर आनंद की अनुभूति हो रही है.
वहीं, संतों ने भी विदेशी श्रद्धालुओं को गुरू पूर्णिमा के दिन भारत देश की संस्कृति और यहां की गुरू शिष्य परंपरा का ज्ञान दिया. संत संजय महंत का कहना है कि गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में गुरू का काफी योगदान रहता है. इसी को मानकर गुरू पूर्णिमा के मौके पर कई देशों के विदेशी भक्त यहां आए और पूरे भक्ति भाव से अपने गुरू से शिक्षा प्राप्त की.
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उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में जिस तरह से अशांति का माहौल बना हुआ है उनको यहां पर आकर शांति की अनुभूति हो रही है. देवभूमि हरिद्वार से एक संदेश जाएगा कि हम अपने जीवन को कैसे जिएं. भारत देश एक ऐसा देश है जो सनातन धर्म के साथ पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है.
गुरू पूर्णिमा के मौके पर जिस तरह से विदेशों से आए श्रद्धालु गुरू शिष्य परंपरा को निभाने के लिए हरिद्वार पहुंचे और यहां पर आकर उन्होंने अपने गुरुजनों की पूजा की.
इससे लगता है कि भारत की परंपरा से विदेशों के लोग भी आकर्षित होते हैं और यहां आकर अपने मन की शांति के लिए भारतीय संस्कृति में रम जाते हैं. यही कारण है कि विदेशों से बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु देवभूमि का रुख करते हैं.